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मरीज को बंधकः पैसे के लिए अपोलो अस्पताल ने कांग्रेस कार्यकर्ता के पिता को बंधक बना लिया, बेटे ने लगाया आरोप…मुख्यमंत्री की स्वीकृत की गई राशि लेने अपोलो प्रबंधन तैयार नहीं, चार दिन से पैसे देकर डिस्चार्ज कराने का दबाव डाल रहा अस्पताल प्रबंधन

मरीज को बंधकः पैसे के लिए अपोलो अस्पताल ने कांग्रेस कार्यकर्ता के पिता को बंधक बना लिया, बेटे ने लगाया आरोप…मुख्यमंत्री की स्वीकृत की गई राशि लेने अपोलो प्रबंधन तैयार नहीं, चार दिन से पैसे देकर डिस्चार्ज कराने का दबाव डाल रहा अस्पताल प्रबंधन
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By NPG News

आनंद प्रताप मिश्रा
बिलासपुर, 30 सितंबर 2021। सिम्स में कांग्रेस नेता के रिश्तेदार की मौत की घटना के अभी 24 घंटे नहीं हुए कि बिलासपुर संभाग के सबसे बड़े प्रायवेट अस्पताल अपोलो हास्पिटल से संवेदनहीनता की एक बड़ी खबर आ रही है। अस्पताल अस्पताल ने एक कांग्रेस कार्यकर्ता के पिता को ठीक हो जाने के बाद भी पैसे के लिए बंधक बना लिया है। ये आरोप मरीज के बेटे ने लगाया है। उसे 23 सितंबर से अस्पताल प्रबंधन द्वारा कहा जा रहा कि पैसे जमाकर मरीज को डिस्चार्ज करा ले। जबकि, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके लिए मुख्यमंत्री सहायत योजना से इलाज के पेमेंट की स्वीकृति दे चुके हैं। लेकिन, अपोलो को यह राशि मंजूर नहीं है। बता दें, सीएम के यहां से जो स्वीकृति मिली है, उसमें स्पष्ट तौर पर लिखा है कि इस राशि से ज्यादा पैसे की डिमांड करने पर अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


बिलासपुर सम्भाग में स्वास्थ्य सेवाओ का हाल बेहाल है, जहां कांग्रेस की सरकार होने के बाद भी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को ही अदद इलाज के लिए तरसना पड़ रहा है। संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सिम्स के मामले में जहां कांग्रेस कार्यकर्ता चुट्टू अवस्थी के भाई को सही समय मे एमआरआई न होने के कारण इलाज में देर होने से जहां मौत हो गई तो वही जिला प्रशासन की जमीन पर लीज लेकर बने सम्भाग के सबसे बड़े मल्टी स्पेशलिटी हास्पिटल अपोलो में कांग्रेस कार्यकर्ता के पिता को मुख्यमंत्री द्वारा इलाज किये जाने की अनुशंसा स्वीकृत करने के पश्चात भी बिल पटाने के लिए बाध्य कर बिना बिल पटाये डिस्चार्ज नही किया जा रहा हैं।
हम बात कर रहे हैं रेल्वे क्षेत्र के चुचुहियापारा निवासी 65 वर्षीय सैय्यद महबूब अली पिता स्व. सैय्यद खुर्सीद अली की जो कि रेल्वे क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ता सैय्यद मकसूद अली के पिता हैं। उन्हें फेफड़े व किडनी में संक्रमण के कारण 6 सितम्बर को अपोलो में भर्ती करवाया गया था, पर उनकी खराब हालत को देखते हुए उन्हें आईसीययू में शिफ्ट कर दिया गया। वहाँ एक सप्ताह तक उनका उपचार चला। फिर उनकी तबियत में सुधार आने पर उन्हें वार्ड में शिफ्ट किया गया। भर्ती करने के समय उनके फेफड़े और किडनी में दिक्कत होने और उसके उपचार के लिए उन्हें 10 लाख रुपये इलाज में खर्च होने का स्टिमेट उनके परिजनों को बताया गया,जो कि उनके परिजनों की वहन क्षमता के बाहर था इसलिए उनके पुत्र सैय्यद मकसूद अली जो कि कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं ने कांग्रेस नेताओं से मदद माँगी।

