लेमरु अभ्यारण्य मसले पर अब विधानसभा अध्यक्ष का पत्र आया सामने : लेमरु प्रोजेक्ट में विधायक लालजीत के पत्र के साल भर पहले महंत ने लिखा था पत्र.. चेताया था क्षेत्र बढ़ाएँ और अधिसूचना जारी करें
रायपुर,9 जुलाई 2021। लेमरु हाथी अभ्यारण्य की सीमा को घटाने के विरोध में धरमजयगढ विधायक और मध्य क्षेत्र आदिवासी प्राधिकरण के अध्यक्ष लालजीत सिंह राठिया के पत्र के साथ साथ इस मसले पर विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत का पत्र सामने आया है जिसमें उन्होंने साल भर पहले हीइस मसले को लेकर राज्य सरकार को चेताया था कि, लेमरु प्रोजेक्ट में इलाक़े जोड़ते हुए जल्द अधिसूचना जारी करें, क्योंकि केंद्र सरकार जल्द कोल ब्लॉकों की नीलामी शुरु करने जा रही है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ महंत ने 12 जुन 2020 को राज्य सरकार को पत्र लिखते हुए कहा था
“राहुल गांधी जी के दिशा निर्देश पर यह आम सहमति है कि, हसदेव अरण्य क्षेत्र में वर्तमान में संचालित कोयला खदानों के अलावा किसी अन्य कोयला खदान को खोलने की अनुमति ना दी जावे,और पूरे क्षेत्र को हसदेव नदी के जल ग्रहण क्षेत्र होने के कारण और आदिवासियों का विस्थापन रोकने के लिए संरक्षित किया जाए।हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयले का भंडार शेष छत्तीसगढ़ की तुलना में केवल दस प्रतिशत है..अगस्त 2019 में लेमरु हाथी अभ्यारण्य का जो प्रस्ताव कैबिनेट ने पास किया है, उसमें केंदई प्रेमनगर और उदयपुर वन परिक्षेत्र के हिस्से शामिल नहीं है जो कि हसदेव नदी के जल ग्रहण क्षेत्र हैं”
डॉ चरणदास महंत ने क़रीब साल भर पहले लिखे इस पत्र में चेताया है –
“केंद्र सरकार बहुत जल्द कोल ब्लॉकों की नीलामी करने जा रही है,यह नीलामी हो जाने के बाद कई नीजि कंपनियों के हित जुड़े जाने के कारण अभ्यारण्य क्षेत्र विस्तार में अनावश्यक बाधा आएगी,अंत: यह राज्य हित में है कि अतिशीघ्र छत्तीसगढ़ कैबिनेट में लेमरु प्रोजेक्ट में केंदई प्रेमनगर और उदयपुर वन परिक्षेत्र के हिस्से शामिल करने का प्रस्ताव पास कराकर आवश्यक अधिसूचना वन प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत जारी हो, इससे किसी गांव का विस्थापन भी नहीं होगा”
लेमरु एलीफ़ेंट प्रोजेक्ट फ़िलहाल सूबे में चर्चा में है। यह मसला 26 जून 2021 के उस पत्र से चर्चा में आया जबकि वन मंत्रालय की ओर से विभिन्न विधायकों और मंत्री टी एस सिंहदेव के ज़िक्र के साथ यह पत्र जारी किया कि,लेमरु हाथी अभ्यारण्य जिसे 3827.64 वर्ग किलोमीटर का विस्तार किए जाने का प्रस्ताव था उसे घटाकर 450 वर्ग किलोमीटर किया जाना है, क्योंकि ग्रामीणों को यह आशंका है कि हाथी के क्षेत्र विस्तार से उनकी आजीविका वंचित होगी और उनकी गतिविधियाँ सीमित हो जाएँगी।
वन मंत्रालय की ओर से जारी इस पत्र में विधायक गुलाब कमरो,डॉ प्रीतम राम, डॉ विनय जायसवाल और यू डी मिंज, पुरुषोत्तम कँवर, मोहित राम, चक्रधर सिंह सिदार के साथ मंत्री टी एस सिंहदेव का हवाला था।
इस मसले पर जब हंगामा हुआ तो मंत्री टी एस सिंहदेव ने ऐसे किसी संदर्भ को ख़ारिज कर दिया, वहीं दिलचस्प यह भी था कि वन विभाग क्षेत्रफल कम करने के लिए जिन विधायकों की चिंता का ज़िक्र कर रहा था उनमें पाँच ऐसे विधायक थे जिनका कोई क्षेत्र ही प्रस्तावित लेमरु प्रोजेक्ट में नहीं आता। विधासक गुलाब कमरो,डॉ विनय जायसवाल,यू डी मिंज,पुरुषोत्तम कँवर और चक्रधर सिंह सिदार उन विधायकों में है जिनका क्षेत्र ना तो 3827 में शामिल हो रहा था और ना ही 1995 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में।
इस मसले पर धर्मजयगढ विधायक लालजीत सिंह राठिया के पत्र ने मसला और गर्मा दिया।लालजीत सिंह ने राज्य सरकार को पत्र लिख लेमरु अभ्यारण्य की सीमा कम किए जाने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए लिखा
“धरमजयगढ समेत आसपास का इलाक़ा आदिवासी बहुल क्षेत्र है,और पाँचवी अनुसूची में आता है, जहां ग्रामसभा को पेसा और वनाधिकार क़ानून के तहत वृहद अधिकार प्राप्त हैं,इन इलाक़ों में कोयला खनन किए जाने से बड़ी संख्या में आदिवासी बाहुल्य गाँवों का विस्थापन भी होगा, मेरी ही विधानसभा में तिताईपाली एनटीपीसी खदान का अनुभव हमें बताता है कि स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार नगण्य है। हमारे क्षेत्र में मानव हाथी संघर्ष पहले से ही गंभीर स्थिति में है,और अधिक कोयला खदान खोलने से ये हाथी समुह अधिक उग्र होकर गाँवों में नुक़सान पहुँचा सकता है..राहुल गांधीजी ने भी क्षेत्र में आदिवासियों को विस्थापित ना करने का भरोसा दिया था”
इस मसले को लेकर राहुल गांधी का जो ज़िक्र विधानसभा अध्यक्ष महंत के और धरमजयगढ विधायक लालजीत राठिया के पत्र में आ रहा है, वह 16 जून 2015 में मदनपुर और कुदमरा में दिया गया राहुल गांधी के दौरा और भाषण है जिसमें तब राहुल गांधी ने कहा था
“जंगल आपका है, आपकी सहमति के बिना नही छिना जा सकता..कांग्रेस सरकार ऐसा कोई काम नहीं करेगी जिससे मानव हाथी संघर्ष बढे, आदिवासियों का विस्थापन हो”
बहरहाल वन विभाग का लेमरु हाथी प्रोजेक्ट का ईलाका कम करने का मंतव्य जाहिर करने वाला पत्र सवालों में घिर गया है। मंत्री सिंहदेव ने सबसे पहले इस बात को ख़ारिज किया कि, उन्होंने इस का क्षेत्रफल घटाने की बात कही, इसके बाद विधायक लालजीत का पत्र सामने आया, और अब विधानसभा अध्यक्ष महंत के पत्र सामने आए हैं, जो बताते हैं कि लेमरु का इलाक़ा बढ़ाने और हसदेव का जलग्रहण क्षेत्र शामिल कर वन क्षेत्रों को सुरक्षित रखने की क़वायद उनकी ओर से जारी थी।