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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, वोटर ड्राफ्ट रोल से बाहर हुए मतदाताओं को ऑनलाइन आवेदन करने की छूट

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच का फैसला बिहार के उन मतदाताओं के लिए खास है जिनका नाम मतदाता सूची से बाहर कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोटर ड्राफ्ट रोल से बाहर हुए मतदाताओं को आनलाइन आवेदन करने की छूट दी जा रही है। आधार कार्ड के साथ आनलाइन आवेदन कर सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी शर्त रख दी है कि सत्यापन के दौरान भौतिक रूप से उपस्थित होना होगा और आयोग द्वारा तय किए गए 11 में से कोई एक दस्तावेज पेश करने होंगे।

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, वोटर ड्राफ्ट रोल से बाहर हुए मतदाताओं को ऑनलाइन आवेदन करने की छूट
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By Supriya Pandey

Supreme Court News: दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के ऐसे लाखों मतदाताओं को राहत दी है जिनका नाम गहन पुनरीक्षण के दौरान मतदाता सूची से विलोपित कर दिया गया था। अब ऐसे मतदाता आधार कार्ड के जरिए आनलाइन आवेदन कर सकेंगे। सत्यापन के दौरान आयोग द्वारा निर्धारित 11 में से कोई भी एक दस्तावेज के साथ स्वयं उपस्थित होना होगा।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की डिवीजन बेंच ने बिहार में 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को निर्देश दिया कि मतदाता सूची में नाम जोड़वाने के लिए बूथों में पहुंचने वाले लोगों की सहायता के लिए बीएलए बूथ लेवल एजेंट की तैनाती करें।बेंच ने इस बात को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया कि मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के तकरीबन एक लाख छह हजार बीएलए हैं। पर किसी ने भी इसे लेकर आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। कुछ एक बीएलए ने यह जरुरी शिकायत की है कि बीएलओ द्वारा आपत्तियों को स्वीकार नहीं किया जा रहा है। बेंच ने बीएलओ को निर्देशित किया कि आपत्ति दर्ज कराई जाने की स्थिति में पावती जरुर दें। इसमें किसी तरह की कोताही ना बरती जाए।

भारत निर्वाचन की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने बताया कि बेंच के पूर्व निर्देशों का परिपालन करते हुए आयोग ने उन वोटरों की सूची प्रकाशित कर दी है साथ ही नामों को हटाए जाने के कारणों का भी उल्लेख किया गया है। ऐसी सूची वेबसाइट के अलावा पोलिंग बूथों में भी चस्पा कर दिया गया है। सूची को राजनीतिक दलों के बीएलए को भी उपलब्ध कराया गया है।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि कई लोग राज्य के बाहर प्रवासी श्रमिकों के रूप में काम कर रहे हैं और वे फॉर्म दाखिल करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। सभी राजनीतिक दलों के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में बूथ लेवल एजेंट BLA नहीं हैं।

बीते सुनवाई में कोर्ट ने आयोग को दिया था निर्देश

दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने आयोग को निर्देशित किया, जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइट पर तकरीबन 65 लाख मतदाताओं की सूची प्रकाशित करे जिन्हें एसआईआर अभियान के बाद प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची से हटा दिया गया है।

बेंच ने यह भी कहा कि हटाने के कारण, जैसे मृत्यु, प्रवास, डबल-पंजीकरण आदि को साफतौर पर बताया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यह जानकारी बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर भी प्रदर्शित की जानी चाहिए और दस्तावेजों को ईपीआईसी नंबरों के आधार पर खोजा जाना चाहिए।


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