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CG RI Exam Scam: NPG को मानहानि की 7 नोटिसें, धमकी भरे 19 मेल, ईओडब्लू का 42 बिंदुओं वाला लेटर और मची खलबली...

CG RI Exam Scam: NPG को मानहानि की 7 नोटिसें, धमकी भरे 19 मेल, ईओडब्लू का 42 बिंदुओं वाला लेटर और मची खलबली...
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By NPG News

CG RI Exam Scam: रायपुर। पटवारी से आरआई बनाने परीक्षा घोटाले की लीपापोती करने राजस्व विभाग के सारे प्रयास विफल हो गए। जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हुए विष्णुदेव सरकार ने इस मामले को ईओडब्लू के हवाले कर दिया। ईओडब्लू ने केस रजिस्टर्ड करने से पहले राजस्व विभाग से 42 बिंदुओं पर जवाब मांगा है।

ईओडब्लू की क्वेरी से राजस्व विभाग के अफसरों के पसीने छूट रहे हैं। ईओडब्लू ने पूछा है कि क्या उत्तरपुस्तिका में प्रतिभागियों के मोबाइल नंबर क्यों लिखे गए? प्रश्नपत्र किसने सेट की? क्या परीक्षा से पहले पटवारियों को एक ही होटल में ठहराया गया? कमिश्नर लैंड रिकार्ड ऑफिस के सांख्यिकी अधिकारी परीक्षा के बाद कई बार बस्तर के दौरे पर क्यों गए? 22 सगे-संबंधियों को आसपास रौल नंबर देकर एक साथ क्यों बिठाया गया? ईओडब्लू के कई सवाल ऐसे हैं, जिसके जवाब राजस्व विभाग को नहीं है। हालांकि, राजस्व विभाग के सूत्रों का कहना है कि ईओडब्लू ने निश्चित मियाद दी है, इसलिए इस हफ्ते के अंत तक जवाब दाखिल करना पड़ेगा।

बता दें, आरआई परीक्षा घोटाले का पर्दाफाश एनपीजी न्यूज ने किया था। एनपीजी ने लगातार इस पर आठ खबरें लगाई। इस दौरान NPG.NEWS को लगातार धमकियां मिलती रहीं। मानहानि की सात नोटिसें भेजी गईं, वहीं डेढ़ दर्जन से अधिक ईमेल कर कहा गया कि एनपीजी को कोर्ट में घसीटा जाएगा, उसके खिलाफ नेशनल न्यूज ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेश में शिकायतें की जाएंगी। मगर एनपीजी न्यूज ( NPG.NEWS ) अपना दायित्व निभाता रहा।

बहरहाल, सरकार के ईओडब्लू से जांच का ऐलान से पहले राजस्व विभाग द्वारा इस स्कैम की लीपापोती की जबर्दस्त कोशिशें की गई। राजस्व विभाग ने सात महीने लेटरबाजी में लगा दिया। आईएएस कुंजाम कमेटी की रिपोर्ट के बाद और बारीक जांच के लिए बिना मतलब का गृह विभाग को एसीएस को पत्र लिख दिया। प्रयास था कि किसी तरह लेटर-लेटर और जांच-जांच के नाम पर केस को लिंगारान कर दिया जाए।

आलम यह था कि आईएएस केडी कुंजाम के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय जांच कमेटी पर इतना अधिक प्रेशर था कि उन्हें गोलमोल जांच रिपोर्ट दे दी। कुंजाम कमेटी ने पांच मामलों में परीक्षा सिस्टम को क्लीन चिट दिया तो चार बिंदुओं पर विशेषज्ञों से जांच कराने की अनुशंसा कर और उलझा दिया। बताते हैं, कुंजाम की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कमेटी के कुछ लोग इस पक्ष में नहीं थे कि जानते समझते हुए मक्खी निगली जाए। सो, कुंजाम कमेटी ने बीच का रास्ता निकालते हुए मिलीजुली रिपोर्ट दे दी।

इसके बाद कुंजाम कमेटी की रिपोर्ट को भी दबाने की कोशिश की गई। राजस्व विभाग के जनसूचना अधिकारी ने सूचना के अधिकार में बेहद ढिठाई के साथ लिखकर दे दिया कि जांच अभी प्रकियाधीन है, इसलिए जानकारी नहीं दी जा सकती। जबकि, उसके दो महीने पहले कुंजाम कमेटी ने राजस्व विभाग को जांच रिपोर्ट सौंप दी थी।

एनपीजी ने जब कुंजाम जांच कमेटी की नौ पेज की जांच रिपोर्ट प्रकाशित कर जनसूचना अधिकारी की झूठ का पर्दाफाश किया तो राजस्व विभाग के अंडर सिकरेट्री ने एसीएस होम मनोज पिंगुआ को जांच के लिए पत्र लिख दिया। उन्होंने लिखा कि कुंजाम कमेटी ने अपने अधिकार क्षेत्र में न होने की वजह से कुछ बिंदुओं की जांच करने में असमर्थता व्यक्त की है, इसलिए गृह विभाग इसकी जांच करें।

उधर, एसीएस मनोज पिंगुआ ने कहा कि गृह विभाग कोई जांच एजेंसी नहीं हैं। राजस्व विभाग को अगर जांच कराना ही है तो थाने में जाए। जानकारों ने भी कहा कि राजस्व विभाग को अगर ईमानदारी से जांच करानी होती तो वह पुलिस में जाता या फिर ईओडब्लू में।

