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Supreme Court News: वोटर लिस्ट से 65 लाख नाम गायब! सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा- किस आधार पर की गई कटौती?

Supreme Court News: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ADR ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर भारत निर्वाचन आयोग ECI पर ड्राफ्ट लिस्ट से 65 लाख वोटर्स के नाम डिलीट करने का आरोप लगाया है। याचिका पर तीन जजों की बेंच में सुनवाई चल रही है। बेंच ने भारत निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा है।

Supreme Court News: वोटर लिस्ट से 65 लाख नाम गायब! सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा- किस आधार पर की गई कटौती?
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Supreme Court News

By Radhakishan Sharma

Supreme Court News: दिल्ली। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण SIR के बाद प्रकाशित मतदाता सूची से 65 लाख मतदाताओं के नाम डिलीट करने का आरोप भारत निर्वाचन आयोग पर याचिकाकर्ता ने लगाया है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिका की सुनवाई के बाद आयोग को इस संबंध में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। बेंच ने भारत निर्वाचन आयोग से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या 1 अगस्त को प्रकाशित ड्राफ्ट लिस्ट को प्रकाशन से पहले राजनीतिक दलों के साथ साझा की गई थी। शनिवार तक पूरी जानकारी पेश करने कहा है।

याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ADR ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि भारत निर्वाचन ने जिन 65 लाख वोटर्स को मतदाता सूची से डिलीट कर दिया है उनके स्टेटस के बारे में जानकारी नहीं दी जा रही है। आयोग ने यह भी नहीं बताया कि जिन वोटर्स के नाम को डिलीट किया है वे कौन हैं और कहां से आए थे,वर्तमान में कहां हैं। ये मतदाता पलायन कर गए हैं या फिर इनकी मौत हो गई है। आयोग की तरफ से कुछ भी जानकारी नहीं दी जा रही है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि राजनीतिक दलों को ब्लॉक स्तर पर मतदाता सूची साझा नहीं की गई है। यह भी स्पष्ट नहीं था कि सूची में शामिल या फिर छूटे नाम BLO की सिफारिशों के अनुसार हैं या नहीं।

याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुयान और जस्टिस एनके सिंह की बेंच में सुनवाई चल रही है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि आयोग को यह बताना चाहिए कि जिन 65 लाख वोटर्स के नाम डिलीट किए गए हैं उनमें से कितने पलायन कर गए हैं और कितने वोटर्स की मृत्यु हो गई है।

कोर्ट ने कहा, SOP का पालन करना अनिवार्य-

कोर्ट ने कहा कि मानक संचालन प्रक्रिया SOP के अनुसार, प्रत्येक राजनीतिक दल के प्रतिनिधि को ब्लॉक स्तर पर सूची उपलब्ध कराई जानी चाहिए। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दावा किया कि ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने कहा, आयोग ने इसकी सूचना नहीं दी। अगर किसी राजनीतिक दल को दी भी है तो कारण नहीं बताए गए। कोर्ट ने कहा कि यह केवल प्रारंभिक सूची है। अंतिम सूची जारी होने पर कारण बताए जाएंगे। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा, BLO की सिफ़ारिश के बिना ही लोगों को सूची में शामिल किया गया। जिन लोगों को शामिल किया गया, उनके लिए भी बीएलओ ने सिफ़ारिश नहीं की है। 75% से ज़्यादा लोगों ने ये 11 दस्तावेज़ जमा नहीं किए। BLO ने ख़ुद ही फ़ॉर्म भरे हैं और उनमें से किसी में भी कोई दस्तावेज़ नहीं है। चुनाव आयोग के अधिवक्ता ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की दलीलों का खंडन करते हुए कहा कि गलत दलीलें दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रकाशन से पहले मसौदा सूची राजनीतिक दलों के साथ साझा की गई है। आयोग के अधिवक्ता ने कहा, हमारा दायित्व केवल मसौदा सूची को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना है...हम यह दिखा सकते हैं कि हमने सूची राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ साझा की है।

कोर्ट ने मांगी राजनीतिक दलों की सूची-

भारत निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता के दावों के बीच कोर्ट ने कहा कि यह सब जवाब में क्यों नहीं कह सकते। अगर आपने वाकई जानकारी दी है तो उन राजनीतिक दलों की सूची दें, जिन्हें आपने जानकारी दी है। ताकि याचिकाकर्ता उन अधिकृत प्रतिनिधियों से जानकारी एकत्र कर सकें। आयोगग के अधिवक्ता को शनिवार तक जवाब दाखिल करने कहा है।बेंच ने आयोग के अधिवक्ता से कहा कि इस संंबंध में एक विस्तृत जवाब दाखिल करें। केवल राजनीतिक दलों के पास ही नहीं, स्थानीय प्रशासन के पास भी जानकारी होनी चाहिए।

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