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Surya Grahan 2025: साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा कब; जानें कहा-कहा दिखाई देगा इसका प्रभाव, क्या है सूतक काल के नियम?

साल 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण जल्द ही लगने जा रहा है, लोग जानना चाहते हैं कि यह सूर्य ग्रहण किस समय लगेगा और कहां-कहां दिखाई देगा?

Surya Grahan 2025: साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा कब; जानें कहा-कहा दिखाई देगा इसका प्रभाव, क्या है सूतक काल के नियम?
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Surya Grahan 2025 (NPG FILE PHOTO)

By Ashish Kumar Goswami

Surya Grahan 2025: आसमान के रहस्यों को जानने वालों के लिए साल 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण एक खास मौका लेकर आ रहा है। यह सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि कई मायनों में बेहद खास है। यह ग्रहण 21 सितंबर को लगेगा, और इसका सीधा संबंध ज्योतिष, धर्म और प्रकृति के अद्भुत नजारों से है। खास बात यह है कि, यह ग्रहण एक दिन पहले ही आ रहा है, जब सितंबर इक्विनॉक्स होता है, यानी जब दिन और रात की अवधि लगभग बराबर होती है। यही वजह है कि खगोलविद इसे दुर्लभ और अद्भुत मान रहे हैं।

यह आंशिक सूर्य ग्रहण है, यानी सूर्य पूरी तरह से नहीं ढकेगा, बल्कि चांद की परछाई के कारण वह एक क्रीसेंट शेप (चांद जैसी आकृति) में दिखाई देगा। यह नजारा अपने आप में बेहद रोमांचक होगा, क्योंकि सूर्योदय के समय इस तरह का दृश्य बहुत कम ही देखने को मिलता है। इस खबर में हम आपको इस सूर्य ग्रहण से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी विस्तार से बताएंगे, ताकि आपके मन में उठ रहे सभी सवालों के जवाब मिल सकें।

कब और कितनी देर तक रहेगा यह ग्रहण?

साल 2025 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को रात 11 बजे (भारतीय समयानुसार) शुरू होगा और अगले दिन 22 सितंबर की सुबह 3:24 बजे समाप्त होगा। इस तरह, यह कुल 4 घंटे 24 मिनट तक चलेगा। भले ही यह ग्रहण रात के समय लग रहा है, पर इसकी अवधि काफी लंबी है।

भारत में क्यों नहीं दिखेगा?

यह ग्रहण भारत के लोगों को निराश कर सकता है, क्योंकि यह हमारे देश में बिल्कुल दिखाई नहीं देगा। ग्रहण के समय भारत में रात होगी। इसलिए, इसका सूतक काल भी यहाँ मान्य नहीं होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल तभी लगता है, जब ग्रहण को सीधे आँखों से देखा जा सके। चूँकि यह ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं है, इसलिए यहाँ के लोगों को किसी भी तरह की सावधानियां बरतने की ज़रूरत नहीं है। आप अपने रोजमर्रा के काम बिना किसी संकोच के कर सकते हैं।

कहां-कहां दिखेगा?

यह सूर्य ग्रहण मुख्य रूप से दक्षिणी गोलार्ध (Southern Hemisphere) के देशों में दिखाई देगा। न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में यह बेहद साफ नज़र आएगा। न्यूजीलैंड के साउथ आइलैंड में सूर्य का लगभग 86% हिस्सा चांद से ढक जाएगा, जो एक अद्भुत नजारा होगा। इसके अलावा, स्टुअर्ट आइलैंड, क्राइस्टचर्च और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों से भी यह ग्रहण देखा जा सकेगा। ड्युनेडिन (न्यूजीलैंड) में तो सूर्य 22 सितंबर की सुबह आंशिक रूप से ढका हुआ ही उगता हुआ दिखाई देगा, जो इसे और भी खास बनाता है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह क्यों है खास?

ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रहण का अपना खास महत्व होता है। यह ग्रहण 21 सितंबर को कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा। इस दौरान, सूर्य के साथ-साथ चंद्रमा और बुध भी कन्या राशि में होंगे, जिससे एक खास बुधादित्य योग बनेगा। यह संयोग ग्रहण के दौरान बना रहेगा। इसके अलावा, शनि मीन राशि में, गुरु मिथुन में, मंगल तुला में, शुक्र और केतु सिंह में, और राहु कुंभ राशि में रहेंगे। इन ग्रहों की स्थिति का अलग-अलग राशियों और लोगों के जीवन पर असर देखने को मिलेगा। ज्योतिषियों का मानना है कि इस दौरान मंत्र जाप, दान और पुण्य कार्य करना लाभकारी हो सकता है, हालांकि, भारत में सूतक काल न होने के कारण यहाँ के लोगों पर इसका सीधा धार्मिक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

ग्रहण के दौरान क्या करें ?

हालांकि भारत में सूतक काल नहीं लग रहा, लेकिन अगर आप धार्मिक मान्यताओं का पालन करते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं।


1. गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है।

2. ग्रहण के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करें ताकि वातावरण शुद्ध हो।

3. ग्रहण समाप्त होने के बाद पवित्र नदियों में स्नान करें और गरीबों को दान दें।


ग्रहण के दौरान क्या- क्या न करें?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल में भोजन नहीं करना चाहिए और पानी में तुलसी के पत्ते डालने चाहिए।

1. मंदिर की मूर्तियों को या पूजा सामग्री को छूना वर्जित माना जाता है।

2. गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर ही रहना चाहिए।

3. नुकीले औजारों, जैसे कैंची, चाकू या सुई, का प्रयोग करना अशुभ माना जाता है।

यह सूर्य ग्रहण विज्ञान और धर्म दोनों के लिए एक अद्भुत घटना है। यह हमें प्रकृति के नियमों और ब्रह्मांड की विशालता को समझने का मौका देता है। भले ही यह भारत में नहीं दिखेगा, पर खगोलशास्त्र में रुचि रखने वाले लोग इसे ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से देख सकते हैं। तो तैयार हो जाइए आसमान के इस अनोखे और दुर्लभ नजारे को देखने के लिए।

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