गृह विभाग ने भी राजस्व विभाग का पत्र लौटा दिया था कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और न ही गृह विभाग के पास कोई जांच का सेटअप होता है।

एनपीजी न्यूज में इसकी खबर प्रकाशित होने के बाद मुख्यमंत्री सचिवालय फिर हरकत में आया। राजस्व विभाग को सख्त हिदायत दी गई कि आरआई परीक्षा घोटाला गंभीर विषय है, इसकी ईओडब्लू से जांच कराई जाए। फिर राजस्व विभाग के अंडर सिकरेट्री अन्वेष धृतलहरे ने सामान्य प्रशासन विभाग को ईओडब्लू जांच के लिए पत्र भेजा। सामान्य प्रशासन विभाग मुख्यमंत्री के अधीन आता है। मुख्यमंत्री से हरी झंडी मिलने के बाद फिर परीक्षा घोटाले को ईओडब्लू को सौंप दिया गया।

कुंजाम कमेटी ने जांच रिपोर्ट में इस शिकायत की पुष्टि की है कि 22 सगे-संबंधियों को एक साथ रौल नंबर देकर परीक्षा में बिठाया गया और ये सभी चयनित भी हुए। इनमें पति-पत्नी, साली, भाई-भाई पटवारी से आरआई बन गए।

पढ़िये केडी कुंजाम कमेटी की नौ पेज की जांच रिपोर्ट के वो पांच बिंदु, इससे आप समझ जाएंगे कि पटवारी से आरआई बनाने में कितना बड़ा खेला किया गया।

1. शिकायत में उल्लेखित पारिवारिक रूप से संबंधित अभ्यर्थियों के संबंध में विभाग द्वारा प्रदाय जानकारी अनुसार 22 अभ्यर्थियों को आस-पास अनुक्रमांक प्रदाय किया था ये समस्त 22 अभ्यर्थी परीक्षा में चयनित हुए हैं। पारिवारिक रूप से संबंधित अभ्यर्थियों को आस-पास अनुक्रमांक प्रदाय किया जाना परीक्षा संचालन प्रक्रिया में हुई लापरवाही को दर्शित करता है तथा यह भी स्पष्ट करता है कि नीति प्राधिकारी द्वारा अनुक्रमांक प्रदाय करने में यादृच्छिक रीति (त्ंदकवउप्रंजपवद) का अनुसरण नहीं किया गया है।

2. राजस्व निरीक्षक विभागीय परीक्षा वर्ष 2018 की परीक्षा में व्डत् सीट में मोबाईल नंबर का उल्लेख किया गया था उसी की भांति इस वर्ष 2024 की परीक्षा के ओएमआर सीट में भी मोबाईल नम्बर का उल्लेख किया गया है। गोपनीयता की दृष्टिकोण से ओएमआर सीट में मोबाईल नम्बर उल्लेखित नहीं किया जाना चाहिए था।

3. हेमंत कौशिक, सहायक अधीक्षक भू अभिलेख के संबंध में शिकायत में उल्लेखित तथ्यों के संदर्भ में कौशिक से समिति द्वारा लिखित में पक्ष प्राप्त किया गया जो कि समाधानकारक नहीं होने के कारण विभाग द्वारा अपने स्तर से उक्त के संबंध में नियमोचित कार्यवाही किया जाना चाहिए।

4. नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा उनके कार्यालय से जारी पत्र दिनांक 05/09/2024 में लेख किया गया है कि अभ्यर्थी पवन नेताम, पटवारी, जिला कोंडागांव द्वारा अपने ओ.एम.आर शीट में रोल 241921 के मध्य में स्थित 1 के स्थान पर त्रुटिवश शून्य का गोला किया गया है जिसके कारण परीक्षा परीणाम में रोल नंबर 240921 प्रदर्शित हो रहा है जो कि हर्षवर्धन मोटघरे, पटवारी, जिला-कबीरधाम का है। अतः चयन सूची से हर्षवर्धन का रोल नंबर 240921 को निरस्त करते हुए वास्तविक चयनित अभ्यर्थी पवन का राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण के लिये किया जाता है। तत्संबंध में समिति का अभिमत है कि परीक्षा में अनुक्रमांक ओ.एम.आर शीट में भरने तथा अन्य उत्तर को अभिलिखित (गोला लगाना) की जिम्मेदारी परीक्षार्थी की थी, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अनुक्रमांक भरने में हुई गलती के संबंध में की गई अपवादिक कार्यवाही का औचित्य स्पष्ट नहीं है।

5. परीक्षा पत्र में दो प्रश्न सेट । में प्रश्न कमांक 8. 18 सेट ठ में प्रश्न कमांक 33, 43, सेट ब् में प्रश्न कमांक 3, 43, एवं सेट क् में प्रश्न कमांक 43, 48 में उत्तर ठ/ब् को माना गया है। नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा उक्त प्रश्नों के संबंध में प्रश्न के कथन (प) को विलोपित किये जाने के कारण उक्त प्रश्नों के उत्तर ठ एवं ब् दोनों विकल्पों को मान्य किया गया है। एक ही प्रश्न के दो उत्तर का आंकलन ओ.एम.आर रीडर द्वारा किया जाना तथा किसी प्रश्न का कोई भाग विलोपित किया जाना तर्कसंगत नहीं है। उक्त दोनों प्रश्न विलोपित किया जाकर प्रावीण्यता सूची निर्मित किया जाना चाहिए।

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