Supreme Court News: पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरा: SC ने राज्यों से हलफनामा के साथ मांगी जानकारी, नाराज कोर्ट ने कहा ये....
Supreme Court News: CCTVs in Police Stations : देशभर के पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरों के खराब होने या ना लगे होने से जुड़े मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बीते सुनवाई के दौरान कोर्ट ने देशभर के राज्य सरकार को खराब कैमरों को बदलने और थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया था। सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्यों को शपथपत्र के साथ कंप्लायंस रिपोर्ट पेश करने के लिए आखिरी डेडलाइन तय कर दिया है। नाराज कोर्ट ने कहा कि तय डेडलाइन में रिपोर्ट पेश ना होने की स्थिति देश के सभी राज्यों के चीफ सिकरेट्री को तलब करने का कहा है।

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Supreme Court News: दिल्ली। देशभर के पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरों के खराब होने या ना लगे होने से जुड़े मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बीते सुनवाई के दौरान कोर्ट ने देशभर के राज्य सरकार को खराब कैमरों को बदलने और थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया था। सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्यों को शपथपत्र के साथ कंप्लायंस रिपोर्ट पेश करने के लिए आखिरी डेडलाइन तय कर दिया है। नाराज कोर्ट ने कहा कि तय डेडलाइन में रिपोर्ट पेश ना होने की स्थिति देश के सभी राज्यों के चीफ सिकरेट्री को तलब करने का कहा है। बता दें कि शपथपत्र के साथ कंप्लायंस रिपोर्ट पेश करने के लिए सभी राज्यों को तीन सप्ताह का समय दिया है।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच में देश भर के पुलिस स्टेशनों में CCTV कैमरों के काम न करने के मामले में स्वत: संज्ञान वाली याचिका पर सुनवाई चल रही है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट को एमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने बताया कि सिर्फ़ 11 राज्यों ने उन सवालों का जवाब दिया, जो बेंच ने 14 अक्टूबर के अपने आदेश में उठाए थे। एमिकस क्यूरी ने बताया कि केंद्र सरकार ने अभी तक NIA जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के संबंध में अपना कंपलायंस एफिडेविट फाइल नहीं किया। केंद्र सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए सालीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कंपलायंस फाइल करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा। कोर्ट ने कहा कि शेष सभी राज्यों को जवाब पेश करने के लिए तीन सप्ताह का समय कोर्ट ने दिया है। अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 16 दिसंबर की तिथि तय कर दी है। जाहिर है इससे पहले सभी राज्यों को शपथपत्र के साथ जवाब पेश करना होगा।
ये है मामला
4 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस स्टेशनों में काम न करने वाले CCTV कैमरों के संबंध में मीडिया रिपोर्ट को स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में इसे रजिस्टर्ड करने का निर्देश दिया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष बीते आठ महीने के दौरान पुलिस अभिरक्षा में तकरीबन 11 लोगों की मौत हो गई। इससे पहले दिसंबर, 2020 में कोर्ट ने परमवीर सिंह सैनी बनाम बलजीत सिंह मामले में आदेश दिया था कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारें यह पक्का करें कि हर पुलिस स्टेशन में CCTV कैमरे लगाए जाएं। हालांकि, इसका पालन ठीक से नहीं हुआ, कई कैमरे या तो लगाए ही नहीं गए या खराब पड़े हैं।
15 सितंबर को कोर्ट ने खुद से लिए गए मामले में कहा कि वह पुलिस स्टेशनों में बिना किसी इंसानी दखल के CCTV कैमरों की इंडिपेंडेंट मॉनिटरिंग पर विचार कर रहा है, क्योंकि अगर कोर्ट के पहले के निर्देशों के अनुसार CCTV लगाए भी जाते हैं तो अधिकारी उन्हें बंद कर सकते हैं। 26 सितंबर को उसने राजस्थान राज्य से 12 सवाल पूछे, जिसमें यह भी शामिल था कि क्या CCTV के काम करने को पक्का करने के लिए रेगुलर ऑडिट किए जाते हैं। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि पुलिस स्टेशनों के CCTV फुटेज कितने समय तक सुरक्षित रखे जाते हैं। इसमें यह भी सवाल उठाया गया कि क्या औचक निरीक्षण और टैम्पर प्रूफिंग के फोरेंसिक वैलिडेशन का कोई प्रावधान है।
