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पवन की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज, 3 मार्च को फांसी टालने के लिए दायर अक्षय की याचिका भी कोर्ट ने ठुकराई… पवन ने अपनाया आखिरी रास्ता, भेजी दया याचिका

पवन की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज, 3 मार्च को फांसी टालने के लिए दायर अक्षय की याचिका भी कोर्ट ने ठुकराई… पवन ने अपनाया आखिरी रास्ता, भेजी दया याचिका
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By NPG News

नईदिल्ली 2 मार्च 2020. निर्भया के गुनहगार पवन कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने पवन कुमार की क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोषी अक्षय और पवन की तरफ से लगाई गई याचिका को पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया.

इस बीच दोषी पवन के वकील एपी सिंह एक बार फिर पटियाला हाउस कोर्ट पहुंच गए हैं और उनका कहना है कि डेथ वारंट पर रोक लगनी चाहिए, क्योंकि पवन ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका लगाई है. हालांकि, निर्भया की मां का दावा है कि कल ही दोषियों की फांसी होगी.

न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कहा दोषी की दोषसिद्धि और सजा की पुन: समीक्षा का कोई मामला नहीं बनता। पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण हैं।

वकील ए पी सिंह ने बताया था कि उन्होंने रविवार को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में एक अर्जी दाखिल कर खुली अदालत में पवन की सुधारात्मक याचिका पर मौखिक सुनवाई का अनुरोध किया। दोषियों में केवल पवन के पास ही अब सुधारात्मक याचिका दायर करने का विकल्प बचा था।

दक्षिणी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को चलती बस में एक छात्रा से सामूहिक बलात्कार की घटना हुई थी और दोषियों ने बर्बरता करने के बाद उसे बस से फेंक दिया था। बाद में उसकी मौत हो गई। पवन और एक अन्य दोषी अक्षय सिंह ने भी निचली अदालत का रुख कर मृत्यु वारंट की तामील पर रोक लगाने का अनुरोध किया।

बता दें कि पवन ने अपराध के समय खुद के नाबालिग होने का दावा करते हुए फांसी को उम्रकैद में बदलने का अनुरोध किया था. पवन ने वकील एपी सिंह के जरिए क्‍यूरेटिव याचिका दाखिल कर मामले में अपील और पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज करने का अनुरोध किया था.

निर्भया की मां आशा देवी ने सुनवाई से पहले कहा, ‘‘मैं अदालतों की निष्क्रियता से सदमे में हूं. पूरी दुनिया देख रही है कि दरिंदों के वकील कैसे कोर्ट को गुमराह कर फांसी पर अमल नहीं होने दे रहे हैं. इन दरिंदो ने फांसी से महज दो दिन पहले याचिका लगाई. मैं जानना चाहती हूं कि शीर्ष अदालत उसमें वक्त क्यों ले रही है. जब निर्णय हो चुका है, तो अमल में समय नहीं लगना चाहिए।’’

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