Vande Mataram Debate in Parliament: आज संसद में ‘वंदे मातरम’ पर होगी 10 घंटे की बहस, पीएम मोदी करेंगे बहस की शुरुआत
Vande Mataram Debate: विंटर सेशन में आज लोकसभा में वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर 10 घंटे की विशेष बहस होगी। PM मोदी, राजनाथ सिंह और विपक्ष के बड़े नेता होंगे शामिल।

Vande Mataram Debate: संसद के शीतकालीन सत्र में आज सोमवार को राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर लोकसभा में एक स्पेशल और शार्ट बहस होने जा रही है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद हिस्सा लेंगे। इस बहस के बेहद हंगामेदार रहने के आसार हैं क्योंकि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने की पूरी तैयारी में है। चर्चा के दौरान वंदे मातरम के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी महत्व के साथ-साथ उससे जुड़े विवादों को भी सदन के पटल पर रखा जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दूसरे प्रमुख वक्ता के रूप में अपनी बात रखेंगे।
लोकसभा में 10 घंटे की बहस, विपक्ष करेगा शुरुआत
वंदे मातरम पर होने वाली इस बहस के लिए लोकसभा में कुल 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। विपक्ष की ओर से चर्चा की शुरुआत कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई और प्रियंका गांधी करेंगे। इस दौरान राष्ट्रगीत के ऐतिहासिक महत्व, उसके विभिन्न संस्करणों, स्वतंत्रता आंदोलन में उसकी भूमिका और समय-समय पर उठे विवादों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। लोकसभा में कांग्रेस ने इस बहस के लिए अपने प्रमुख वक्ताओं के रूप में दीपेंद्र हुड्डा, बिमोल अकोइजाम, प्रणीति शिंदे, प्रशांत पडोले, किरण चमाला रेड्डी और ज्योत्सना महंत को चुना है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 7 नवंबर को ही वंदे मातरम पर सालभर चलने वाले समारोहों का औपचारिक शुभारंभ किया था।
राज्यसभा में अमित शाह करेंगे सरकार का नेतृत्व
वंदे मातरम को लेकर राज्यसभा में मंगलवार को चर्चा होगी, जिसका सरकार की ओर से नेतृत्व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। उनके बाद स्वास्थ्य मंत्री और सदन के नेता जेपी नड्डा बहस में हिस्सा लेंगे। विपक्ष की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए अपना पक्ष रखेंगे। माना जा रहा है कि दोनों सदनों में यह बहस ऐतिहासिक के साथ-साथ राजनीतिक रूप से भी बेहद तीखी हो सकती है।
पीएम मोदी पहले ही उठा चुके हैं विवादित छंदों का मुद्दा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर 7 नवंबर को इसके कुछ छंद हटाए जाने के मुद्दे को सार्वजनिक रूप से उठा चुके हैं। उन्होंने कांग्रेस का नाम सीधे तौर पर लिए बिना आरोप लगाया था कि 1937 में वंदे मातरम के कुछ ऐसे महत्वपूर्ण छंद हटा दिए गए, जो इसकी आत्मा का अभिन्न हिस्सा थे। पीएम मोदी ने कहा था कि उस दौर में वंदे मातरम के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए और इसके मूल स्वरूप के साथ छेड़छाड़ की गई। इसी बयान के बाद से इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस और तीखी हो गई है।
संसदीय बुलेटिन से और गहराया विवाद
वंदे मातरम को लेकर विवाद उस समय और बढ़ गया, जब एक संसदीय बुलेटिन जारी किया गया, जिसमें सदन की कार्यवाही के दौरान मर्यादा बनाए रखने से संबंधित नियमों को दोहराया गया। बुलेटिन में स्पष्ट किया गया कि सदन के भीतर “धन्यवाद”, “जय हिंद” और “वंदे मातरम” जैसे नारे नहीं लगाए जाएं। विपक्ष ने इस निर्देश को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल खड़े किए और वंदे मातरम के उल्लेख को लेकर सरकार के रुख पर आपत्ति जताई।
बंकिम चंद्र चटर्जी की रचना और आज की राजनीति
गौरतलब है कि राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम 1870 के दशक में महान साहित्यकार बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित था, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रवादी चेतना को नई दिशा दी। आज, 150 साल बाद, वही वंदे मातरम एक बार फिर संसद के केंद्र में है, जहां इसके ऐतिहासिक गौरव के साथ-साथ उससे जुड़े राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों पर भी खुलकर बहस होने जा रही है।
