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assembly elections: BJP का ओड़िया पर दांव! 20 साल बाद ओड़िया समाज से पुरंदर मिश्रा बनाए जाएंगे भाजपा प्रत्याशी, जानें कितनी सीटों पर होगा इसका असर

assembly elections: पुरंदर मिश्रा लंबे समय से सामाजिक और राजनीतिक जीवन में सक्रिय हैं, लेकिन शहर के लोगों में जगन्नाथ रथयात्रा से पहचान बढ़ी है। वैसे जोगी शासन के दौरान वे कांग्रेस से जुड़े रहे, लेकिन बाद में भाजपा में आ गए।

assembly elections: BJP का ओड़िया पर दांव! 20 साल बाद ओड़िया समाज से पुरंदर मिश्रा बनाए जाएंगे भाजपा प्रत्याशी, जानें कितनी सीटों पर होगा इसका असर
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By Sanjeet Kumar

अविभाजित मध्यप्रदेश में सरायपाली और बसना क्षेत्र से पहले जयदेव सतपथी, उनके बेटे लक्ष्मण सतपथी और राज्य बनने के बाद डॉ. त्रिविक्रम भोई ने प्रतिनिधित्व किया है

रायपुर। छत्तीसगढ़ में भाजपा ने इस बार राजधानी रायपुर की एक सीट से ओड़िया समाज के प्रतिनिधि को टिकट देने का निर्णय लिया है। ओड़िया समाज की गतिविधियों में लंबे समय से सक्रिय पुरंदर मिश्रा का नाम रायपुर उत्तर से लगभग तय है। पहली बार है, जब ओड़िया समाज के किसी प्रतिनिधि को भाजपा ने राजधानी की किसी सीट से उतारने का मन बनाया है। इससे पहले सराईपाली सीट से भाजपा ने श्याम तांडी को उतारा था। हालांकि तांडी की हार हो गई। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय जयदेव सतपथी और उनके बेटे लक्ष्मण सतपथी सराईपाली और बसना क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं, जबकि राज्य बनने के बाद डॉ. त्रिविक्रम भोई 2003 में भाजपा के विधायक बने थे।

आगे पढ़ें पुरंदर मिश्रा के उम्मीदवार बनने का असर कहां पर

छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ सालों में ओडिशा मूल के लोगों की संख्या बढ़ी है। समाज का दावा है कि ओड़िया समाज के मतदाताओं की संख्या 15 लाख के आसपास हो गई है। वहीं कुल जनसंख्या 35 लाख के आसपास है। यहां 24 जातियां रहती हैं। इनमें ब्राह्मण, कोलता, सौंरा, गोंड़, महाकुल, गाड़ा, घासी घसिया, यादव, धोबी, केंवट, मेहेर समाज (भूलिया), तेली, सोनार, सोढ़ी, माली, नाई, खडिया, बिंझावर, खर्रा, कुम्हार, कंसारी, कोडा, भुइया और महांती शामिल हैं।

सबसे ज्यादा ओड़िया समाज के लोग रायपुर जिले में रहते हैं। इसके बाद दुर्ग-भिलाई, महासमुंद, रायगढ़, गरियाबंद, जशपुर व जगदलपुर में लोग हैं। सबसे कम संख्या बिलासपुर, अंबिकापुर और कोरिया में है। पुरंदर मिश्रा के जरिए भाजपा इन जिलों के वोटरों को साधना चाहती है। पिछले चुनाव में भाजपा ने एससी वर्ग के लिए आरक्षित सरायपाली सीट से श्याम तांडी के जरिए यह कोशिश की थी, लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं रहा।

जगन्नाथ रथ यात्रा से बढ़ी पहचान

पुरंदर मिश्रा लंबे समय से सामाजिक और राजनीतिक जीवन में सक्रिय हैं, लेकिन शहर के लोगों में जगन्नाथ रथयात्रा से पहचान बढ़ी है। वैसे जोगी शासन के दौरान वे कांग्रेस से जुड़े रहे, लेकिन बाद में भाजपा में आ गए। इसके बाद से वे लगातार भाजपा में ही सक्रिय हैं। भाजपा के तीसरे कार्यकाल में क्रेडा के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा भाजपा संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रह चुके हैं। वे छत्तीसगढ़ सर्व उड़िया समाज के प्रदेश अध्यक्ष हैं।

चार बार विधायक रहे सतपथी

अविभाजित मध्यप्रदेश के समय जयदेव सतपथी सरायपाली और बसना क्षेत्र से दो-दो बार विधायक रहे। इसके बाद उनके बेटे लक्ष्मण सतपथी 1972 और 1989 में विधायक रहे। 2003 में डॉ। त्रिविक्रम भोई विधायक बने। हालांकि दूसरी बार भोई को मौका नहीं मिला। इसके बाद एक तरह से ओड़िया समाज को विधानसभा में प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया। इससे पहले अलग-अलग चुनावों में समाज की ओर से विधानसभा के साथ-साथ रायपुर लोकसभा से टिकट की भी मांग रखी जा चुकी है।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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