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SC On Allahabad High Court: 'स्तन पकड़ना और पायजामे की डोरी तोड़ना रेप नहीं' – इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा एक्शन!

SC On Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक विवादित फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी कार्रवाई की है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि किसी लड़की के स्तनों को पकड़ना और उसके पायजामे की डोरी तोड़ना रेप या उसकी कोशिश का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है।

SC On Allahabad High Court: स्तन पकड़ना और पायजामे की डोरी तोड़ना रेप नहीं – इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा एक्शन!
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By Ragib Asim

SC On Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक विवादित फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी कार्रवाई की है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि किसी लड़की के स्तनों को पकड़ना और उसके पायजामे की डोरी तोड़ना रेप या उसकी कोशिश का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है। इस फैसले के खिलाफ देशभर में गुस्सा भड़क उठा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार को रोक लगा दी है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज की संवेदनशीलता पर सवाल उठाए।

क्या था मामला?

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने 17 मार्च को एक केस में फैसला सुनाया था। इसमें दो आरोपियों, पवन और आकाश, पर 11 साल की नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ का आरोप था। पीड़िता की शिकायत के मुताबिक, आरोपियों ने उसके स्तनों को पकड़ा, पायजामे की डोरी तोड़ी और उसे पुलिया के नीचे घसीटने की कोशिश की। निचली अदालत ने इसे रेप की कोशिश माना था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे सिर्फ यौन उत्पीड़न की श्रेणी में रखा और रेप का आरोप हटा दिया। इस फैसले की चौतरफा आलोचना हुई।

सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई

'वी द वुमन ऑफ इंडिया' नाम के संगठन ने इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद शीर्ष अदालत ने खुद इस मामले का संज्ञान लिया। सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के फैसले समाज में गलत संदेश देते हैं और पीड़ितों के न्याय पर सवाल उठाते हैं। सुनवाई के दौरान जज की संवेदनशीलता और कानूनी व्याख्या पर गंभीर सवाल खड़े किए गए।

जजों की नियुक्ति पर बहस

इसी बीच, दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने की खबरों ने न्यायपालिका पर सवाल उठाए हैं। मंगलवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बैठक बुलाई, जिसमें जेपी नड्डा, मल्लिकार्जुन खरगे जैसे नेता शामिल हुए। बैठक में जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता और उनके व्यवहार के लिए आचार संहिता की मांग उठी। नेताओं का कहना था कि न्यायिक जवाबदेही जरूरी है, लेकिन न्यायपालिका की स्वतंत्रता भी बरकरार रहनी चाहिए।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

कानूनी जानकारों का मानना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को कम आंकने वाला है। सुप्रीम कोर्ट की रोक से उम्मीद जगी है कि इस तरह के मामलों में सख्ती बरती जाएगी। साथ ही, जजों की नियुक्ति और उनके फैसलों की जवाबदेही तय करने की मांग भी तेज हो गई है।

Ragib Asim

Ragib Asim is a journalist currently employed as News Editor in NPG News (Digital). Born and brought up in Bettiah, Ragib journey began with print media and soon transitioned towards digital. He carries more than 10 years of experience in the field with focus on New media. He has previously worked with Hindustan Samachar, News Track, Janjwar, Special Coverage News Hindi. His interests include Science, Geopolitics, Economics and Current affairs.

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