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NPG special: भूपेश बघेल सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं ने बदली सुकमा जिले के गांवों की तकदीर…सुकमा साकार हुआ सपना

NPG special: भूपेश बघेल सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं ने बदली सुकमा जिले के गांवों की तकदीर…सुकमा साकार हुआ सपना
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By NPG News
सुकम 21 जून 2021 सुकमा छत्तीसगढ़ का ऐसा जिला है। जिसने भूपेश बघेल सरकार की महात्वाकांक्षी योजनाओं को जमीन पर उतारा है। जिला प्रशासन की मेहनत से गांवों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल रही है। समाज के हर वर्ग के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। चाहे नरवा-गरवा-घुरवा-बारी से हो, या फिर गौठान योजना, लोगों की जिंदगी संवरने लगी है। सुकमा में विकास का नया सूरज उगा है। प्रशासन की कार्यशैली ऐसी है कि सुकमा का भविष्य सुनहरा नजर आ रहा है।
छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बारी की संकल्पना के साथ ही इस योजना का क्रियान्वयन संपूर्ण छत्तीसगढ़ में किया गया है। प्रदेश की दक्षिणी सुदूर जिले सुकमा में भी इसका क्रियान्वयन एक सकारात्मक उत्साह, ऊर्जा के साथ किया जा रहा है। शासन प्रशासन से समय-समय में प्राप्त दिशा-निर्देशों को सुचारू रूप से लागू करते हुए ग्रामीणों का पूर्ण सहयोग प्राप्त कर ग्रामीणों के सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में वृद्वि हेतु सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है। गौठान के निर्माण में एक बडे़ भू-भाग को लिया जा रहा है, जहां संपूर्ण भूमि क्षेत्र का उपयोग विभिन्न प्रकार की जैसे मुर्गी शेड, मशरूम शेड, मछलीपालन, बारी, वर्मीटांका, नाडेप टांका जैसी अन्य गतिविधियों में किया जा रहा हैं। इसके अतिरिक्त स्वच्छता संबंधी क्षेत्रों में भी जिला सुकमा का विशेष प्रयास जारी है। गौठान की अवधारणा को संकुचित रूप में न लेकर इसे विस्तृत रूप सुकमा जिले अंतर्गत दिया गया हैं जो कि हमें ग्राम पंचायत स्तर में देखने को मिल रहा हैं। ग्राम पंचायत अंतर्गत गाय, बकरी, मुर्गियों की नस्लों में सुधार, दुधारू पशुओं में वृद्वि, कृत्रिम प्रजनन के साथ ही इससे ग्रामीणों को प्राप्त होने वाले लाभ को प्रत्यक्ष रूप से देखा जा रहा है।

89 में से 82 गौठान में सारी गतिविधियां
सुकमा जिले में कुल 89 गौठान में से 82 में गौठान संबंधी समस्त गतिविधियां संचालित की जा रही है। जिसके अंतर्गत सर्वप्रथम हम गौठान के मूल रूप को देखते है तो यह पाते है कि गौठान अंतर्गत रखे जा रहे मवेशियों के नस्ल में सुधार, कृत्रिम गर्भाधान तथा दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो रही हैं। जिसके लिए गौठानों में मवेशियों हेतु उचित एवं पौष्टिक आहार, पानी की व्यवस्था एवं चिकित्सकीय परामर्श हेतु सुविधा के साथ-साथ अन्य प्रकार के कार्य संचालित है। गौठानों में मुर्गी शेड, मशरूम शेड, ट्री गार्ड शेड, मछलीपालन, बारी, वर्मी टांका, नाडेप टांका जैसी गतिविधियों के अंतर्गत मुर्गीशेड में कड़कनाथ मुर्गी का पालन एवं उनसे प्राप्त अंडों का बाजार में विक्रय कर समूहों द्वारा लाभार्जन प्राप्त किया जा रहा है। जो कि स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीणों के आर्थिक विकास में सहायक सिद्ध हो रहा है।

मुर्गी और मशरुम से संवरा जीवन
सुकमा जिले में कुल 73 मुर्गी शेड पूरे हो गए हैं। 7 प्रगति पर हैं और दो शुरु नहीं हुए हैं। सुकमा जिले अंतर्गत कुल उत्पादित अंडो की संख्या 1,18,838 जिसमें से आंगनबाड़ी केन्द्रों में 82,068 की संख्या से विक्रय किया गया था एवं अब तक कुल विक्रय अण्डों की राशि 6,92,408.00 रूपये प्राप्त हुई है। मशरूम शेड में कृत्रिम रूप से मशरूम का उत्पाद किया जा रहा है, जिसे कम दर पर सुकमा जिला अंतर्गत निवासरत् लोगों को मशरूम की प्राप्ति हो रही है। जो कि स्वास्थ्यवर्धक होने के कारण एक प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निजात पाने का माध्यम भी बन रहा है। वर्तमान में सुकमा जिला अंतर्गत कुल 62 मशरूम शेड पूर्ण, 17 प्रगति पर एवं 2 शुरु नहीं हुआ है। अब तक समूहों के द्वारा 40,000.00 रूपये के मशरूम का विक्रय किया जा चुका है।

