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NPG BREAKING छत्तीसगढ़ में इकथायोसिस का पहला केस रिपोर्टेड, अब तक भारत में तीन केस दर्ज.. मरीज़ की त्वचा पर छाल की तरह चमड़ी बनती है..सटीक इलाज की तलाश अब तक है मेडिकल साईंस को

NPG BREAKING छत्तीसगढ़ में इकथायोसिस का पहला केस रिपोर्टेड, अब तक भारत में तीन केस दर्ज.. मरीज़ की त्वचा पर छाल की तरह चमड़ी बनती है..सटीक इलाज की तलाश अब तक है मेडिकल साईंस को
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By NPG News

रायपुर,23 जनवरी 2019।छत्तीसगढ़ मे इकथायोसिस का पहला केस रिपोर्ट किया गया है। मेकाहार में विशेष उपचार कक्ष में आठ वर्षीय बालिका का उपचार विशेषज्ञ कर रहे हैं। नज़दीकी रक्त संबंधों में विवाह या कि संबंध से बायोलॉजिकल डिसऑर्डर होते हैं, और यह केस इकथायोसिस का वह केस हैं जिसमें संतान के त्वचा पर चमड़ी किसी पेड़ के छाल की तरह हो जाती है। पूरे शरीर की त्वचा पेड़ के छाल की तरह के आकार में बदल जाती है। अब तक भारत में ऐसे तीन केस रिपोर्टेड है।छत्तीसगढ़ में यह पहला मामला स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।
मरीज़ आठ वर्षीया बच्ची है, जिसे दंतेवाड़ा ज़िले से स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के हस्तक्षेप के बाद मेकाहार लाया गया है, और इसका उपचार जारी है।
बच्ची का उपचार कर रही डॉक्टर हिमांगी ने NPG को बताया-
“मेडिकल साईंस में यह इकथायोसिस हैस्ट्रिक्स कहा जाता है, यह नज़दीकि रक्त संबंधी में संबंध बनने के बाद उत्पन्न होने वाली संतान में होता है। इकथायोसिस में जेनेटिकल डिसऑर्डर होते हैं, जैसे इस बच्ची के स्कीन में असर है, त्वचा में होने वाले इस प्रकार के परिवर्तन को लेकर अभी तक कोई ऐसा उपचार पद्धति उपलब्ध नहीं है, जो कि, ठीक कर दे। हम अपनी ओर से जरुर उपचार कर रहे हैं और चार दिनों में इसका असर भी दिख रहा है, पर शर्तिया यह नहीं कह सकते कि, त्वचा पूरी तरह ठीक हो जाएगी”
वहीं स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने NPG से कहा –
“बच्ची का उपचार जारी है, और यह पूरा निःशुल्क है, जहां तक उपचार की संभावना बनेगी, राज्य शासन वहाँ तक प्रयास करेगा”
खबरें हैं कि दूर्ग ज़िले में भी एक बच्चे की खबर है जिसे बिलकुल यही रोग है, जल्द ही उसे भी मेकाहारा में लाकर उपचार शुरु कराया जाएगा।

संयोग है कि आज मेडिकल साईंस नजदीकि रक्त संबंधों में विवाह पर बायलॉजिकल डिसऑर्डर की बात बता रहा है, जिसे इकथायोसिस नाम दिया गया है।पर नज़दीकी रक्त संबंधी में विवाह पर रोक की बात भारतीय शास्त्र में हज़ारों साल पहले से दर्ज है।सनातन धर्मावलंबी में गोत्र परंपरा भी होती है, सगोत्रिय में विवाह पर निषेध है, इन्हें भाई बहन माना जाता है।

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