मुख्यमंत्री की अनुशंसा

चुचुहियापारा मस्जिद के पास रहने वाले सैय्यद महबूब अली पूर्व में टांगा चला कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। अब उनका इकलौता पुत्र सैय्यद मकसूद अली केबल का काम कर किसी तरह परिवार का भरण पोषण करता हैं, साथ ही वह कांग्रेस का कार्यकर्ता भी हैं। इनके अलावा महबूब के परिवार में उनकी पत्नी व 4 बेटियां भी हैं जिनकी अब शादी हो चुकी हैं।
अपोलो ने इलाज के लिये 10 लाख रुपये का इस्टीमेट मरीज के परिजनों को दिया था। पर आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से उन्होंने मुख्यमंत्री से मदद मांगी। मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत मरीज सैय्यद महबूब अली के इलाज के लिए राशि की स्वीकृति दे दी।

मुख्यमंत्री ने नियम शिथिल कर दी स्वीकृतिः-

मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजनाअंतर्गत मुख्यमंत्री ने गैर अनुबंधित संस्थान के एक प्रकरण में उपचार हेतु नियम शिथिल कर स्वीकृति प्रदान की गई हैं। साथ ही आदेश में यह कहा गया हैं कि प्रकरण में दस्तावेजो का प्राथमिक तकनीकी परीक्षण के उपरांत ही मरीज के उपचार हेतु राशी स्वीकृत की गई हैं,साथ ही स्वीकृत पैकेज में ही मरीज को पूर्ण उपचार प्रदान करने के निर्देश अस्पताल को दिए। मरीज के इलाज हेतु 52500 की राशि स्वीकृत की गयी हैं। साथ ही निर्देश दिए गए हैं कि मरीज से अत्तिरिक्त राशि की मांग करने पर अस्पताल के। विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी।

ठीक होने के बाद भी नही दे रहे डिस्चार्ज

मरीज के पुत्र सैय्यद मकसूद अली ने एनपीजी से चर्चा में बताया कि 6 सितम्बर को भर्ती के बाद अपोलो में बिल देने के लिए कहने पर 28 हजार रुपये बिल पटाया था पर आगे पैसो की दिक्कत होने कांग्रेस के बड़े नेताओं से सम्पर्क किया जिस पर उन्होंने मुख्यमंत्री सहायता कोष से मदद की स्वीकृति दिलवाई। जिसको ले कर मैने अपोलो के अधिकारी देवेश गोपाल को ले जा कर दिखाया। मकसूद के अनुसार अपोलो प्रबंधन को भी इसकी जानकारी मेल के माध्यम से मिल चुकी हैं। मकसूद ने बताया कि उनके पिता के लंग्स व किडनी में दिक्कत थी जिसे डॉक्टर प्रदीप अग्रवाल देख रहे थे और अब उनके स्वास्थ्य में सुधार आने के बाद वो दो तीन बार डिस्चार्ज होने के लिए कह चुके हैं। पर अपोलो प्रबंधन बिना बिल पटाये डिस्चार्ज न करने पर आमादा है। मकसूद के अनुसार छुट्टी के समय मरीज के इलाज के फाइल में लिखी जाने वाली समरी भी डॉक्टरों ने लिख दी हैं पर बिना बिल पटाये यहां से जाने के लिये गेट पास ईश्यू नही किया जा रहा हैं। 23 तारीख तक के 5 लाख 12 हजार रुपये तक का बिल बन चुका था। अपोलो प्रबन्धन द्वारा लगातार मरीज के परिजनों पर बिल पटाने हेतु दबाव बनाया जा रहा हैं।
उधर, इस मामले में अपोलो प्रबंधन का पक्ष लेने के लिए बात करने का प्रयास किया गया लेकिन फोन पिक नहीं हुआ।

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