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हादसों वाला गांव : बिहार के इस गांव में नाव के सहारे गुजरती है जनता की जिंदगी

Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बागमती नदी में एक नाव के पलट जाने से तीन लोगों की मौत हो चुकी है। अभी भी करीब 10 लापता लोगों की तलाश में टीम लगी हुई है...

हादसों वाला गांव : बिहार के इस गांव में नाव के सहारे गुजरती है जनता की जिंदगी
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Bihar News 

By Manish Dubey

Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बागमती नदी में एक नाव के पलट जाने से तीन लोगों की मौत हो चुकी है। अभी भी करीब 10 लापता लोगों की तलाश में टीम लगी हुई है।

सही अर्थों में गायघाय प्रखंड के मधुरपट्टी गांव के ग्रामीणों की आंखों के सामने एक और नाव हादसे ने कई लोगों को खोया, लेकिन बागमती तट पर बसे इस गांव के रहने वालों की जिंदगी कटाव, बहाव और नाव के सहारे ही गुजरती है।

बलौर निधि पंचायत में बागमती नदी के एक तरफ मधुरपट्टी और दूसरी तरफ बलौर भटगामा गांव है। दोनों गांव में ग्रामीण सड़क की बजाय नदी के रास्ते ही आना-जाना करते हैं।

ग्रामीण बताते हैं कि हाई स्कूल हो या पंचायत भवन, वहां जाने के लिए सड़क से करीब 8 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। नदी के रास्ते नाव से जाने में यह दूरी कम पड़ती है, जिस कारण लोग नाव के ही सहारे जाते हैं।

500 परिवारों वाले इस गांव के रहने वाले अजीत अपना दर्द बयां करते हुए कहते हैं कि इस गांव में जन्म लेने के बाद नाव से ही जिंदगी की शुरुआत होती है। वे कहते हैं कि जब बच्चा गर्भ में पलता है तो मां भी नाव से नदी पार कर अस्पताल तक पहुंचती है।

बाजार हो या स्कूल, वहां तक जाने के लिए ग्रामीणों का नाव ही एकमात्र सहारा है। गांव के ही शुभम पासवान कहते हैं कि यह कोई पहली बार नाव हादसा नहीं हुआ है। वे बताते हैं कि हर साल नाव हादसा होता है।

उन्होंने कहा कि वर्षों से इस क्षेत्र के लोग पुल बनाने की मांग करते रहे हैं। वे रुआंसे भाव से कहते हैं कि हर हादसे के बाद प्रशासनिक अमला गांव आता है, प्रत्येक चुनाव में नेता लोग भी गांव आते हैं, सभी पुल बनाने का वादा करते हैं, फिर वादों को भूल जाते हैं।

इस हादसे ने मुख्य विपक्षी पार्टी को भी सत्ता पक्ष पर हमला करने का मौका दे दिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी कहते हैं कि 17 साल नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री रहने के बावजूद आज भी ऐसी स्थिति है कि बच्चों को शिक्षा के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि इससे बड़ी बदहाली की तस्वीर क्या हो सकती है। यह हाल केवल मुजफ्फरपुर का नहीं है, उत्तर बिहार के कई गांवों के बच्चों को इस स्थिति से गुजरना पड़ता है।

बहरहाल, मुख्यमंत्री भले ही सड़क की व्यवस्था दुरुस्त करने का दावा करते हुए प्रदेश के किसी भी क्षेत्र से राजधानी पहुंचने के लिए छह घंटे का समय लगने का दावा कर रहे हों लेकिन इस नाव हादसे ने सरकार के दावे की कलई खोल दी।

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