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SC On Triple Talaq: तीन तलाक कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू, CJI ने अब तक दर्ज मामलों की मांगी लिस्ट

SC On Triple Talaq: केंद्र सरकार द्वारा तीन तलाक से संबंधित कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्‍ना की पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि तीन तलाक देने वाले कितने मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।

SC On Triple Talaq: तीन तलाक कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू, CJI ने अब तक दर्ज मामलों की मांगी लिस्ट
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By Ragib Asim

SC On Triple Talaq: केंद्र सरकार द्वारा तीन तलाक से संबंधित कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्‍ना की पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि तीन तलाक देने वाले कितने मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। कोर्ट ने सरकार से इस कानून को लेकर पूरी जानकारी मांगी है। मामले पर अगली सुनवाई 17 मार्च के बाद होगी।

CJI खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 12 याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार और अन्य पक्षों से याचिकाओं पर अपने लिखित अभ्यावेदन दाखिल करने को कहा। कोर्ट ने खास तौर पर अधिनियम के तहत दर्ज की गई FIR और आरोप पत्रों की जानकारी मांगी। कोर्ट ने कानून के जमीनी स्तर पर आकलन के लिए विशेष तौर पर ग्रामीण घटनाओं का ब्योरा भी मांगा।

सुनवाई के दौरान CJI खन्ना ने कहा, "पति-पत्नी के बीच संबंध बना रहता है, यह खत्म नहीं होता, प्रक्रिया ही अपराध है। हमारे पास वैधानिक अधिनियम हैं। मुझे नहीं लगता कि कोई भी वकील तीन तलाक की प्रथा का समर्थन करेगा, लेकिन हमारे सामने सवाल यह है कि क्या इसे आपराधिक बनाया जा सकता है, जबकि इस प्रथा पर प्रतिबंध है और एक बार में 3 बार तलाक बोलकर तलाक नहीं हो सकता।"

मुस्लिम संगठनों के वकीलों ने कहा, "जब तीन तलाक कानूनन अमान्य करार दिया गया है तो इसके जरिए शादी रद्द नहीं हो सकती। ऐसे में एक साथ तीन तलाक बोलना ज्यादा से ज्यादा ब्याहता पत्नी को छोड़ने का मामला होगा। यह किसी भी समुदाय में दंडनीय अपराध नहीं है। यह कानून तलाक की धमकी को भी दंडित करता है, जिसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506 के अनुसार वास्तविक आपराधिक धमकी के बराबर नहीं माना जाना चाहिए।"

केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "महिलाओं के हितों की सुरक्षा के लिए यह कानून बनाना जरूरी था। इस बात की अनुमति नहीं दी जा सकती कि कोई अपनी पत्नी से यह कह दे कि अगले पल से तुम मेरी पत्नी नहीं हो। यह IPC की धारा 506 के तहत भी धमकी देने जैसा अपराध है। तीन तलाक केवल कथनी ही नहीं, बल्कि रिश्ते को भी तोड़ता है। यह एक दुर्लभ संवैधानिक संशोधन है।"

22 अगस्त, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ 3 बार तलाक बोल कर शादी रद्द करने को असंवैधानिक करार दिया था। इसके बाद 2019 में सरकार ने एक साथ तीन तलाक को अपराध घोषित करने का कानून बनाया। इसे मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम कहा जाता है। इस अधिनियम को चुनौती देने वाली करीब 12 याचिकाएं 2019 से ही लंबित हैं। कोर्ट इन पर मार्च से नियमित सुनवाई करेगा।

Ragib Asim

Ragib Asim is a senior journalist and news editor with 13+ years of experience in Indian politics, governance, crime, and geopolitics. With strong ground-reporting experience in Uttar Pradesh and Delhi, his work emphasizes evidence-based reporting, institutional accountability, and public-interest journalism. He currently serves as News Editor at NPG News.

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