Begin typing your search above and press return to search.

शिक्षाकर्मियों के भविष्य के साथ अफसरों ने फिर किया खिलवाड़…. आखिर कब होगी गैर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई ?….. संविलियन अधिकार मंच ने डीपीआई पर जताया भरोसा, कहा – उच्च कार्यालय से लेंगे न्याय

शिक्षाकर्मियों के भविष्य के साथ अफसरों ने फिर किया खिलवाड़…. आखिर कब होगी गैर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई ?….. संविलियन अधिकार मंच ने डीपीआई पर जताया भरोसा, कहा – उच्च कार्यालय से लेंगे न्याय
X
By NPG News

रायपुर 2 नवंबर 2020। सरकार की चाहे मंशा कितनी ही अच्छी क्यों न हो और राज्य स्तर के अधिकारी चाहे कितने ही मुस्तैद क्यों न हो लेकिन जिला स्तर के अधिकारी जिस प्रकार का रवैया शिक्षाकर्मियों के साथ अपना रहे हैं वह हैरान और परेशान करने वाला है क्योंकि यदि अधिकारी अपने ही कर्मचारियों के साथ ऐसा व्यवहार करेंगे तो फिर धरातल पर स्कूल शिक्षा विभाग का काम बेहतर कैसे होगा और समन्वयक कैसे स्थापित होगा । मामला चाहे वेतन का हो या संविलियन का, हर जगह निचले स्तर के अधिकारी जानबूझकर लापरवाही कर रहे हैं और उच्च स्तर के अधिकारियों द्वारा जारी किए गए आदेशों की अवहेलना करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं , ऐसा ही मामला अब शिक्षाकर्मियों के संविलियन को लेकर आ रहा है जिसमें कुछ शिक्षक जिन्होंने बकायदा अनुमति लेकर अपने B.Ed की पढ़ाई पूरी की है उन्हें जानबूझकर संविलियन सूची से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है जबकि जिला पंचायत द्वारा खुद उन्हें अवैतनिक अवकाश दिया गया था और राज्य कार्यालय द्वारा अवैतनिक अध्ययन अवकाश देते समय ही यह स्पष्ट था कि उस काल का यानी पूरे 2 साल का शिक्षाकर्मियों को वेतन नहीं मिलेगा लेकिन उनकी सेवा अवधि की गणना होगी और 2018 से लेकर अब तक कई शिक्षाकर्मियों को इसका लाभ भी मिला है लेकिन 2020 में जानबूझकर कई जिला पंचायत शिक्षाकर्मियों को घुमा रहे हैं और उनका नाम तक छोड़ दिया गया है। राज्य कार्यालय उनके नाम की सूची ही नहीं भेजी गई है जिससे जारी हुए संविलियन आदेश में उनका नाम नहीं है । अब ऐसे में शिक्षाकर्मियों ने अपने संगठन संविलियन अधिकार मंच के प्रदेश संयोजक विवेक दुबे को अपनी समस्या बताई है और इसके बाद विवेक दुबे ने पूरे मामले को लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक जितेंद्र शुक्ला के पास रखा है ।

जशपुर और कांकेर में आया मामला सामने

जिला जशपुर के कांसाबेल ब्लॉक में पदस्थ मुनेश्वरी भगत का संविलियन 2019 में ही हो जाना था क्योंकि उनके 8 वर्ष की सेवा पूर्ण हो चुकी थी लेकिन जिला पंचायत ने उनके अवैतनिक अध्ययन अवकाश के कार्यकाल को मानने से इंकार कर दिया जबकि जिला पंचायत ने खुद ही उन्हें इसकी अनुमति दी है और बकायदा अनुमति पत्र जारी किया है । ब्लॉक ऑफिस से उनका नाम संविलियन के लिए भेजा भी गया था लेकिन जिला कार्यालय से उनका नाम संविलियन सूची से हटा दिया जिसके चलते 2019 में उनका संविलियन नहीं हो सका, यही नहीं उन्होंने न्यायालय से भी इस संबंध में स्पष्ट आदेश लाया लेकिन जिला पंचायत जशपुर में इसकी भी अवहेलना कर दी । ऐसे ही मामले में कांकेर के अंतागढ़ में पदस्थ व्याख्याता नगरीय निकाय तरुण कश्यप ने अनुमति लेकर B.Ed किया है और अब कार्यालय ने उनका नाम ही नहीं भेजा है जब शिक्षाकर्मी संगठन के पास यह मामला पहुंचा और उन्होंने इसका संज्ञान लिया तो आनन-फानन में नगर पंचायत अंतागढ़ ने डीपीआई को पत्र लिखकर इस संबंध में मार्गदर्शन मांगा है लेकिन सवाल यह उठता है कि इस मामले की जानकारी तो उन्हें 2 साल से है तो इस संबंध में उन्होंने पहले मार्गदर्शन क्यों नहीं मांगा यह राज्य कार्यालय से संविलियन के संबंध में पत्र जारी होने के समय क्यों नहीं मांगा आखिर संविलियन के अंतिम दिवस में मार्गदर्शन मांगने के पीछे की वजह क्या है ??

जानबूझकर शिक्षाकर्मियों करते हैं परेशान – विवेक दुबे

स्थानीय कार्यालय के अधिकारी शिक्षाकर्मियों को जानबूझकर परेशान करते हैं इस मामले में भी ऐसा ही है 2018 से लेकर अब तक बहुत से शिक्षाकर्मियों का जिन्होंने अवैतनिक अध्ययन अवकाश लेकर बीएड की पढ़ाई की है संविलियन हो चुका है और यदि किसी कार्यालय को मार्गदर्शन मांगना ही था तो आज से काफी पहले मांगा जा सकता था लेकिन संविलियन के अंतिम दिन मार्गदर्शन मांगा जा रहा है इससे पता चलता है कि इसके पीछे की मंशा क्या है इसके पीछे की मंशा शिक्षाकर्मियों को परेशान करना और उनसे घूस लेना ही है जिसकी शिकायत हमें लगातार मिलते रहती है । हमारे शिक्षाकर्मी साथियों ने इस मामले की जानकारी मुझे दी है और मैंने डीपीआई सर को इसकी विधिवत सूचना दे दी है हमें पूरा विश्वास है कि जल्द ही इनके साथ न्याय होगा और हम किसी भी कीमत पर अपने साथियों के साथ गलत नहीं होने देंगे ।

Next Story