VB G-RAM-G Bill : संसद में आधी रात तक चला संग्राम : मनरेगा बना G RAM G तो भड़का विपक्ष, 14 घंटे की बहस और तीखे वार-पलटवार के बीच क्या है पूरा विवाद?
VB G-RAM-G Bill : भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में 17 दिसंबर की तारीख एक लंबी बहस के लिए दर्ज हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए ग्रामीण रोजगार बिल, जिसे विकसित भारत-जी राम जी (VB-G RAM G) संशोधन विधेयक नाम दिया गया है

VB G-RAM-G Bill : संसद में आधी रात तक चला संग्राम : मनरेगा बना G RAM G तो भड़का विपक्ष, 14 घंटे की बहस और तीखे वार-पलटवार के बीच क्या है पूरा विवाद?
VB G-RAM-G Bill : नई दिल्ली : भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में 17 दिसंबर की तारीख एक लंबी बहस के लिए दर्ज हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए ग्रामीण रोजगार बिल, जिसे विकसित भारत-जी राम जी (VB-G RAM G) संशोधन विधेयक नाम दिया गया है, पर संसद में जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। लोकसभा की कार्यवाही शाम को खत्म होने के बजाय रात के सवा एक बजे के बाद तक चलती रही। पूरे 14 घंटों तक सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच शब्दों के बाण चलते रहे। इस मैराथन चर्चा में कुल 98 सांसदों ने हिस्सा लिया, जिसमें पक्ष ने इसे गरीबों के उत्थान का रास्ता बताया, तो विपक्ष ने इसे महात्मा गांधी का अपमान और सरकार के अंत की शुरुआत करार दिया।
VB G-RAM-G Bill
विवाद की सबसे बड़ी जड़ 'मनरेगा' (MNREGA) का नाम बदलना है। विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार देश के इतिहास से महात्मा गांधी का नाम मिटाना चाहती है। इंडिया गठबंधन के सांसदों ने गुरुवार सुबह संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन किया और 'G RAM G' बिल वापस लेने के नारे लगाए। विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार को इस बिल को सीधे पास कराने के बजाय 'स्टैंडिंग कमेटी' के पास भेजना चाहिए था ताकि इसकी बारीकियों पर चर्चा हो सके। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में विपक्षी दलों की बैठक भी हुई, जिसमें सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की गई, हालांकि इस बैठक से तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने किनारा कर लिया, जो विपक्ष के भीतर की खींचतान को भी दर्शाता है।
सदन के भीतर हुई बहस बेहद व्यक्तिगत और तीखी रही। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भगवान राम का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रभु श्री राम ने सबरी के झूठे बेर खाकर गरीबों को गले लगाया था, लेकिन यह सरकार भगवान के नाम का सहारा लेकर गरीबों की सबसे बड़ी योजना (मनरेगा) का स्वरूप बिगाड़ रही है। वहीं, आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर ने एक नया मुद्दा छेड़ते हुए कहा कि अगर सरकार को नाम बदलना ही था, तो इसे बाबासाहेब आंबेडकर के नाम पर 'जय भीम विधेयक' क्यों नहीं बनाया गया? जम्मू-कश्मीर के सांसद इंजीनियर रशीद ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्हें 'राम का झूठा भक्त' बताया। विपक्ष का मुख्य तर्क यह है कि नाम बदलने से जमीनी स्तर पर रोजगार की स्थिति नहीं सुधरेगी, बल्कि भ्रम पैदा होगा।
दूसरी ओर, सत्ता पक्ष पूरी मजबूती के साथ इस बिल के समर्थन में खड़ा रहा। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कहा कि मनरेगा के पुराने ढांचे में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी थीं, जिससे कांग्रेस के लोगों की 'अवैध कमाई' होती थी। उन्होंने दावा किया कि नए बिल के आने से बिचौलियों की दुकान बंद हो जाएगी, इसीलिए विपक्ष इतना परेशान है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बिल की तारीफ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह 'विकसित भारत' का संकल्प है, जो सीधे तौर पर हाशिए पर खड़े किसानों, मजदूरों और वंचित समुदायों को आर्थिक और सामाजिक मजबूती प्रदान करेगा। सरकार का मानना है कि केवल नाम नहीं बदला गया है, बल्कि योजना को आधुनिक और अधिक पारदर्शी बनाया गया है।
कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन की गंभीरता और सांसदों की सक्रियता की तारीफ की। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार की मंशा किसी का अपमान करना नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देना है। आज गुरुवार को शिवराज सिंह चौहान सदन में विपक्ष के हर सवाल का बिंदुवार जवाब देंगे। उनके जवाब पर सबकी नजरें टिकी हैं, क्योंकि विपक्ष का कहना है कि वे इस लड़ाई को सदन से सड़क तक ले जाएंगे। निर्दलीय और छोटे दलों के सांसदों ने भी इस पर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं। राजकुमार रोत जैसे आदिवासी नेताओं ने इसे महात्मा गांधी की विचारधारा पर प्रहार बताया है, जबकि आरएसपी नेता एनके प्रेमचंद्रन ने इस विधेयक को सरकार के पतन का संकेत मान लिया है।
कुल मिलाकर, 'VB-G RAM G' बिल ने देश की राजनीति में एक नया उबाल पैदा कर दिया है। एक तरफ सरकार इसे 'अमृत काल' का बड़ा सुधार मान रही है, तो दूसरी तरफ विपक्ष इसे गरीबों की अस्मिता और गांधीवादी मूल्यों से जोड़कर देख रहा है। आज होने वाला मंत्री का जवाब यह तय करेगा कि यह बिल संसद की बाधाओं को पार कर पाएगा या विपक्ष का विरोध इसे लंबी प्रक्रिया में धकेल देगा। लेकिन जिस तरह से रात के 1.35 बजे तक सांसद सदन में डटे रहे, उसने यह साफ कर दिया है कि रोजगार और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दे आज भी देश की राजनीति के केंद्र में सबसे ऊपर हैं।
