BJP MLA Chitram Atami Biography in Hindi: भाजपा विधायक चैतराम अटामी का जीवन परिचय...
MLA Chitram Atami Biography:– चैतराम अटामी दंतेवाड़ा विधानसभा से भाजपा की टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए है। पहली बार विधायक का चुनाव लड़ने वाले चैतराम अटामी ने कांग्रेस प्रत्याशी छविंद्र कर्मा को 16803 मतों के अंतर से चुनाव हराया है। उपसरपंच के पद से अपने राजनीति की शुरुआत करने वाले अटामी जनपद सदस्य,जिला पंचायत सदस्य रहें है। वर्तमान में जिला भाजपा अध्यक्ष भी है।
BJP MLA Chitram Atami Biography in Hindi: भाजपा की टिकट पर दंतेवाड़ा जिले की दंतेवाड़ा विधानसभा सीट से चैतराम अटामी विधायक निर्वाचित हुए है। उन्होंने कांग्रेस के छविंद्र कर्मा को 16803 वोटो के अंतर से चुनाव हराया है। दंतेवाड़ा अनुसूचित जाति जनजाति के लिए आरक्षित सीट हैं। जिसे विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 88 के नाम से जाना जाता है। चैतराम अटामी पहली बार विधायक चुनाव लड़े है।
47 वर्षीय चैतराम अटामी के पिता का नाम बोसा अटामी हैं। वे छिंदनार रोड़, मंझारपारा, कासोली पोस्ट, कासोली तहसील गीदम पोस्ट जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा के रहने वाले हैं। उनका मोबाइल नंबर 8889864534 हैं। चैतराम अटामी का विवाह मल्लिका अटामी से हुआ हैं। उनकी एक पुत्री केसर अटामी हैं। चैतराम अटामी हायर सेकेंडरी तक पढ़े लिखे हैं।
चैतराम अटामी उपसरपंच रहे थे। जिसके बाद वे जनपद सदस्य रहें थे। जिला पंचायत सदस्य भी निर्वाचित हुए थे। अटामी जिला पंचायत अध्यक्ष के पद की दौड़ में भी रहें थे। वर्तमान में अटामी जिला भाजपा अध्यक्ष हैं।
दंतेवाड़ा विधानसभा में कुल 134 532 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। भाजपा के चैतराम अटामी को 57739 वोट मिले। कांग्रेस के प्रत्याशी छविंद्र कर्मा को 40936 वोट मिले। भाजपा के प्रत्याशी चैतराम अटामी ने 16803 वोट से जीत हासिल की। तीसरे स्थान पर रहे सीपीआई के प्रत्याशी भीमसेन मंडावी को 9217 वोट मिले। नोटा को 3628 वोट मिले। यहां कुल 8 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे।
छविंद्र कर्मा के पिता महेंद्र कर्मा विधायक थे। उनके बाद उनकी मां देवती कर्मा लगातार दो बार से विधायक थी। इसके चलते यहां एंटी इंकम्बेंसी थी। एक ही परिवार से लगातार प्रत्याशी बनाना जनता को रास नहीं आया। पिछले चुनाव में छविंद्र कर्मा ने कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर अपनी मां के खिलाफ ही निर्दलीय पर्चा भर दिया था। फिर बड़े कांग्रेस नेताओं व घर के सदस्यों की समझाइश व अगले चुनाव में टिकट देने के आश्वासन पर उन्होंने अपना नामांकन वापस लिया था। मां के खिलाफ ही नामांकन भरने के चलते छविंद्र कर्मा की छवि क्षेत्र में खराब हुई थी। जनता को भी कम परिवार से बाहर का विधायक चाहिए था। दूसरी ओर चैतराम अटामी की छवी सहज,सरल और मिलनसार है। जिसके चलते उन्हें चुनाव में फायदा मिला और वे चुनाव जीत गए।