Supreme Court News: उन्नाव रेप केस: यूपी के पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक,सीबीआई के अलावा दो अधिवक्ताओं ने दायर की है अपील...
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप केस के आरोपी उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर की जमानत पर रोक लगा दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर को जमानत दे दी थी।

Supreme Court News: दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप केस के आरोपी उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर की जमानत पर रोक लगा दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर को जमानत दे दी थी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिय CJI सूर्यकांत, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सेंगर की सजा निलंबन के फैसले को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के विवादित आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता को अलग से एसएलपी दायर करने की छूट दी है। बेंच ने साफ कहा कि उसे कानूनी अधिकार है। एसएलपी दायर करने के लिए उसे इस अदालत से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। यदि उसे मुफ्त कानूनी सहायता की आवश्यकता है तो सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करेगी। वह अपने वकील के माध्यम से भी अपनी अपील दायर कर सकती है।
बेंच दो याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रहा है। CBI के अलावा अधिवक्त अंजले पटेल और पूजा शिल्पकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इन्हीं दोनों याचिकाओं की सुप्रीम कोर्ट में एकसाथ सुनवाई चल रही है। CBI की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हाई कोर्ट ने यह मानने में गलती की कि POCSO Act के तहत गंभीर अपराध के प्रावधान लागू नहीं होते, क्योंकि सेंगर को लोक सेवक नहीं माना जा सकता। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, "लोक सेवक" शब्द POCSO Act में परिभाषित नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि सेंगर उस समय इलाके में एक शक्तिशाली विधायक होने के नाते, साफ तौर पर ऐसा दबदबा रखते थे। दोषी को पीड़िता के पिता और कुछ अन्य लोगों की हत्या का भी दोषी ठहराया गया। वह अभी भी जेल में है, बाहर नहीं आ पाया है।
सीजेआई ने पूछा कि क्या CBI का मामला यह था कि एक बार जब पीड़ित नाबालिग होता है तो पब्लिक सर्वेंट होने का कॉन्सेप्ट अप्रासंगिक हो जाता है। सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि बच्चे पर पेनिट्रेटिव यौन हमला खुद POCSO Act के तहत एक अपराध है। सेंगर की ओर से पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे और एन हरिहरन ने CBI की दलीलों का विरोध किया और तर्क दिया कि POCSO Act के तहत गंभीर अपराधों के मकसद से एक विधायक को पब्लिक सर्वेंट नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि ट्रायल के दौरान जो आरोप तय किया गया और जिसका जवाब दिया गया, वह IPC की धारा 376(1) के तहत था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने IPC की धारा 376(2)(i) की प्रयोज्यता की जांच नहीं की, जो अपराध की तारीख को लागू है और नाबालिग के बलात्कार से संबंधित है। बेंच ने कहा कि "पब्लिक सर्वेंट" की परिभाषा और POCSO ढांचे के तहत इसकी प्रासंगिकता से संबंधित कानूनी मुद्दे पर फैसला करने की ज़रूरत है। कोर्ट ने CBI की याचिका पर नोटिस जारी किया है। हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह की मोहलत दी है।
