सामने आई रूस की कोरोना वैक्सीन की आधिकारिक तस्वीर, Sputnik-V पर उठ रहे हैं ये सवाल, जाने क्यों दुनिया को नहीं हो रहा यकीन

नईदिल्ली 12 अगस्त 2020। कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के करीब 9 महीने बाद दुनियाभर में पहली वैक्सीन आई है। रूस ने दावा किया है कि उसने कोरोना की वैक्सीन बना ली है, जिसका नाम स्पूतनिक-V रखा है। रूस ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश बना है। वैक्सीन का पहला डोज राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बेटी को दिया गया। उन्हें इस वैक्सीन के दो डोज दिए गए। पुतिन की दो बेटियां हैं, लेकिन उनकी किस बेटी को वैक्सीन का डोज दिया गया, इसकी जानकारी साझा नहीं की गई है।
वहीं, वैक्सीन का डोज देने के बाद पुतिन की बेटी के शरीर के तापमान में बदलाव रिकॉर्ड किया गया है। पुतिन के मुताबिक, पहली डोज देने पर उसके शरीर का तापमान 38 डिग्री था। वहीं, जब उसे वैक्सीन की दूसरी डोज दी गई तो तापमान एक डिग्री गिरकर 37 डिग्री हो गया। हालांकि, थोड़ी देर में शरीर का तापमान बढ़ा, जो धीरे-धीरे सामान्य हो गया।
The new Russian #COVID19 vaccine is called Sputnik V
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— Russia in USA 🇷🇺 (@RusEmbUSA) August 11, 2020
डब्लूएचओ से लेकर अमेरिका तक को संदेह
यह वैक्सीन गामालेया शोध संस्थान और रूस के रक्षा मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में तैयार हुई है। वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल पूरा हुए बिना आम नागरिकों पर इस्तेमाल की इसकी मंजूरी दे दी गई है, इस वजह से भी इसकी सुरक्षा और असर को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई देशों का मानना है कि जिस तरह से वैक्सीन के ट्रायल की प्रक्रिया है, रूस उसके पूरी होने के पहले ही वैक्सीन की सटीकता का दावा कर रहा है जो गलत है। पिछले सप्ताह जहां डब्लूएचओ ने रूस की कोरोना वैक्सीन की जल्दबाजी को लेकर आगाह किया था, वहीं अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ एंथोनी फॉसी ने वैक्सीन को लेकर रूस और चीन दोनों के ऊपर सही प्रक्रिया का पालन करने पर संदेह जताया है।
कैसे काम करती है यह वैक्सीन
दरअसल, रूस का यह स्पुतनिक-5 टीका एक SARS-CoV-2 प्रकार के एडेनोवायरस जो एक सामान्य कोल्ड वायरस है, उसके डीएनए पर आधारित है। यह कोरोना वैक्सीन एक वायरल को छोटे-छोटे हिस्सों बांट देती है और इसके लिए छोटे वायरस का इस्तेमाल करती है। जिसके बाद यह इम्यूनिटी को बढ़ाता है। स्पुतनिक न्यूज से बात करते हुए गैमलेया नेशनल रिसर्च सेंटर के निदेशक अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा कि वैक्सीन में कोरोना वायरस के कण शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा सकते क्योंकि इनकी संख्या नहीं बढ़ती है।
सिर्फ पहले फेज के परिणाम ही सार्वजनिक
रूस ने अभी तक कोरोना वैक्सीन के फेज 1 के ही क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे सार्वजनिक किए हैं, जिसमें उसने दावा किया है कि वैक्सीन के ट्रायल का पहला चरण सफल रहा है। जुलाई के मध्य में रूस की टास न्यूज एजेंसी ने कहा था कि रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि ट्रायल के बाद किसी भी वॉलंटियर को किसी तरह के कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखे हैं।
76 जवानों पर पहले फेज का ट्रायल
रूस ने वैक्सीन के पहले फेज में सेना के 76 जवानों पर यह टेस्ट किया था। इनमें से आधे लोगों को लीक्विड फॉर्म में वैक्सीन के डोज दिए गए और आधे लोगों को घुलनशील पाउडर के रूप में दिया गया।
इसलिए उठ रहे हैं सवाल
न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन के सेकेंड फेज का ट्रायल 13 जुलाई को शुरू हुआ और 3 अगस्त को ही रूसी मीडिया ने खबर दी कि गामालेया शोध संस्थान ने वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल पूरा कर लिया है। हाालंकि, इन रिपोर्ट्स में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि क्या केवल दूसरा चरण पूरा हुआ है या तीनों चरण पूरे किए हैं। दूसरे चरण में ही कुछ महीनों का समय लग जाता है।
इसमें भी खास बात यह भी है कि रूस ने पहले संकेत दिए थे कि नियामक से अनुमति मिलने के बाद ही मानवीय परीक्षण का तीसरा चरण पूरा किया जाएगा। इस चरण में हजारों लोगों पर परीक्षण किया जाता है।