अखिलेश अखिल
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के महीने भर पूरे हो गए। 30 दिनों की यह यात्रा तमिलनाडु ,केरल को नाप चुकी है और कर्नाटक को भी आधा नाप कर आगे बढ़ती जा रही है। कर्नाटक के बाद महाराष्ट्र की बारी है। इन 30 दिनों में राहुल गांधी की यह यात्रा करीब सात सौ किलोमीटर की दुरी को लांघ चुकी है। लेकिन जिस तरह से इस यात्रा को जन समर्थन मिल रहा है कहा जा रहा है कि यात्रा जब अंतिम मुकाम पर होगी तबतक गुजरात और हिमाचल के चुनाव ख़त्म हो गए होंगे और वहाँ नई सरकार भी बन चुकी होगी। याद रहे गुजरात और हिमाचल में इसी साल के नवम्बर -दिसंबर में चुनाव होने हैं।
लेकिन कहानी यह नहीं है कि यात्रा के दौरान ही गुजरात और हिमाचल के चुनाव संपन्न हो जायेंगे। कहानी तो यह बनती दिख रही है कि इस यात्रा से कांग्रेस को क्या मिलेगा ? कहानी यह है कि दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस कितनी मजबूत जगह बना पायेगी और कहानी यह भी है अगर दक्षिण राज्यों को कांग्रेस साध गई तो आगामी लोक सभा चुनाव में बीजेपी की चुनौती कितनी बड़ी होगी ?
दक्षिण भारत के पांच राज्यों की कहानी रोचकता से बढ़ी है। कभी यह इलाका कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था लेकिन जैसे -जैसे क्षेत्रीय पार्टियां अपनी अस्मिता को बचाये रखने के लिए कांग्रेस को चुनौती देते गई कांग्रेस अपना आधार खोती गई। हालत इतनी खराब हुई कि कई राज्योँ से कांग्रेस का सुफरा साफ़ होता गया। लेकिन हर बार के चुनाव में उत्तरा भारत की अपेक्षा दक्षिण भारत ही कांग्रेस का साथ दिया यह भी इतिहास में दर्ज है। कांग्रेस इस यात्रा के जरिए फिर से दक्षिण को साध रही है। इसे आप दक्षिण का कोंग्रेसी अभियान भी कह सकते हैं। अगर यह अभियान सफल हो गया और दक्षिण के राज्य अगर राहुल को अपना लिए तो आगामी चुनाव में खेल अद्भुत हो सकता है। कांग्रेस की यही कोशिश है और बीजेपी की चिंता यहीं से बढ़ जाती है। दक्षिण भारत में कांग्रेस के पांव जम गए तो बीजेपी की मुसीबत बढ़ जाएगी।
दक्षिण के पांच राज्यों केरल ,तमिलनाडु ,कर्नाटक ,तेलंगाना और आंध्रा में लोकसभा की 129 सीटें है। इसमें केरल की 20 सीटें ,तमिलनाडु की 39 सीटें ,कर्नाटक की 28 सीटें ,तेलंगाना की 17 सीटें और आंध्र की 25 सीटें शामिल है। तेलंगाना में बीजेपी का कोई अस्तित्व अभी तक नहीं है। हालांकि बीजेपी वहाँ लगातार अपनी जगह तलाश रही है लेकिन केसीआर की राजनीति के सामने बीजेपी का दाव चलता नहीं दिख रहा है। कांग्रेस की हालत भी यहां पहले से काफी कमजोर है लेकिन अभी भी उसका वोट बैंक बचा हुआ है। 2019 के लोकसभ चुनाव में हालांकि कांग्रेस को मात्र 3 सीट ही हाशिल हुई लेकिन उसके पक्ष में करीब 30 फीसदी वोट पड़े थे। जबकि 35 फीसदी वोट लेकर केसीआर को 13 सीटें मिल गई। अब कांग्रेस तेलंगाना को मजबूत करने को तैयार है। हालांकि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा तेलंगाना के बॉर्डर इलाके से गुजरेगी और कहा जा रहा है कि तेलंगान में भी इस यात्रा को लेकर मुनादी दी जा रही है और पार्टी की प्रदेश इकाई बड़े स्तर पर यात्रा में शामिल होने को तैयार है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस इस बार के लोकसभा चुनाव में तेलंगाना से सात से आठ सीटें पाने की इच्छा रखती है। इसके लिए कई तरह के प्रयोग किये जा रहे हैं और माना जा रहा है कि खड़गे के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद तेलंगान पर कांग्रेस का फोकस बढ़ जाएगा।
जहाँ तक कर्नाटक का सवाल है पिछले लोक सभा चुनाव में कांग्रेस को यहां की कुल 28 सीटों में से मात्र 2 सीटों पर ही जीत हाशिल हुई थी जबकि बीजेपी के खाते में 25 सीटें चली गई थी। एक सीट अन्य पार्टी को मिली थी। अगले चुनाव में कर्नाटक से कांग्रेस को ज्यादा उम्मीद है। पार्टी के नेता मान रहे हैं कि जिस तरह से भारत जोड़ो यात्रा में कर्नाटक के लोग शामिल हो रहे हैं उससे पार्टी को करीब 15 सीट जीतने की सम्भावना बढ़ गई है। उम्मीद यह भी की जा रही है अगले साल यहाँ होने वाले विधान सभा चुनाव में भी पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में आ जाएगी। केरल में भी पार्टी का जनाधार पहले से ज्यादा बढ़ा है। राहुल गाँधी खुद केरल से ही चुनाव जीते हैं। कांग्रेस यहां से कम से कम 15 से ज्यादा सीटें पाने की उम्मीद पाले हुए है। पिछले चुनाव में कांग्रेस को यहां की कुल 20 सीटों में से 13 पर सफलता मिली थी।
