Bharat Jodo Nyay Yatra: छत्तीसगढ़ की सीमा पर पहुंची राहुल की यात्रा, कल होगा प्रवेश: इधर, महिला कांग्रेसियों ने प्रेसवार्ता लेकर रखी ये मांगें...
Bharat Jodo Nyay Yatra: राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा कल छत्तीसगढ़ पहुंच रही है। यात्रा का स्वागत करने के लिए प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेता छत्तीसगढ़- ओडिशा की सीमा पर पहुंच गए हैं।
Bharat Jodo Nyay Yatra: रायपुर। राहुल गांधी की भारत जोड़ों न्याय यात्रा छत्तीसगढ़ की सीमा तक पहुंच गई है। कल दोपहर रायगढ़ जिला के दर्रामुड़ा से छत्तीसगढ़ में प्रवेश करेगी। इस दौरान दोनों राज्यों की सीमा पर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ता एकत्र होंगे और वहां जनसभा भी होगी। राहुल कल दर्रामुड़ा में ही रात्रि विश्राम करेंगे।
कांग्रेस नेताओं ने बताया कि 9 और 10 तारीख को यात्रा का विश्राम रहेगा। 11 फरवरी को दर्रामुड़ा से यात्रा फिर शुरू होगी। रायगढ़ शहर होते हुए यात्रा आगे बढ़ेगी और दोपहर में नहरपारा खरसिया रोड़ पर प्रेस कांफ्रेंस होगी। खरसिया होते हुए यात्रा सक्ती जिला मुख्यालय पहुचेंगी और वहां सभा होंगी इसके बाद कोरबा जिले के भैसमा में राहुल रात्रि विश्राम करेंगे। 12 फरवरी को भैसमा से यात्रा बढ़ेगी और कोरबा शहर होते हुए बरपाली और गोरसिया से बढ़कर शिवनगर पहुंचेंगी। 13 फरवरी को यात्रा रामगढ़ बस स्टेशन चौक पहुंचेगी और वहां पद यात्रा शुरू होंगी। इसके बाद कला केन्द्र अंबिकापुर में आम सभा होंगी और बलरामपुर जिले के झिंगों में रात्रि विश्राम रहेगा। 14 फरवरी को पुराना सर्किट हाउस बलरामपुर से यात्रा शुरू होंगी और रामानुजगंज होते हुए उत्तरप्रदेश में प्रवेश करेंगी।
इधर, आज यहां राजधानी स्थिति प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में प्रदेश प्रवक्ता वंदना राजपूत ने नारी न्याय पर प्रेसवार्ता को संबोधित किया। हमारे नेता राहुल गांधी इस समय ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ पर हैं, जहां वह सभी पृष्ठभूमि के सैकड़ों लोगों से मिल रहे हैं। हर्ष का विषय है कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा कल छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर रही है। हम अखिल भारतीय महिला कांग्रेस में लगातार महिलाओं तक पहुंच कर उनके विचार सुन रहे हैं। हमें अलग-अलग सुझाव मिले हैं और हम ’नारी न्याय’ के रूप में अपनी मांगों को रेखांकित कर रहे हैं। ये हैं हमारी मुख्य मांगें-
1) आर्थिक सशक्तिकरण
महंगाई/ मूल्य वृद्धि - लगातार महंगाईऔर इसे नियंत्रित करने में मोदी सरकार की विफलता के कारण महिलाओं के लिए अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है, जिसमें एलपीजी गैस, खाद्य तेल, खाद्यान्न, किराने का सामान जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने में विफलता भी शामिल है। इसलिए इन सभी वस्तुओं की कीमत को आपातकालीन आधार पर विनियमित और नियंत्रित करने और उस पर पर्याप्त सब्सिडी प्रदान करने की आवश्यकता है।
समान काम के लिए समान वेतन - विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत में पुरुष श्रम आय का 82 प्रतिशत कमाते हैं, जबकि महिलाएं इसका 18 प्रतिशत कमाती हैं। इसके अलावा कृषि और वेतनभोगी वर्ग में लगी महिलाएं पुरुषों की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत कम कमाती हैं। इसलिए हम मांग करते हैं कि सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए नियम लाने की जरूरत है कि लिंग-अंतर समानता को जल्द से जल्द पाटा जाए।
2) सामाजिक सशक्तिकरण
स्वास्थ्य देखभाल/प्राथमिक प्रसव केंद्र - कांग्रेस शासन के दौरान, गांवों में खोले गए अधिकांश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अब या तो बंद हो गए हैं या बिना किसी मेडिकल स्टाफ के संचालित हो रहे हैं। महिलाओं के लिए बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल ढांचे का पूरी तरह से अभाव है और भारत में 15 से 49 वर्ष की आयु की अधिकांश 57 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। इसके अलावा गांवों में प्रसव केंद्रों की कमी का मतलब है कि महिलाओं को प्रसव के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, जिससे जोखिम बढ़ जाता है और सबसे गंभीर चरण में महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो जाता है। सरकार को पूरे भारत में, खासकर ग्रामीण इलाकों में बुनियादी स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करने के साथ-साथ एक व्यापक स्वास्थ्य पैकेज लाने की जरूरत है।
