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BJP MLA Shushant Shukla Biography in Hindi: भाजपा विधायक सुशांत शुक्ला का जीवन परिचय...

Shushant Shukla Biography:– भाजपा की टिकट पर बिलासपुर जिले की बेलतरा विधानसभा से युवा सुशांत शुक्ला चुनाव जीत कर विधायक निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने कांग्रेस के जिलाध्यक्ष व प्रत्याशी विजय केशरवानी को 16963 मतों के अंतर से चुनाव हराया हैं। राज्य गठन के बाद बेलतरा पहले सीपत विधानसभा थी। 2008 में परिसीमन के बाद बेलतरा विधानसभा अस्तित्व में आया। आज तक के इतिहास में इस सीट से पहली बार इतने रिकार्ड मतों से भाजपा ने जीत हासिल की है। सुशांत शुक्ला आरएसएस के बाल स्वयंसेवक रहें हैं। दिलीप सिंह जूदेव के कट्टर समर्थकों में गिने जाने वाले सुशांत छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहें हैं। वे राज्य युवा आयोग के सदस्य रहें हैं। भारतीय जनता युवा मोर्चा राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य व संयोजक रहें हैं। वर्तमान में सुशांत भाजयुमो प्रदेश सह प्रभारी है। वे चंद्रपुर संगठन प्रभारी होने के साथ ही भाजपा मीडिया पैनलिस्ट भी हैं।

BJP MLA Shushant Shukla Biography in Hindi: भाजपा विधायक सुशांत शुक्ला का जीवन परिचय...
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By Gopal Rao

BJP MLA Shushant Shukla Biography in Hindi: भाजपा ने बिलासपुर जिले की बेलतरा विधानसभा से सुशांत शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया था। युवा सुशांत शुक्ला पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े हैं। पहले ही चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी विजय केशरवानी को 16963 मतों के अंतर से चुनाव हराया हैं। यह आंकड़ा परिसीमन में बेलतरा विधानसभा बनने के बाद सर्वाधिक मतों से जीत का आंकड़ा हैं। पिछले तीन विधानसभा चुनावों में भाजपा यहां से जीतती रहीं है। उससे पहले बेलतरा विधनसभा सीपत विधनसभा थी। उसमें भी भाजपा को जीत मिली थी। पर राज्य गठन के बाद बेलतरा विधनसभा में युवा सुशांत ने जीत के सारे रिकार्ड तोड़ते हुए नया कीर्तिमान बनाया हैं। पिछली बार भी उनका नाम टिकट की दौड़ में शामिल था। पर वे रजनीश सिंह से पिछड़ गए थे। बेलतरा से भाजपा ने अपने सिटिंग एमएलए रजनीश सिंह की टिकट काटकर भाजपा ने युवा सुशांत शुक्ला को इस बार चुनाव मैदान में उतारा था।

41 वर्षीय सुशांत शुक्ला के पिता का नाम हीरामणी शुक्ला है। उनके पिता छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक से सेवानिवृत हुए हैं। बिलासपुर के सरकंडा के शिव घाट में रहने वाले सुशांत शुक्ला चार भाई बहनों में तीसरे नंबर के हैं। उनसे बड़े एक भाई व एक बहन है, व उनसे छोटी एक बहन है। सुशांत शुक्ला के पिता हीरामणि शुक्ला भी आरएसएस पृष्ठभूमि के रहे हैं। वे आरएसएस के प्रांत बौद्धिक प्रमुख रह चुके हैं। छतीसगढ़ी राजभाषा को पहचान दिलवाने वाले उनके बड़े पिता नंदकिशोर शुक्ला आरएसएस के कैडर बेस कार्यकर्ता रहे हैं। वे अटल बिहारी वाजपेयी के आरएसएस में सक्रिय होने के समय से आरएसएस में रहें हैं और प्रचारक की भूमिका निभाई है। नंदकिशोर शुक्ला ने छत्तीसगढ़ी को पहचान दिलाने के लिए साइकिल में मिलों लंबी यात्रा की है। वह पत्रकारिता से भी 30 वर्षों से जुड़े रहे हैं। उनके अथक प्रयासों से छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिला है। वे छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच व मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी संस्था के सरंक्षक है।

सुशांत शुक्ला ने राज्य ओपन स्कूल से वर्ष 2018 में हायर सेकेंडरी की परीक्षा उत्तीर्ण की है। वह पेशे से व्यवसायी हैं। प्रदेश के दिग्गज बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री के अलावा बिलासपुर सांसद रहे दिलीप सिंह जूदेव की उंगली पड़कर सुशांत शुक्ला ने राजनीति का ककाहरा सिखने वाले सुशांत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बाल स्वयं सेवक रहें है। सुशांत शुक्ला जूदेव के कट्टर समर्थको में गिने जाते थे। वे जूदेव सेना प्रमुख भी थे। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में विश्वविद्यालय छात्र महासंघ पैनल बनाकर सुशांत शुक्ला काफी लंबे समय तक सक्रिय रहे हैं। उनके पैनल ने विश्वविद्यालय छात्रसंघ में कई बार जीत हासिल की है। बेलतरा विधानसभा में स्थित गुरु घासीदास विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलवाने के लिए चलाए गए आंदोलन में सुशांत शुक्ला और उनके विश्वविद्यालय छात्र महासंघ पैनल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 2009 में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद सुशांत शुक्ला का छात्र महासंघ पैनल ब्रदरहुड़ पैनल में परिवर्तित हो गया।

