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ब्रेकिंग: फिर टली चारों दोषियों की फांसी… साढ़े 12 घंटे पहले रद्द हुआ डेथ वारंट…कोर्ट ने अगले आदेश तक लगाई रोक

ब्रेकिंग: फिर टली चारों दोषियों की फांसी… साढ़े 12 घंटे पहले रद्द हुआ डेथ वारंट…कोर्ट ने अगले आदेश तक लगाई रोक
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By NPG News

नईदिल्ली 2 मार्च 2020. निर्भया गैंगरेप मामले में चारों दोषियों की फांसी पर पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है। पुराने डेथ वारंट के अनुसार सभी दोषियों को मंगलवार सुबह छह बजे फांसी की सजा दी जानी थी। कोर्ट के फैसले के बाद फिलहाल यह टल गई है।

पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषी पवन ने याचिका दाखिल करके कहा है कि उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है इसलिए उसकी कल होने वाली उसकी फांसी की सजा पर रोक लगाई जाए। वहीं, होम मिनिस्ट्री ने बताया है कि राष्ट्रपति के पास भेजने जाने के लिए दोषी पवन की याचिका मिल गई है।

कोर्ट को तिहाड़ जेल प्रशासन ने यह सूचना दे दी है कि पवन गुप्ता ने राष्ट्रपति के पास याचिका भेज दी है। डीजी ने जेल ने कोर्ट से कहा है कि पवन जल्लाद ने दोषियों की लटकाने की डमी प्रैक्टिस कर ली है। वह मंगलवार सुबह दोषियों को लटकाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने पवन गुप्ता की नई याचिका के दौरान दोषी के वकील सिंह की यह कहते हुए खिंचाई की, ‘आप आग से खेल रहे हैं, आपको सतर्क रहना चाहिए। किसी के द्वारा एक गलत कदम, और आपको परिणाम पता हैं।’ सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल प्राधिकारियों ने कहा कि दया याचिका दायर होने के बाद गेंद अब सरकार के पाले में है और न्यायाधीश की फिलहाल कोई भूमिका नहीं है। प्राधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति जेल प्रशासन से पवन की दया याचिका पर एक स्थिति रिपोर्ट मांगेंगे और जब वह होगा, उससे फांसी की तामील पर स्वत: ही रोक लग जाएगी।

वहीं सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पवन कुमार गुप्ता की याचिका खारिज कर दिया था। यह याचिका पवन की क्यूरेटिव याचिका थी। पवन के वकील ने याचिका दायर कर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का अनुरोध किया था। न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पवन की सुधारात्मक याचिका पर सुनवाई करते हुए खारिज किया था।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘फांसी पर रोक की अर्जी खारिज की जाती है। सुधारात्मक याचिका खारिज की जाती है।’ पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल थे।

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