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Supreme Court Slams ED: सुप्रीम कोर्ट ने ED को फटकारा, क्या PMLA का दुरुपयोग हो रहा है? छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में अरुण त्रिपाठी को जमानत

Supreme Court Slams ED: सुप्रीम कोर्ट ने ED की PMLA के दुरुपयोग पर तीखी आलोचना की। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में अरुण त्रिपाठी को जमानत देते हुए शीर्ष अदालत ने ED के तरीकों पर सवाल उठाए। पढ़ें पूरी खबर।

Supreme Court Slams ED: सुप्रीम कोर्ट ने ED को फटकारा, क्या PMLA का दुरुपयोग हो रहा है? छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में अरुण त्रिपाठी को जमानत
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By Ragib Asim

Supreme Court Slams ED: सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी को जेल में रखने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) का इस्तेमाल करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तीखी आलोचना की है। शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि क्या दहेज कानून की तरह PMLA प्रावधान का भी "दुरुपयोग" किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा भारतीय दूरसंचार सेवा के अधिकारी अरुण कुमार त्रिपाठी को हिरासत में रखने पर आपत्ति जताई। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में PMLA के तहत उनके खिलाफ शिकायत का संज्ञान लेने के आदेश को हाई कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया था।

अदालत की टिप्पणी: PMLA का दुरुपयोग?

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने बुधवार (12 फरवरी) को छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि अगर शिकायत पर संज्ञान लेने वाले अदालती आदेश को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था, तो आरोपी को हिरासत में कैसे रखा गया।

पीठ ने पूछा, "व्यक्ति को जेल में रखना पीएमएलए की अवधारणा नहीं हो सकती। अगर संज्ञान रद्द होने के बाद भी व्यक्ति को जेल में रखने की प्रवृत्ति है, तो क्या ही कहा जा सकता है? देखें कि 498A मामलों में क्या हुआ था, पीएमएलए का भी उसी तरह दुरुपयोग किया जा रहा है?" भारतीय दंड संहिता की धारा 498A विवाहित महिलाओं को पतियों और उनके रिश्तेदारों की क्रूरता से बचाती है।

ED का जवाब और अदालत की प्रतिक्रिया

सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत देने का विरोध करते हुए कहा कि तकनीकी आधार पर अपराधी बच नहीं सकते। राजू ने कहा कि मंजूरी के अभाव में संज्ञान रद्द कर दिया गया था और यह जमानत के लिए अप्रासंगिक है।

पीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, "यह चौंकाने वाला है कि ईडी को पता है कि संज्ञान रद्द कर दिया गया था, फिर भी इसे दबा दिया गया। हमें अधिकारियों को तलब करना चाहिए। ईडी को साफ-साफ बताना चाहिए।" शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, "हम क्या दिखाना चाह रहे हैं? संज्ञान लेने का आदेश रद्द किया जा चुका है, फिर भी व्यक्ति हिरासत में है।"

क्या है पूरा मामला?

ED ने त्रिपाठी को 8 अगस्त, 2024 को गिरफ्तार किया था। लेकिन छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 7 फरवरी, 2025 को उनके खिलाफ शिकायत का संज्ञान लेने वाले स्पेशल कोर्ट के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि उन पर मुकदमा चलाने के लिए कोई मंजूरी नहीं ली गई है।

शीर्ष अदालत भारतीय दूरसंचार सेवा के अधिकारी त्रिपाठी की अपील पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में उन्होंने राज्य में चर्चित आबकारी घोटाले के सिलसिले में जमानत देने से इनकार करने वाले छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। प्रतिनियुक्ति पर छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड के विशेष सचिव और प्रबंध निदेशक रहे त्रिपाठी को ईडी ने जांच के बाद गिरफ्तार किया था।

ईडी ने आर्थिक अपराध शाखा, रायपुर द्वारा भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की कई धाराओं के तहत दर्ज एक पूर्व निर्धारित अपराध के आधार पर जांच शुरू की। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और राजनीतिक पदाधिकारियों के एक आपराधिक सिंडिकेट ने शराब के व्यापार से अवैध कमाई करने के लिए राज्य की आबकारी नीतियों में हेरफेर किया।

Ragib Asim

रागिब असीम – समाचार संपादक, NPG News रागिब असीम एक ऐसे पत्रकार हैं जिनके लिए खबर सिर्फ़ सूचना नहीं, ज़िम्मेदारी है। 2013 से वे सक्रिय पत्रकारिता में हैं और आज NPG News में समाचार संपादक (News Editor) के रूप में डिजिटल न्यूज़रूम और SEO-आधारित पत्रकारिता का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने करियर की शुरुआत हिन्दुस्तान अख़बार से की, जहाँ उन्होंने ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग के मायने समझे। राजनीति, समाज, अपराध और भूराजनीति (Geopolitics) जैसे विषयों पर उनकी पकड़ गहरी है। रागिब ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।

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