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सहायक शिक्षक पद के लिए अब होगा अभिलेखों का सत्यापन… 27 जनवरी तक चलेगी प्रक्रिया… बस्तर, सरगुजा संभाग तथा कोरबा जिला छोड़कर केवल 14 जिले के अभ्यर्थियों का ही होगा सत्यापन… अन्य जिलों में होगी स्थानीय भर्ती

सहायक शिक्षक पद के लिए अब होगा अभिलेखों का सत्यापन… 27 जनवरी तक चलेगी प्रक्रिया… बस्तर, सरगुजा संभाग तथा कोरबा जिला छोड़कर केवल 14 जिले के अभ्यर्थियों का ही होगा सत्यापन… अन्य जिलों में होगी स्थानीय भर्ती
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By NPG News

रायपुर 7 जनवरी 2020। प्रदेश में नए शिक्षकों की भर्ती को लेकर अब विभाग ने एक कदम और आगे बढ़ाया है और अब 21 जनवरी से लेकर 27 जनवरी तक राजधानी रायपुर में सहायक शिक्षक विज्ञान, सहायक शिक्षक प्रयोगशाला तथा सहायक शिक्षक कला एवं विज्ञान (अंग्रेजी माध्यम) के पदों पर भर्ती के लिए अभ्यर्थियों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन किया जाएगा । राजधानी रायपुर में होने वाले डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए केवल 14 जिलों के अभ्यर्थियों को बुलाया गया है तथा शेष 14 जिलों को इस पूरी प्रक्रिया से बाहर रखा गया है क्योंकि बस्तर एवं सरगुजा संभाग समेत कोरबा जिले में संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत स्थानीय भर्ती का नियम लागू है ऐसे में केवल इसी जिले में निवास करने वाले अभ्यर्थी ही जिले के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर चयनित हो सकते हैं यह नियम 17 जनवरी 2012 से लागू है जिसे 31 दिसंबर 2021 तक बढ़ा दिया गया है ऐसे में इन जिलों के पदों में इन्हीं जिलों में निवास करने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाएगी, यही कारण है कि राजधानी रायपुर में होने वाले अभिलेख सत्यापन से इन जिलों को बाहर रखा गया है ।

*14 जिलों के बाहर होने की खबर लगते ही अभ्यार्थियों में नाराजगी… फिर पहुंच सकता है मामला न्यायालय*

इधर जैसे ही पत्र सोशल मीडिया में वायरल हुआ है वैसे ही भर्ती परीक्षा में शामिल हुए अभ्यार्थियों के बीच हड़कंप मच गया है क्योंकि अभ्यार्थी अपनी दावेदारी प्रदेश के सभी जिलों में मान रहे थे और अब उनकी दावेदारी केवल प्रदेश के आधे जिलों तक सिमट कर रह गई है हालांकि विभाग ने अपने विज्ञापन में इस बात का स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया था की पूरी भर्ती प्रक्रिया भर्ती एवं पदोन्नति नियम 2019 के आधार पर हो रही है जिसका राजपत्र भी अब प्रकाशित हो चुका है और जिसमें अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय भर्ती नियम का उल्लेख भी है किंतु अभ्यार्थियों को इस विषय में ज्यादा जानकारी नही थी । अब इधर जहां बस्तर , सरगुजा संभाग समेत कोरबा जिले के अभ्यार्थियों में खुशी व्याप्त है वही अन्य जिले के कैंडिडेट में आक्रोश…अब इन जिलों में निवासरत अभ्यार्थियों का बहुत कम रैंक होने पर सिलेक्शन जहां तय हो जाएगा वही मैदानी इलाकों में प्रतिस्पर्धा का बढ़ना तय है ।

मामला जा सकता है न्यायालय , अभ्यर्थी न्यायालय जाने की तैयारी में

इधर पत्र सामने आने के बाद मैदानी इलाके के अभ्यर्थी न्यायालय जाने की तैयारी में लग गए हैं उनका स्पष्ट कहना है कि जिस समय विज्ञापन प्रकाशित हुआ था उस समय इस प्रकार के किसी भी प्रकार के नियम का उल्लेख नहीं किया गया था ऐसे में यह सीधा सीधा उनके साथ धोखा है । अगर उनकी दावेदारी प्रदेश के सभी जिलों में होती है तो उनकी नौकरी तय है लेकिन यदि 14 जिलों को इसे हटा दिया जाता है तो फिर वह अच्छे रैंक के बावजूद नौकरी पाने से वंचित हो जाएंगे । हालांकि इस प्रकार की स्थिति निर्मित होनी पहले से तय थी लेकिन इस स्थिति की ओर न तो बेरोजगारों का ध्यान गया और न ही उनके संगठन के पदाधिकारियों का …. वह प्रदेश के सभी पदों पर चयन के हिसाब से अपना नंबर जोड़ते रहे और इधर एक झटके में पूरा खेल ही पलट गया है । इस लिहाज से अब शिक्षाकर्मियों के बाद प्रदेश के बेरोजगार भी न्यायालय में न्याय की दुहाई लेकर याचिका लगाते नजर आए तो आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि अब मैदानी इलाके के अभ्यर्थी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं ।

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