तंदूर कांड । नैना साहनी मर्डर केस । Delhi Tandoor Case। जब पत्नी का Murder कर तंदूर में जला दी थी लाश । Naina Sahni Murder Case
Delhi Tandoor Case। Naina Sahni Murder Case: तंदूर कांड, जिसे नैना साहनी मर्डर केस के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय इतिहास की सबसे जघन्य और हृदयविदारक घटनाओं में से एक है।
Delhi Tandoor Case। Naina Sahni Murder Case: तंदूर कांड, जिसे नैना साहनी मर्डर केस के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय इतिहास की सबसे जघन्य और हृदयविदारक घटनाओं में से एक है। यह मामला 2 जुलाई 1995 की रात को हुआ, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। आइए इस घटना की विस्तार से जानकारी प्राप्त करें:
घटना का विवरण
- तारीख: 2 जुलाई 1995
- स्थान: गोल मार्केट, दिल्ली
- समय: रात के साढ़े आठ बजे
घटना की शुरुआत
उस रात, यूथ कांग्रेस के पूर्व नेता सुशील शर्मा ने अपनी पत्नी नैना साहनी को किसी से फोन पर बात करते हुए देखा। जब नैना ने सुशील को देखा, तो उसने तुरंत फोन काट दिया। सुशील को शक हुआ और उसने उस नंबर को डायल किया। दूसरी तरफ उसका सहपाठी करीम मतबूल था। इस पर सुशील को गुस्सा आ गया और उसने बिना सोचे-समझे नैना पर रिवाल्वर से गोलियां चला दीं। गोलियों की बौछार से नैना ने वहीं दम तोड़ दिया।
शव ठिकाने लगाने का प्रयास
सुशील ने नैना के शव को ठिकाने लगाने के लिए बगिया रेस्टोरेंट में तंदूर में जलाने का प्लान बनाया। रात के करीब एक बजे, जब सड़कें सुनसान हो गई थीं और लोग गहरी नींद में सो रहे थे, उसने नैना के शव को रेस्टोरेंट में लाकर तंदूर में डाल दिया और आग लगा दी। शव को जल्दी जलाने के लिए उसने रेस्टोरेंट के मैनेजर को मक्खन लाने भेजा, जिससे शव आसानी से जल सके।
चश्मदीद गवाह
सब्जी बेचने वाली अनारो, जो फुटपाथ पर सो रही थी, ने रेस्टोरेंट से आग की लपटें निकलते देखा और चीखने लगी। उसकी चीख सुनकर दिल्ली पुलिस के सिपाही अब्दुल नजीर गुंजू घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने रेस्टोरेंट में नैना का जला हुआ शव पाया। आग की गर्मी की वजह से नैना की अतड़ियां पेट से बाहर निकल आई थीं। पुलिस ने तुरंत होटल के मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया।
कानूनी कार्रवाई और सजा
इस मामले में सुशील शर्मा को गिरफ्तार किया गया और उन्हें जेल हुई। यह मामला भारतीय न्यायिक इतिहास में महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह स्पष्ट रूप से महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अपराध की गंभीरता कोदर्शाता है।
सुशील शर्मा की रिहाई
दिसंबर 2018 में, 23 साल से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद, सुशील शर्मा को रिहा कर दिया गया। उनकी रिहाई ने एक बार फिर इस मामले को चर्चा में ला दिया और लोगों को उस भयानक रात की याद दिला दी। तंदूर कांड ने ना केवल दिल्ली, बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया था। यह मामला एक चेतावनी के रूप में कार्य करता है कि कैसे गुस्सा और अविश्वास के चलते मानवता की सीमा को लांघ कर एक व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ ऐसी घिनौनी हरकत कर सकता है। यह घटना आज भी भारतीय समाज में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय के महत्व को उजागर करती है।