आंध्रा में कांग्रेस के पास कुछ भी नहीं बचा है। आंध्र प्रदेश के पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान लगभग हर किसी को यह लग रहा था कि यहां भाजपा और कांग्रेस अपना खाता नहीं खोल पाएंगे। परिणामस्वरूप असली लड़ाई तेलुगू देशम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस के बीच रहेगी। परिणाम भी ऐसा ही रहा क्योंकि दोनों पार्टियां यहां अपना खाता तक नहीं खोल पाईं। कांग्रेस और बीजेपी को नोटा से भी कम मत मिले थे। नोटा को 25 लोकसभा सीटों में से 1.5 प्रतिशत वोट मिले जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत 0.96 रहा। कांग्रेस का प्रदर्शन थोड़ा सा बेहतर रहा और उसे 1.29 फीसदी मत मिले।
राज्य की 175 विधानसभा सीटों में नोटा को 1.28 प्रतिशत वोट मिले। कांग्रेस को 1.17 और भाजपा को 0.84 फीसदी वोट मिले। राज्य में दोनों पार्टियों के लोकसभा और विधानसभा उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है। इसमें भाजपा के राज्य अध्यक्ष कन्ना लक्ष्मीनारायण भी शामिल हैं जिन्होंने नारासोरापेट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। कांग्रेस की सबसे ज्यादा मुश्किल इसी राज्य में है। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि अगले चुनाव में कांग्रेस या तो वाईएसआर के साथ गठबंधन करेगी या फिर अपनी हालत को मजबूत करते हुए चार -पांच सीटों पर फोकस करेगी। इस फोकस वाली सीट पर कांग्रेस की जीत होती है तो बीजेपी की परेशानी और भी बढ़ सकती है। तमिलनाडु में डीएमके के साथ कांग्रेस का गठबंधन है और कांग्रेस के पास अभी भी वहाँ से 8 सांसद है। अगले चुनाव में कांग्रेस यहां से 15 सीट पाने की तैयारी में जुटी है। ऐसे में दक्षिण के कुल 129 सीटों में से कांग्रेस अगर 60 का आंकड़ा भी पार कर जाती है तो न सिर्फ कांग्रेस की स्थिति मजबूत होगी बल्कि बीजेपी के बढ़ते कदम पर भी लगाम लग जाएगी।
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के एक महीने पूरे हो गए। सात सितंबर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से राहुल गांधी के नेतृत्व में यात्रा की शुरुआत हुई थी। सात अक्टूबर को यात्रा के एक महीने पूरे हुए और इस एक महीने में सात सौ किलोमीटर की दूरी तय की गई है। तमिलनाडु और केरल के बाद अभी यात्रा कर्नाटक में है। पांच महीने की इस यात्रा में साढ़े तीन हजार किलोमीटर की दूरी तय की जानी है और यात्रा कश्मीर में समाप्त होगी।
अब एक नजर फिर से भारत यात्रा पर। बीते सात अक्टूबर को कांग्रेस की इस यात्रा में कर्नाटक की दिवगंत पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की मां इंदिरा लंकेश और बहन कविता लंकेश भी शामिल हुए। कर्नाटक के मांड्या जिले में बेलूर क्रॉस पर दोनों ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के साथ पदयात्रा की। गौरतलब है कि गौरी लंकेश की पांच सितंबर 2017 की रात बेंगलुरु के राजराजेश्वरी नगर में उनके घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या का मामला अदालत में चल रहा है। गौरी लंकेश की मां इंदिरा लंकेश और बहन कविता लंकेश यात्रा के दौरान राहुल गांधी से मिलीं और फिर इस यात्रा में कुछ दूर पैदल चलीं। राहुल गांधी ने इंदिरा लंकेश को गले लगाकर उनका स्वागत किया। पदयात्रा के दौरान राहुल गांधी दिवंगत पत्रकार की मां का हाथ पकड़कर चल रहे थे। गौरी लंकेश के परिवार के सदस्यों के इस यात्रा में शामिल होने पर राहुल गांधी ने ट्विट भी किया। उन्होंने लिखा- गौरी सत्य के लिए खड़ी थीं, गौरी साहस के लिए खड़ी थीं, गौरी स्वतंत्रता के लिए खड़ी थीं, मैं गौरी लंकेश और उनके जैसे अनगिनत अन्य लोगों के लिए खड़ा हूं, जो भारत की सच्ची भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत जोड़ो यात्रा उनकी आवाज है। इसे कभी भी खामोश नहीं किया जा सकता।
राहुल के इस प्रयास की काफी सराहना की जा रही है और लगता है कि जिस तरह से केरल ,तमिलनाडु से भी ज्यादा कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा का समर्थन मिल रहा है बीजेपी की मुसीबत बढ़ती जा रही है। इस यात्रा के बाद कांग्रेस की दूसरी यात्रा पश्चिम से पूरब दिशा की तरफ होनी है और इसकी काट के लिए बीजेपी अभी से तैयारी कर रही है।