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पान-ठेले वाले का बेटा बना टॉपर: ..10वीं में TOP-10 में भी नहीं मिली थी जगह, अब 12वीं का स्टेट टॉपर बनकर दिखाया…. रिजल्ट देखने गया तो साइट ही हो गयी क्रैश….ऐसे मिली जानकारी

पान-ठेले वाले का बेटा बना टॉपर: ..10वीं में TOP-10 में भी नहीं मिली थी जगह, अब 12वीं का स्टेट टॉपर बनकर दिखाया…. रिजल्ट देखने गया तो साइट ही हो गयी क्रैश….ऐसे मिली जानकारी
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By NPG News

मुंगेली 23 जून 2020। 10वीं में टॉप-10 में भी ना आ पाने का जो मलाल था…उसे 12वीं का स्टेट टॉपर बनकर पूरा कर दिया….! कौन कहता है नाकामी रास्ता रोकती है ?….कौन कहता है गरीबी प्रतिभा के आड़े आती है?…कौन कहता है संसाधन ही शीर्ष पर पहुंचने की शर्त होती है?….अगर होती, ….तो मुंगेली की जमीं से एक नहीं दो-दो होनहार नहीं निकलते। 12वीं में टॉपर आये टिकेश की कामयाबी के पीछे संघर्ष की लंबी दास्तां है। पापा की पान-ठेले की दुकान है…और आये दिन परिवार का वास्ता गरीबी से पड़ता रहता है… बावजूद टिकेश टॉपर बनकर प्रदेश के लिए मिसाल बन गये।

हालांकि NPG से बात करते वक्त तक अपना रिजल्ट भी ठीक से नहीं देख पाया था।

“NPG ने पूछा…टिकेश आपने अपना रिजल्ट देखा?…आप रिजल्ट से संतुष्ट हो ?….

जवाब में टिकेश ने कहा- सर, मैं तो अपना रिजल्ट ही ठीक से नहीं देखा हूं, साइट पर देख रहा था तो क्रैश हो गया….लेकिन जब मोबाइल पर घंटी बजने लगी और टीवी पर टॉपर में मेरा नाम आया, तब जानकारी हुई”

12वीं की परीक्षा में 97.80 प्रतिशत अंक के साथ टॉप करने वाले टिकेश की तमन्ना दूसरे टॉपरों से बेहद जुदा है…उनकी चाहत IAS-IPS और PSC नहीं, बस देश के बेहतर इंजीनियर बनने की है। NPG से बात करते हुए टिकेश ने अपनी संघर्ष से लेकर सफलता तक की कहानी साझा की। मुंगेली के लिम्हा गांव के रहने वाले टिकेश के पिता गांव से ही सटे गिधा गांव में पान-ठेला चलाते हैं। गरीबी और मुसीबतों से उनका वास्ता पड़ता रहता है…लेकिन शायद कोई पल गुजरा हो, जब बेटे की पढ़ाई में इसका साया तक पड़ने दिया हो।

टिकेश के बड़े भाई भी गुड़गांव में पढ़ाई करते हैं। सरस्वती शिशु मंदिर मुगेली के छात्र टिकेश बताते है कि

“”टॉपर का कोई ना तो सिक्रेट होता है और ना ही शार्टकट…बस एक ही फार्मूला है, मेहनत करो, पढ़ाई के प्रति इमानदार बनो और अपना कांसेप्ट क्लियर रखो, मैंने कभी ये सोचकर पढ़ाई नहीं कि, टॉपर बनना है, हां चाहत जरूर होती है कि मेहनत किया हूं तो बेहतर फल मिले….10वीं में बहुत मेहनत किया, लेकिन सिर्फ 85 प्रतिशत ही अंक मिले…लेकिन इस बार मेहनत भी अच्छी की और रिजल्ट भी अच्छा आया तो बहुत खुश हूं”

टिकेश ने 8 घंटे की पढ़ाई का लक्ष्य रखा था…खासकर वो देर रात तक पढ़ाई करता, जिसका बड़ा फायदा भी उसे मिला। अब टिकेश का पूरा फोकस इंजीनियरिंग को लेकर है और वो उम्मीद जता रहा है कि उसे IIT जरूर मिल जायेगा।

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