Supreme Court News: कोयला, शराब और DMF घोटाले के आरोपी सूर्यकांत तिवारी को मिली 1 महीने की अंतरिम जमानत
Supreme Court News: कोयला, शराब व डीएमएफ घोटाले के आरोप में बीते तीन साल से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद सूर्यकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत आवेदन को स्वीकार कर लिया है।

Supreme Court News
Supreme Court News: दिल्ली। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल के दौरान हुए कोयला, डीएमएफ व शराब घोटाले के आरोप में बीते तीन साल से जेल में बंद सूर्यकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने एक महीने के लिए जमानत दी है। सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस जायमाला बागची की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता सूर्यकांत तिवारी की ओर से मुकुल रोहतगी,शशांक मिश्रा व तुषार गिरी ने पैरवी की। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने सूर्यकांत तिवारी को एक महीने के लिए सशर्त अंतरिम जमानत दे दी है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने जमानत का किया था विरोध-
कोल व डीएमएफ घोटाले के आरोपी सूर्यकांत तिवारी के जमानत आदेश को रद्द करने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। राज्य सरकार ने अपनी याचिका में बताया है कि जेल में रहते हुए सूर्यकांत तिवारी द्वारा सह-आरोपी निखिल चंद्राकर को धमकी दी जा रही है। जेल से निकलने पर गवाहों को प्रभावित करेगा। लिहाजा जमानत आदेश को रद्द किया जाए। कोयला लेवी 'घोटाले' से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामला, कोल लेवी 'घोटाले' से संबंधित ईओडब्ल्यू मामला और डीएमएफ 'घोटाले' से संबंधित मामले में सूर्यकांत तिवारी तीन साल से जेल में बंद है। इसी आरोप में रानू साहू व सौम्या चौरसिया को सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी-
छत्तीसगढ़ में हुए कोयला लेवी 'घोटाला' मामले के प्रमुख आरोपी सूर्यकांत तिवारी को दी गई अंतरिम जमानत रद्द करने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अफसोस जताते हुए कहा, इन दिनों अभियुक्तों को केवल अभियोजन के लिए जेलों में रखा जाता है। राज्य गवाहों की सुरक्षा के लिए कोई प्रभावी नहीं करता है। गवाहों की सुरक्षा में अभियोजन एजेंसियों की शिथिलता को लेकर डिवीजन बेंच ने कहा, गवाह को बचाने का एकमात्र तरीका आरोपी को जेल में रखना है।
शायद ही कोई राज्य अभियोजन एजेंसी है जो वास्तव में गवाहों में सुरक्षा और विश्वास का माहौल सुनिश्चित करने के लिए अपने पैसे, समय और ऊर्जा निवेश करती है। ऐसे में विचाराधीन कैदी को जेल में रखने और अभियोजन पक्ष का माहौल बनाने का क्या फायदा है। डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता से कहा, आप अपने राज्य से पूछ सकते हैं कि उन्होंने गवाहों की सुरक्षा के लिए कितना धन आवंटित किया है। बेंच ने कहा कोई नहीं। जेलें संचालित करने के लिए स्वर्ग बन गई हैं। जेल अब उनके लिए सबसे सुरक्षित जगह है।
डिवीजन बेंच में डीएमएफ 'घोटाला' मामले में तिवारी द्वारा अंतरिम जमानत की मांग करने वाली याचिका व कोयला लेवी 'घोटाला' मामले के संबंध में उनके द्वारा दायर याचिका पर कल मंगलवार को सुनवाई में छत्तीसगढ़ सरकार ने सूर्यकांत तिवारी को दी गई जमानत रद्द करने के लिए आवेदन दायर किया था। तिवारी की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और राज्य की ओर से सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने पैरवी की।
सुप्रीम कोर्ट की सामने आई नाराजगी-
राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता से डिवीजन बेंच ने कहा, अब तक, क्या आपके राज्य में एक समर्पित जांच विंग है? आपके पास ईओडब्ल्यू विभाग है, आपके पास फोरेंसिक एकाउंटेंट नहीं हैं, जो जांच में शामिल हैं। आपको लगता है कि वित्तीय अपराधों में इस तरह के अपराधों को केवल स्वीकारोक्ति के माध्यम से हल किया जाता है। इसलिए स्वीकारोक्ति चाहते हैं।
किसी को जेल में डालते हैं और मामले को साबित करने का प्रयास करते हैं। क्या यह 19वीं सदी की पुरातन जांच है? अपनी जांच की स्थिति देखिए। कल, आपके पास डार्क वेब पर अपराध होंगे, जहां धन का हस्तांतरण क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से होगा। उस क्षेत्र में आपका क्षमता निर्माण कहां हो रहा है? शुक्र है कि कथित रिश्वत लेने वालों ने फिएट मुद्रा में पैसा लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने सूर्यकांत को दी सशर्त जमानत
कोर्ट ने DMF घोटाला मामले में व्यवसायी को मई में पहले लगाई गई शर्तों और नियमों पर अंतरिम ज़मानत दी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की डिवीजन बेंच ने विस्तृत दलीलें सुनने के बाद राहत प्रदान की। डिवीजन बेंच ने कहा कि मई के आदेश के तहत तिवारी पर शर्त लगाई, जिसके अनुसार वह जाँच एजेंसियों, निचली अदालतों द्वारा आवश्यक होने पर ही छत्तीसगढ़ राज्य में रहेंगे।
जारी आदेश में डिवीजन बेंच ने कहा, हमारा मानना है कि इस मामले में भी याचिकाकर्ता को इस समय अंतरिम ज़मानत पर रिहा किया जा सकता है। निष्पक्षता से कहें तो हम दोनों पक्षों द्वारा प्रस्तुत दलीलों का उल्लेख नहीं कर रहे हैं, क्योंकि इस तरह के समग्विचार को अंतिम सुनवाई के चरण तक टालना बेहतर है। डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया कि सूर्यकांत तिवारी 29 मई 2025 के पूर्व अंतरिम ज़मानत आदेश में लगाई गई शर्तों से बंधे रहेंगे।
