सहकारी सोसाइटियों की याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 3 हफ्ते में मांगा जवाब…. सोसाइटियों को पुनर्गठित करने के निर्णय को दी गयी थी चुनौती….
रायपुर 5 दिसंबर 2020। हाईकोर्ट में शुक्रवार को विभिन्न सहकारी सोसायटियों की याचिका पर सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकल पीठ में हुई। मामले में उच्च न्यायलय ने राज्य सरकार को तीन हफ्तों में जवाब मांगा है। साथ मैं यह भी कहा है कि सरकार जो भी नयी सहकारी सोसाइटी को पुनर्गठित करेगी वो भी इस याचिका के फैसले अध्याधीन होगी।
राज्य सरकार ने 25 जुलाई 2019 को धारा 16 (ग) छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1960 , के तहत सहकारी सोसाइटी के पुनर्गठन हेतु एक योजना ‘ प्रदेश के प्राथमिक कृषि साख-सहकारी सोसाइटियों के पुनर्गठन योजना 2019’ , जिसके कंडिका 8 के अनुसार सोसाइटियो को संचालित करने के सारे अधिकार उप/सहायक रजिस्ट्रार को दिए गए थे। उसके बाद शासन की उक्त कंडिका से व्यथित होकर कुछ सहकारी सोसाइटियों ने उच्च न्यायलय में याचिका दायर की थी।
सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने कंडिका 8 को अवैधानिक घोषित करते हुए संस्थाओ की याचिकाओं को स्वीकृत कर लिया था। 7 मार्च 2020 को राज्य सरकार द्वारा पुनः एक नयी संशोधित योजना सहकारी सोसाइटियो को पुनर्गठित करने के लिए जारी की गई। उक्त योजना में कंडिका 8 को विलोपित करते हुए कंडिका 5 में भी सहकारी सोसाइटियो को पुनर्गठित करने हेतु नयी प्रक्रिया जोड़ी गई परन्तु कंडिका 5 में निर्धारित योजना के अनुसार कार्यवाही न करते हुए राज्य सरकार द्वारा मनमाने तरीके से जिला महासमुंद में सहकारी सोसाइटियों का पुनर्गठन किया गया जिसके फलस्वरुप कुछ सहकारी सोसाइटियो ने उच्च न्यायलय में विभिन्न याचिकाए दायर की गई। इस याचिका की कोर्ट में पैरवी एडवोकेट शर्मिला सिंघई ने की। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता के तर्कों पर विचार करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन हफ्ते का समय जवाब प्रस्तुत करने हेतु दिया है और साथ में यह भी निर्देश दिया की सरकार जो भी नयी सहकारी सोसाइटी को पुनर्गठित करेगी वह इस याचिका के फैसले अध्याधीन होगी।