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दंतेवाड़ा पुलिस के दावे पर नक्सलियो का इंकार.. विज्ञप्ति जारी कर आत्मसमर्पण को झूठा और वाड्से मोहन को DRG जवान बताया.. दंतेवाड़ा पुलिस ने दोहराया -“मोहन DRG जवान नहीं”

दंतेवाड़ा पुलिस के दावे पर नक्सलियो का इंकार.. विज्ञप्ति जारी कर आत्मसमर्पण को झूठा और वाड्से मोहन को DRG जवान बताया.. दंतेवाड़ा पुलिस ने दोहराया -“मोहन DRG जवान नहीं”
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By NPG News

दंतेवाड़ा,2 फ़रवरी 2020। पोटाली कैंप के पास मौजुद नीलवाय के ग्रामीण वाड्से मोहन की हत्या के बाद माओवादियों ने विज्ञप्ति जारी कर उसे DRG का जवान बताते हुए उसकी तस्वीरें जारी की हैं। जबकि दंतेवाड़ा पुलिस उसे DRG का जवान मानने से साफ़ इंकार कर चुकी है।माओवादियों ने बीते 31 जनवरी को दंतेवाड़ा पुलिस के 12 माओवादियों के सरेंडर के दावे को भी ख़ारिज कर दिया।
नीलवाय में हुई हत्या को लेकर दंतेवाड़ा पुलिस ने मारे गए वाड्से मोहन को ग्रामीण बताया था। जबकि स्थानीय मीडिया में मोहन की बहन देने ने दंतेवाड़ा पुलिस के दावे को ख़ारिज करते हुए दावा किया कि, पुलिस हर महिने दस हज़ार रुपए और वर्दी दिया।
देर शाम विज्ञप्ति जारी कर माओवादियों ने तस्वीरों के साथ दावा किया कि, मोहन DRG जवान था,और इस वजह से उसकी हत्या की गई है। साथ ही 12 नक्सलियों के सरेंडर के दावे को झूठा बताया है।
इस पूरे मसले पर दंतेवाड़ा कप्तान डॉ अभिषेक पल्लव ने NPG से कहा –

“मोहन हमारा विभागीय कर्मचारी नहीं था, 2016 में वो बस्तर बटालियन भर्ती के लिए आया था, पर भर्ती नहीं हुई, गाँव लौटा तो नक्सलीयो ने पीटा, तब इसे जगदलपुर भेजा गया था। पोटाली में ज़ब कैंप खुला तो यह फिर आया और गोपनीय सैनिक से रुप में काम कर रहा था, गोपनीय सैनिक सूचना संकलन का काम करता है। रात को निकलने मना किया गया था, पर यह निकला और मारा गया”

सरेंडर के मसले पर कप्तान डॉ अभिषेक पल्लव ने कहा –

“ यह विशुद्ध बौखलाहट है, वे जिनका ज़िक्र कर रहे हैं, वे मिलिशिया सदस्य हैं, बेहद लोकल कैडर। उनमें एक पांच लाख का ईनामी नक्सली था, हमने इस सरेंडर में उल्लेख किया था कि वे मिलिशिया सदस्य हैं, माओवादी अपनी विज्ञप्ति में उस पाँच लाख के ईनामी नक्सली को ग़द्दार लिख रहे हैं। हमारे पास कोई आएगा और कहेगा कि हमें माओवादियों के साथ नहीं रहना है तो हम उनका स्वागत करेंगे”

रेंज IG पी सुंदरराज ने NPG से कहा –
“ये बौखलाहट है, इस बौखलाहट की वजह बस्तर पुलिस पर जनता का बढ़ता भरोसा है,बीते पंचायत चुनाव में उस इलाक़े में केवल 18 प्रतिशत मतदान हुआ, और अब 74 फ़ीसदी। लोगों का भरोसा बढ़ रहा है, पहले गाँव में बहुतायत में लोग नक्सलियों के प्रभाव में थे, पर अब वे उनके साथ नहीं है, वे अब केवल दुष्प्रचार कर रहे हैं”

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