सुशांत शुक्ला राज्य युवा आयोग के सदस्य रहे हैं। इस दौरान उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था। वह भारतीय जनता युवा मोर्चा राष्ट्रीय कार्य समिति के 2011 से 2016 तक सदस्य रहें हैं। सुशांत शुक्ला 2016 से 2020 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक भी रहे हैं। वर्तमान में सुशांत शुक्ला प्रदेश सह प्रभारी भारतीय जनता युवा मोर्चा छत्तीसगढ़ है। इसके अलावा संगठन प्रभारी चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र हैं। प्रदेश भाजपा मीडिया पैनलिस्ट में भी उनका नाम है। सुशांत शुक्ला का पूरा परिवार भी भाजपा व आरएसएस से लंबे समय से जुड़ा रहा है। उनके चाचा चंद्रभूषण शुक्ला भाजपा पार्षद रहने के साथ ही 1994 में नगर निगम नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। सुशांत शुक्ला के परिवार में चार मीसा बंदी और चार कार सेवक भी हैं।

बेलतरा विधानसभा में मतदाताओं की कुल संख्या 211315 है। जिनमें से 141623( 67%) मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया। भाजपा के प्रत्याशी सुशांत शुक्ला को 79528 वोट मिलें। कांग्रेस का प्रत्याशी विजय केशरवानी को 62565 वोट मिले। जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी विशंभर गुलहरे को 727 वोट मिले। बसपा को 15118 वोट मिले। नोटा को 587 वोट मिले।

बेलतरा विधानसभा शुरू से भाजपा का गढ़ रहा है। राज्य गठन के बाद आज तक की सीट पर कांग्रेस नहीं जीती। भाजपा की अभेद किले का लाभ भाजपा प्रत्याशी सुशांत शुक्ला को मिला। जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी विजय केशरवानी कोटा विधानसभा से दावेदारी कर रहे थे और वहीं से उनकी सक्रियता थी। अंतिम समय में उन्होंने बेलतरा सीट से उम्मीदवारी की और चुनाव लड़ा। देर से बेलतरा में सक्रिय होने का नुकसान विजय केशरवानी को उठाना पड़ा।

सुशांत शुक्ला को युवा एवं आकर्षक छवि होने का फायदा मिला। उनके मुकाबले विजय केशरवानी का आकर्षण कम रहा। सुशांत शुक्ला ने कम समय में भी सभी मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयास किया। सुशांत शुक्ला का बूथ मैनेजमेंट काफी अच्छा रहा। सुशांत शुक्ला की समर्पित युवाओं की पर्सनल टीम ने काफी काम किया। मतदाताओं तक सुशांत शुक्ला की टीम कई बार पहुंचकर वोट की मांग करती रही जिसका असर पड़ा। ब्राह्मण समाज का प्रत्याशी होने का भी सुशांत को काफी फायदा मिला। बेलतरा क्षेत्र में ब्राह्मण बाहुल्य कई गांव है जिनके वोट सुशांत को मिले। इसके अलावा समाज से जुड़े कई लोगों के अलावा आम जनमानस में से भी कई लोगों ने सुशांत की छवि को देखते हुए स्वस्फूर्त खुद से आगे आकर सुशांत के पक्ष में मतदान की अपील की। आरएसएस की लॉबी भी सक्रिय रहीं।

दूसरी और विजय केशरवानी के पास विश्वस्त लोगों की कमी बनी रही। उन्हें भितराघात का भी सामना करना पड़ा। एन चुनाव से पहले एक कांग्रेस नेता का एक ऑडियो वायरल हुआ जिसमें विजय केशरवानी के चार करोड़ रुपए देकर टिकट खरीदने की बातचीत थी। जिसकी रिकार्डिंग वायरल होने से विजय केशरवानी की छवि को काफी नुकसान पहुंचा। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने राजेंद्र उर्फ डब्बू साहू को अपना प्रत्याशी बनाया था जो मात्र 6 हजार वोटों से चुनाव हारे थे। इस बार उन्हें टिकट नहीं दी गई। बेलतरा में साहू समाज के वोटरों की भी अच्छी खासी तादाद है।राजेंद्र साहू को टिकट नहीं मिलने से साहू समाज के वोटर नाराज हो गए और उनके वोट भाजपा में शिफ्ट हो गए। युवा सुशांत के मतदाताओं के बीच पहुंचकर उन्हें आकर्षित करने की छवि ने सुशांत को फायदा पहुंचाया। जिसके चलते उम्रदराज विजय केशरवानी को मतदाताओं ने नकार दिया।


Gopal Rao

गोपाल राव: रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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