शिक्षा - कांग्रेस ने सभी के लिए मुफ्त प्राथमिक शिक्षा शुरू करने में मदद की और आईआईटी और आईआईएम सहित कई प्रतिष्ठित संस्थान स्थापित किए। भारत में शिक्षा व्यवस्था चरमरा रही है और भाजपा सरकार शिक्षा के लिए बजटीय आवंटन लगातार कम कर रही है। भारत में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है और सरकार इन पदों को जानबूझकर अतिथि शिक्षकों से नहीं भर रही है क्योंकि सेवा शर्तों को हटाने के साथ उन्हें कम पारिश्रमिक पर रखना आसान है। साथ ही स्कूल जाने वाली लड़कियाँ सुरक्षित महसूस नहीं करतीं और देशभर से स्कूल जाते समय लड़कियों को परेशान किए जाने की कई खबरें आती रहती हैं। युवा लड़कियों को शारीरिक, मानसिक और साइबर हिंसा से बचाने के लिए बुनियादी सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ शिक्षा को सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
स्वच्छता/शौचालय - भारत में अधिकांश महिलाएं शौचालयों और स्वच्छता सुविधाओं की कमी के कारण सार्वजनिक स्थानों पर भाग लेने में असमर्थ हैं और गंभीर स्वच्छता संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं। सरकार के ’स्वच्छ भारत अभियान’ के बावजूद, अधिकांश गांवों में बुनियादी शौचालयों और स्वच्छता सुविधाओं का अभाव है और निचली जातियों की बस्तियों में विशेष भेदभाव होता है। हमारी मांग है कि शहरों और गांवों में हर 5 किलोमीटर की दूरी पर महिलाओं के लिए मुफ्त सार्वजनिक शौचालय स्थापित किए जाएं।
3) राजनीतिक सशक्तिकरण
राजनीतिक प्रतिनिधित्व - कांग्रेस ने पंचायत स्तर पर महिलाओं के लिए आरक्षण प्रदान करने वाला पंचायती राज अधिनियम लाया, जिससे जमीनी स्तर पर लाखों महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिला। हम महिला आरक्षण अधिनियम को तत्काल लागू करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं और इसकीमांग करते हैं। हालाँकि, भाजपा महिला प्रतिनिधित्व अधिनियम में बाधा डालकर और इसके कार्यान्वयन को अनिश्चित काल के लिए निलंबित करके भारत की महिलाओं के खिलाफ एक बड़ा धोखा कर रही है। यह वर्तमान सरकार के कई जुमलों में से एक है जो पर्याप्त प्रतिनिधित्व की पेशकश किए बिना भारतीय महिलाओं के वोटों को लुभाने की कोशिश कर रही है। हम महिला आरक्षण अधिनियम के तत्काल कार्यान्वयन और आगामी लोकसभा चुनावों के दौरान इसके प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता का आह्वान करते हैं।
हिंसा के खिलाफ संरक्षण और न्याय की आवश्यकता - भाजपा सरकार ने महिलाओं के खिलाफ सबसे जघन्य अपराध करने वालों की रक्षा करके, बिलकिस बानो मामले में अपराधियों को रिहा करने, मणिपुर मामले में बहरा कर देने वाली चुप्पी के साथ, न्याय के लिए महिलाओं की लड़ाई पर एक शैतानी रुख दिखाया है। महिला पहलवान मामले में बीजेपी सांसद को बचाना ताजा मामला है। हम भाजपा की महिला नेताओं सहित सरकार से मांग करते हैं कि महिलाओं के खिलाफ लगातार हो रहे अन्याय के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जाए, जिसमें महिलाओं के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली अपमानजनक भाषा और सड़कों और ऑनलाइन पर बेरोकटोक ट्रोल संस्कृति के खिलाफ प्रभावी कदम उठाए जाएं।
महिलाओं की गरिमा - भाजपा के शासनकाल के दौरान, हमने महिलाओं की गरिमा का लगातार उल्लंघन होते देखा है और भाजपा नेता अपने संवैधानिक अधिकारों के अनुरूप अपने मन की बात कहने वाली महिलाओं के खिलाफ सख्त गैरकानूनी कार्रवाई कर रहे हैं। हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं और यह सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं कि सभी नागरिकों की तरह महिलाओं को भी उनके निजी जीवन के सभी पहलुओं में संवैधानिक सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित किया जाए।
हम अखिल भारतीय महिला कांग्रेस में इस देश के संवैधानिक मूल्यों और उन महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो इस देश की आधी आबादी हैं लेकिन जिनके मुद्दे पूरे देश को प्रभावित करते हैं। प्रेसवार्ता में चंद्रवती साहू, अनुषा श्रीवास्तव, पूनम यादव, संगीता दुबे, डॉ. करूणा कुर्रे, लोकेश्वरी साहू, सुधा सिन्हा, प्रगति वाजपेयी उपस्थित थे।