साकार कर रहे गौठान की संकल्पना
सुकमा जिला अंतर्गत गौठान मात्र मवेशियों के सुरक्षात्मक कार्य तक सीमित न होकर अपने वृहद स्तर पर सुकमा जिले के चहूंमुखी विकास हेतु प्रयासरत है। जहां मवेशियों के संवर्धन संबंधी कार्य के साथ ही अन्य विभिन्न आजिविका संबंधी गतिविधियां संचालित की जा रही है। जो कि ग्रामीणों द्वारा स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीणों के हितों के साथ ही उनके मानसिक, सामाजिक एवं आर्थिक विकास में भी सहायक सिद्ध हो रहे है। स्वयं सहायता समूह वर्ग अंतर्गत समूह के सदस्य महिलाएं होती है। इन सभी कार्यों में समूह के माध्यम से महिला वर्ग की भागीदारी अधिक रही है। जो कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में जिले को अग्रसर करताहै। इसके इतर पर्यावरण संबंधी समस्याओं के निराकरण में भी यह गौठान की संकल्पना ने एक अलग दिशा प्रदान किया है।

बनाए जा रहे 391 आंगनबाड़ी केंद्र
आंगनबाड़ी भवन निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में नवजात, शिशुवर्ग एवं अल्पायु वर्ग के बच्चों के विकास की प्राथमिक सीढ़ी है। जहां बच्चों के बुनियादी शैक्षणिक विकास, स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं के माध्यम से इनके विकास हेतु कार्य किया जाता है एवं शासन के द्वारा समय-समय पर लागू विभिन्न प्रकार की योजनाओं का लाभ भी आंगनबाड़ी केन्द्रों में प्रदाय किया जाता है। सुकमा जिले अंतर्गत वर्तमान में कुल 391 आंगनबाड़ी भवन निर्माण हेतु स्वीकृत है जिनमें से 253 पूर्ण, 136 प्रगति पर एवं 02 अप्रारंभ है।

रोजगार का साधन बना ट्री गार्ड और शेड का काम
ट्री गार्ड, शेड संबंधी कार्य भी गौठानों में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है जो कि ग्रामीणों के आजीविका का साधन बना हुआ है। वर्तमान में गौठानों के अंतर्गत 54 ट्री गार्ड शेड पूर्ण, 24 प्रगति पर एवं 3 शुरू नहीं हुआ है। मछलीपालन जैसे कार्य भी गौठानों में क्रियान्वित किया जा रहा है। जिससे की डबरी निर्माण की प्राथमिक बड़ी है जहां ग्रामीणों को रोजगार की प्राप्ति हो रही है एवं मछली पालन हेतु एक सुव्यवस्थित स्थान मिल रहा है, जिससे मछलीपालन संबंधी कार्यों का संचालन सुचारू रूप से किया जा सकेगा। मछली पालन हेतु वर्तमान में कुल 78 डबरी पूर्ण एवं 3 अप्रारंभ है। टांका एवं नाडेप टांका के माध्यम से पशुओं से प्राप्त अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग खाद बनाने में किया जा रहा है। जो कि एक व्यापक मात्रा में किया जा रहा है जिसे पूर्व में 8 रूपयें की दर से प्रति किलो बेचा जा रहा था किन्तु वर्तमान में शासन से प्राप्त निर्देशों के परिपालन मे 10 रूपये की दर से प्रति किलो बेचा जा रहा है। जो कहीं न कहीं ग्रामीणों का स्वयं सहायता समूहों के रूप में ही सही लेकिन एक आर्थिक समस्याएं के निदान के रूप में उभर कर सामने आया है। वर्मी टांका अंतर्गत सुकमा जिले में कुल 76 पूर्ण, 1 प्रगति पर एवं 5 का काम शुरू नहीं हुआ है। नाडेप टांका अंतर्गत कुल 77 पूर्ण एवं 5 प्रगति पर है।

गौठानों में उगाई जा रही सब्जियां
गौठानों में निर्मित बारी अंर्तगत बैंगन, सेमी, बरबट्टी शक्कर कांदा एवं विभिन्न प्रकार की भाजियों का उत्पादन किया जा रहा है। जो कि एक प्रकार से स्वयं सहायता समूहों के लिए आजिविका का माध्यम बनके सामने आया है। बारी अंतर्गत सब्जियों की पैदावार के अनुसार प्रतिदिन विक्रय किया जाता है। दस जून की स्थिति में सुकमा जिला अंतर्गत कुल सब्जी विक्रय की राशि 1,23,340.00 रूपये प्राप्त हुई है। गौठानों के अंतर्गत स्वच्छता संबंधी समस्याओं को देखते हुए गौठानों में शौचालय निर्माण स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से किया जा रहा है। वर्तमान स्थिति तक सुकमा जिले अंतर्गत कुल 66 गौठानों में शौचालय का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। नरवा का अर्थ जल स्त्रोत एवं भूमि जल के विकास से संबंधित है जिससे जिला सुकमा में कृषि संबंधी कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है एवं कृषकों की स्थिति में सुधार हो रहा है। वर्तमान में जिला अंतर्गत कुल स्वीकृत नरवों की संख्या 1724 जो कि जिला पंचायत, जनपद पंचायत सुकमा, कोन्टा, छिन्दगढ़, वाटरशेड कृषि विभाग सुकमा, जल संसाधन विभाग, वन विभाग के माध्यम से निर्मित किया जाना है। उक्त नरवों में से 1452 पूर्ण, 233 प्रगति पर एवं 39 अप्रारंभ है। उक्त नरवों के निर्माण के पश्चात सुकमा जिला अंतर्गत जल संबंधी समस्याओं में कमी देखने को मिली है।

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