Bilaspur News: नगरीय निकाय चुनाव: कांग्रेस के जाति मुद्दे को मतदाताओं ने कर दिया सिरे से खारिज
Bilaspur News: नामांकन पत्रों की जांच के दौरान पूजा विधानी के ओबीसी जाति प्रमाण पत्र को लेकर जिस तरह कांग्रेस व बसपा ने आपत्ति दर्ज कराई और मामला न्यायालय तक लेकर गए, इससे विवाद की स्थिति बनी। विपक्षी दलों की रणनीति भी यही थी। इसमें काफी हद तक वे सफल भी रहे। जाति प्रमाण पत्र को विवादित कर कांग्रेस एक तरह से राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश भी करती रही, कांग्रेस और विपक्षी दलों की कोशिशों को मतदाताओं ने सिरे से खारिज कर दिया है। पूजा को मिले वोटों के आंकड़े से यह साफ हो रहा है कि मतदाताओं के लिए उनकी जाति कोई मुद्दा नहीं था। देखें चक्रवार वोटों के आंकड़े।
Bilaspur News: बिलासपुर। नगरीय निकाय चुनाव माहौल के शुरुआती दिनों में कांग्रेस ने भाजपा प्रत्याशी पूजा विधानी के ओबीसी जाति प्रमाण पत्र को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की। नामांकन पत्रों की जांच के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद नायक ने जाति प्रमाण पत्र को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी। बसपा प्रत्याशी ने इसे कोर्ट ले गया। विपक्षी दलों ने अपनी तरफ से इसे चुनावी मुद्दा बनाने की भरपूर कोशिश की। चुनावी कैंपेनिंग के दौरान उनकी कोशिश जारी रही। कामयाबी कितनी मिल ये तो वही जाने, हकीकत ये कि मतदाताओं ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। ना केवल खारिज किया वरन रिकार्ड वोटों से पूजा विधानी को जीताकर विकास भवन पहुंचा दिया है।
मौजूदा नगर निगम चुनाव में भाजपा उम्मीदवार पूजा विधानी के ओबीसी जाति प्रमाण कोई मुद्दा नहीं बन पाया। विपक्षी दलों की रणनीति काम नहीं आई। वोटों के आंकड़े और चक्रवार गिनती में पूजा विधानी को मिले वोटों के भारी अंतर से यह साफ हो गया है। महापौर पद के वोटों की गिनती 10 राउंड में पूरा हुआ। चक्रवार गिनती के आंकड़ों और मिले वोटों की संख्या पर नजर डालें तो भाजपा की उम्मीदवार पूजा विधानी ने शुरुआत में जो बढ़त बनाई वह अंतिम राउंड तक कायम रही। एक भी राउंड ऐसा नहीं रहा जिसमें उनके वोटों की बढ़त का आंकड़ा हजार से कम हो। निगम सीमा के 70 वार्डाें में ऐसा एक भी वार्ड नहीं रहा जहां पूजा विधानी को पीछे मुड़कर देखना पड़ा हो या फिर अगले राउंड में बढ़त का इंतजार करना पड़ा हो।
मौजूदा निकाय चुनाव में अब तस्वीर पूरी तरह साफ हो गई है। यह भी तय हो गया है कि शहर के मतदाताओं ने पांच साल शहर सरकार चलाने का जिम्मा भाजपा को सौंप दिया है। भाजपा के हाथों में सत्ता सौंपने का काम शहर के किसी खास वर्ग या फिर विशेष रूप से किसी वार्ड के समूह ने नहीं किया है। अमूमन सभी वार्डों में भाजपा के मेयर प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है। खास बात ये कि जिन 17 वार्डाें में कांग्रेस के पार्षद चुनाव जतीने में सफल रहे वहां भी भाजपा की महापौर प्रत्याशी ने अपनी बढ़त बनाई है। जनता के बीच लोकप्रियताके पैमाने पर वह पूरी तरह निखरकर सामने आई हैं। यह कहना इसलिए भी जरुरी है कि नामांकन पत्रों की जांच के दौरान पूजा विधानी के ओबीसी जाति प्रमाण पत्र को लेकर जिस तरह कांग्रेस व बसपा ने आपत्ति दर्ज कराई और मामला न्यायालय तक लेकर गए, इससे विवाद की स्थिति बनी। विपक्षी दलों की रणनीति भी यही थी। इसमें काफी हद तक वे सफल भी रहे। जाति प्रमाण पत्र को विवादित कर कांग्रेस एक तरह से राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में थी। पाश कालोनियों से लेकर पढ़े लिखे मतदाताओं के बीच उन्होंने इस मुद्दे को हवा देने की कोशिश भी की। चुनावी माहौल में वे मुद्दे को उठाने और भुनाने में कितना सफल रहे या असफल ये तो वे ही जाने, परिणाम आने के बाद यह तो तय हो गया है कि विपक्षी दलों के इस मुद्दे को मतदाताओं ने सिरे खारिज कर दिया है।
बसपा, आप सहित छह उम्मीदवार नहीं बचा पाए जमानत
बिलासपुर नगर निगम के महापौर की कुर्सी के लिए 8 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। भाजपा की चली आंधी के बीच छह उम्मीदवार जमानत तक नहीं बचा पाए। बसपा और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी भी अपनी जमानत गंवा बैठे हैं। इस चुनाव की एक और बात खास रही। बड़ी संख्या में लोगों ने नोटा का बटन भी गुस्से में दबाया है। आंकड़ा भी कम नहीं है। 2892 लोगों ने नोटा का बटन दबाया है। इन सबके बावजूद भाजपा की उम्मीदवार पूजा विधानी ने जीत का ऐसा कीर्तिमान रचा है जो आने वाले दिनों में शायद ही कोई क्रेक कर पाए।