33 सांसद सस्पेंड: पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल बोले-नियमों की अवहेलना के कारण कठोर फैसला करना पड़ा...
नई दिल्ली। संसद में हंगामा और नारेबाजी करने एवं प्लेकार्ड लेकर आने पर सख्त कार्रवाई करते हुए लोकसभा ने सोमवार को अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, टीआर बालू, ए राजा, दयानिधि मारन, कल्याण बनर्जी, सौगत राय और एनके प्रेमचंद्रन सहित 33 सांसदों को सदन से निलंबित कर दिया।
इन 33 में से 30 सांसदों को संसद के वर्तमान सत्र की बची हुई अवधि के लिए निलंबित किया गया है। वहीं, इनमें से 3 सांसदों, अब्दुल खालिक, विजयकुमार वसंत और के जयकुमार, के मामले को संसद की विशेषाधिकार समिति को भेजते हुए इन्हें समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए निलंबित कर दिया गया है।
निलंबन के समय लोकसभा की कार्यवाही का संचालन कर रहे पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने बाद में मीडिया से बात करते हुए निलंबन की कार्रवाई को सही ठहराया। अग्रवाल ने कहा कि निरंतर नियमों की अवहेलना करने, सदन में प्लेकार्ड लहराने, हंगामा और नारेबाजी करने और वेल में आने के कारण 33 सांसदों को निलंबित करने का यह कठोर फैसला आसन को लेना पड़ा।
उन्होंने कहा कि सोमवार सुबह 11 बजे जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई थी, उस समय स्पीकर (ओम बिरला) ने सभी से नियमों का पालन करने और सदन चलने देने का आग्रहपूर्वक अनुरोध किया, लेकिन वे नहीं माने। इस कारण से सदन में प्रश्नकाल नहीं चल पाया, सदन को स्थगित करना पड़ा। फिर 12 बजे भी वही हुआ, 2 बजे भी वही हुआ इसलिए विवश होकर आसन को यह कठिन निर्णय लेना पड़ा और 33 सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव सदन ने पास कर दिया। इसमें से 3 सांसद अध्यक्ष के पीठ तक आ गए थे, यह गंभीर घटना थी, उन्होंने मर्यादा का गंभीर उल्लंघन किया है। इसलिए उनके मामले को सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजते हुए उन तीन सांसदों को समिति की रिपोर्ट आने तक लोकसभा से निलंबित करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
विपक्षी दलों और निलंबित सांसदों के लोकतंत्र का गला घोंटने के आरोपों पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि सदन नहीं चलने देकर वास्तव में वे लोकतंत्र का गला घोंट रहे हैं, वह अन्य लोकसभा सांसदों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं। हंगामे की वजह से अन्य सांसद सदन में अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं।
आपको बता दें कि सोमवार को हंगामे और नारेबाजी के कारण लोकसभा की कार्यवाही लगातार स्थगित होती रही। दोपहर बाद 3 बजे लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने पर पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने हंगामा कर रहे सांसदों का नाम पढ़ा, जिसके बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने 33 सांसदों को सदन से निलंबित करने का प्रस्ताव सदन में रखा, जिसे लोकसभा ने स्वीकार कर लिया।
इसके बाद अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, एन्टो एंटोनी, के. मुरलीधरन, के सुरेश, अमर सिंह, राजमोहन उन्नीथन, सु थिरूनवुक्करास, विजयकुमार वसंत, के जयकुमार, अब्दुल खालिक, टीआर बालू, ए राजा, दयानिधि मारन, गणेशन सेल्वम, सी एन अन्नादुरई, टी. सुमति, एस. एस. प्लानिमणिक्कम, एस. रामलिंगम, वी कलानिधि, कल्याण बनर्जी, सौगत राय, शताब्दी राय, असित कुमार माल, प्रतिमा मंडल, काकोली घोष, सुनील मंडल, प्रसून बनर्जी, अपरूपा पोद्दार, ईटी मोहम्मद बशीर, कनी के नवस, कौशलेंद्र कुमार और एनके प्रेमचंद्रन को लोकसभा से निलंबित कर दिया गया।
इनमें से 3 सांसदों, अब्दुल खालिक, विजयकुमार वसंत और के जयकुमार के मामले को संसद की विशेषाधिकार समिति को भेजते हुए इन्हें समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए निलंबित किया गया है। वहीं, अन्य 30 सांसदों को संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र की बची हुई अवधि के लिए निलंबित किया गया है। इससे पहले पिछले सप्ताह 13 सांसदों को लोकसभा से निलंबित किया जा चुका है।