Transfer of Mortal Remains: विदेश में मौत होने पर परिजन कैसे मंगवा सकते हैं शव? हर साल हजारों भारतीयों की विदेशों में होती है मौत
Transfer of Mortal Remains: हर साल हजारों भारतीय विदेशों में विभिन्न कारणों से अपनी जान गंवाते हैं, जिससे उनके परिजनों को शव वापस मंगवाने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
Transfer of Mortal Remains: हर साल हजारों भारतीय विदेशों में विभिन्न कारणों से अपनी जान गंवाते हैं, जिससे उनके परिजनों को शव वापस मंगवाने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कुवैत में 12 जून को एक छह मंजिला इमारत में आग लगने से 45 भारतीय कामगारों की मौत हो गई थी, लेकिन विदेश मंत्रालय के सहयोग से सभी शवों को वापस भारत लाया गया था।
विदेशों से शव वापस मंगवाने की प्रक्रिया
मृत्यु पंजीकरण: किसी भारतीय की विदेश में मृत्यु होने पर संबंधित भारतीय मिशन/पोस्ट पर मृत्यु का पंजीकरण आवश्यक है।
दस्तावेज़: आवश्यक दस्तावेज़ों में मृत्यु प्रमाण पत्र, पुलिस रिपोर्ट (अप्राकृतिक मृत्यु के मामले में), निकटतम रिश्तेदार का सहमति पत्र, पासपोर्ट और वीजा की प्रति शामिल होती हैं।
अन्य मंजूरी: शव को सुरक्षित रखने और परिवहन के लिए अन्य मंजूरी और स्थानीय आव्रजन/सीमा शुल्क विभाग की स्वीकृति भी आवश्यक होती है।
शव वापसी का समय
शव वापसी की प्रक्रिया समय-समय पर भिन्न हो सकती है। खाड़ी देशों में यह प्रक्रिया सामान्यतः 2 से 4 सप्ताह तक की होती है, जबकि अप्राकृतिक मृत्यु के मामलों में अधिक समय लग सकता है।
विदेश में अंतिम संस्कार की अनुमति
विदेश मंत्रालय के अनुसार, विदेश में ही अंतिम संस्कार किया जा सकता है। इसके लिए परिजनों को पंजीकरण के समय सहमति पत्र देना होता है। खाड़ी देशों में केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों को ही दफनाने की अनुमति होती है।
विदेश में कितनी है भारतीय आबादी?
विदेश मंत्रालय के अनुसार, विदेशों में लगभग 2.90 करोड़ भारतीय रहते हैं, जो दुनिया के सबसे बड़े प्रवासी समुदाय में से एक हैं। हर साल करीब 25 लाख भारतीय विदेश जाते हैं।
औसतन हर 2 घंटे में एक भारतीय की विदेश में मौत
विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 10 सालों में विदेशों में औसतन हर 2 घंटे में एक भारतीय की मौत हुई है। हर साल औसतन 4,786 भारतीयों की विदेशों में मृत्यु होती है, जिसे प्रतिदिन 13 मौतों के औसत के रूप में देखा जा सकता है।
शव वापसी की प्रक्रिया में तेजी
भारतीय दूतावास अधिकारी शव वापसी की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए मृतक के निकटतम रिश्तेदारों और संबंधित विदेशी अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क में रहते हैं। अगर कोई मित्र या रिश्तेदार उपलब्ध न हो, तो परिजन भारतीय दूतावास को इस कार्य के लिए अधिकृत कर सकते हैं।
व्यापारियों और आम जनता की समस्याएं
किसान आंदोलन का असर अंबाला के बाजारों पर भी पड़ा है। व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन किया और बाजार बंद रहे। उनकी मांग है कि शम्भू बार्डर खोला जाए ताकि व्यापार पर असर न पड़े।