BJP MLA Sampat Agrwal Biography in Hindi: भाजपा विधायक संपत अग्रवाल का जीवन परिचय...
MLA Sampat Agrwal Biography:- संपत अग्रवाल भाजपा की टिकट पर महासमुंद जिले की बसना विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए है। बसना अनारक्षित सीट है। संपत अग्रवाल नगर पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके द्वारा स्थापित नीलांचल सेवा समिति ने क्षेत्र में कई सामाजिक कार्य किए हैं। 2018 में भाजपा से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने पर उन्हें 50 हजार वोट मिले थे।
BJP MLA Sampat Agrwal Biography in Hindi: भाजपा की टिकट पर महासमुंद जिले की बसना विधानसभा से संपत अग्रवाल विधायक निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने कांग्रेस के देवेंद्र बहादुर सिंह को 36793 मतों के अंतर से चुनाव हराया है। संपत अग्रवाल लंबे समय से भाजपा की राजनीति में सक्रिय थे। पिछले चुनाव में उन्होंने टिकट नहीं मिलने पर भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़ा था।
55 वर्षीय संपत अग्रवाल पीएचडी की मानद उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। संपत अग्रवाल बसना व सरायपाली क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय है। वे नीलांचल सेवा समिति के संस्थापक है। उनके सेवा समिति ने क्षेत्र में कई काम किए है। नीलांचल सेवा समिति क्षेत्र में कई सामाजिक कामों में सक्रिय है। संपत अग्रवाल नगर पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके साथ ही जनपद में भी उनका खासा प्रभाव है।
संपत अग्रवाल भाजपा से 2018 में टिकट मांग रहे थे। पर उनको भाजपा ने टिकट नहीं दिया। तब उन्होंने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय ही चुनाव लडा था। इस चुनाव में वो 50 हजार मत प्राप्त कर दूसरे नंबर पर रहे थे। जबकि चुनाव कांग्रेस ने जीता था। निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण उन्हें भाजपा ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था। पर अब उन्हें फिर से भाजपा में शामिल कर टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की।
बसना में कुल 186899 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। भाजपा के संपत अग्रवाल को 108871 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। कांग्रेस के देवेंद्र बहादुर सिंह को 72078 वोट मिले। संपत अग्रवाल ने 36793 मतों से चुनाव जीता। नोटा को 1443 वोट मिले। यहां कुल उम्मीदवार दस थे।
इस चुनाव में बसना विधानसभा से जब से भाजपा ने संपत अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया तब से उनकी जीत पैमानी जा रही थी क्योंकि संपत अग्रवाल ने 2018 को चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़ा था। इसके बावजूद उसे 50 हजार से ज्यादा मत मिले थे। उनकी चुनावी रणनीति पूरे 5 साल बनती रही उन्होंने पूरे 5 साल तक के क्षेत्र में सक्रियता बनाए रखी। सामाजिक धार्मिक आयोजन करते रहे और उनमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को भागीदार बनाते रहे। यह उनकी सभी राजनीति का हिस्सा था उनके कामों को क्षेत्र की जनता ने सराहा उनके पक्ष में मतदान किया।