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निर्भया केस: फांसी से पहले आरोपी रोए-गिड़गिड़ाए और जमीन पर लेट गए, डर से ऐसा था दोषियों का हाल…. आरोपियों ने जेल में कमाए थे 1.37 लाख

निर्भया केस: फांसी से पहले आरोपी रोए-गिड़गिड़ाए और जमीन पर लेट गए, डर से ऐसा था दोषियों का हाल…. आरोपियों ने जेल में कमाए थे 1.37 लाख
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By NPG News

नईदिल्ली 20 मार्च 2020। सात साल बाद निर्भया को आज इंसाफ मिल गया है। गैंगरेप और मर्डर केस के चारों गुनहगारों अक्षय कुमार, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश कुमार को दिल्ली के तिहाड़ जेल में सुबह ठीक 5.30 बजे फांसी पर लटका दिया गया है। फांसी के तख्ते पर लटकने से पहले चारों दोषी कई साल तक जेल में बंद रहे. इस दौरान दोषियों ने जेल में काम कर करके 1 लाख 37 हजार कमाए थे. अब सवाल उठता है कि यह पैसे किसे मिलेंगे।

तिहाड़ जेल प्रशासन ने बताया कि निर्भया के दोषियों ने जेल में काम करके 1 लाख 37 हजार कमाए थे। इसमें मुकेश ने कोई काम नहीं किया था, जबकि अक्षय ने 69 हजार रुपये, पवन ने 29 हजार रुपये और विनय ने 39 हजार रुपये कमाए थे। इन पैसों को उनके परिवार वालों को दिया जाएगा. इसके साथ ही चारों दोषियों के कपड़ों और सामान को भी परिवारवालों को सौंपा जाएगा।

तिहाड़ जेल के अधिकारी ने बताया कि गुरुवार रात को मुकेश और विनय ने खाना खाया था, लेकिन अक्षय ने केवल चाय पी थी। जब कोर्ट में सुनवाई चल रही थी तो विनय रोने लगा था, लेकिन बाकी तीनों बिल्कुल शांत थे। देर रात जब दोषियों को पता चला कि उनकी फांसी अब किसी हालत में नहीं टल सकती है, तो अचानक की उनके व्यवहार में बदलाव आ गया। तिहाड़ जेल में बंद चारों दोषी खबर मिलते ही बेचैन हो उठे। रात भर दोषियों को नींद नहीं आई। वो बेचैन होकर अपने बैरक में ही टहलते रहे। फांसी का खौफ उनके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था।

शुक्रवार तड़के 3:15 बजे ही चारों दोषियों को उनके सेल से उठाया गया। दैनिक क्रिया के बाद चारों को नहाने के लिए कहा गया। उन चारों के लिए जेल प्रशासन की ओर से चाय मंगाई गई, लेकिन किसी ने भी चाय नहीं पी। इस दौरान विनय ने कपड़े बदलने से इनकार कर दिया और रो-रो कर माफी मांगने लगा।

इस दौरान अन्य दोषी भी गिड़गिड़ाकर माफी मांगने लगे और रोने लगे। इसके बाद उन्हें समझा-बुझाकर शांत कराया गया। उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई। फांसी घर में लाने से पहले चारों को काले कुर्ते-पजामे पहनाए गए। फिर उनके हाथ पीछे की ओर बांध दिए गए। इसके बाद जब उन्हें फांसी घर लाया जाने लगा तो एक दोषी सेल में ही लेट गया और जाने से मना करने लगा।

किसी तरह उसे पकड़ कर फांसी घर तक लाया गया। फांसी कोठी से कुछ दूर पहले ही उनके चेहरे को काले कपड़े से ढंका गया। इसके बाद उनके पैरों को भी बांधा गया ताकि वे ज्यादा छटपटा न पाएं और एक दूसरे से टकराएं नहीं।

इसके बाद ठीक साढ़े पांच बजे पवन जल्लाद ने जेल नंबर-3 के सुपरिटेंडेंट के इशारे पर लीवर खींच दिया। इस दौरान जल्लाद की मदद के लिए तीन जेल कर्मचारी भी मौजूद थे। फांसी के करीब आधे घंटे बाद डॉक्टरोंने चारों दोषियों को मृत घोषित कर दिया। जेल अधिकारी ने बताया कि अगर दोषियों के परिवार वाले उनके शव की मांग करते हैं तो उन्हें सौंप दिया जाएगा, नहीं तो उनका अंतिम संस्कार करवाना हमारी जिम्मेदारी है।

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