Supreme Court News: POCSO Act: पैरा लीगल वालिंटियर्स की नियुक्ति करने सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के राज्यों को दिया निर्देश, पाक्सो एक्ट के तहत होगी नियुक्ति
Supreme Court News: बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को पाक्सो एक्ट के तहत पुलिस स्टेशनों में पैरा लीगल वालिंटियर्स और सपोर्ट पर्संस की नियुक्ति करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश जारी किया है कि आदेश की जानकारी देशभर के राज्यों में संचालित राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को भेजी जाए।

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Para Legal Volunteers Ki Niyukti: दिल्ली। बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को पाक्सो एक्ट के तहत पुलिस स्टेशनों में पैरा लीगल वालिंटियर्स और सपोर्ट पर्संस की नियुक्ति करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश जारी किया है कि आदेश की जानकारी देशभर के राज्यों में संचालित राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को भेजी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पुलिस स्टेशनों में पैरा लीगल वॉलंटियर्स तैनात करने और POCSO Act की धारा 39 के तहत सपोर्ट पर्सन्स नियुक्त करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है। जस्टिस बीवी. नागरत्ना और जस्टिस केवी. विश्वनाथन की डिवीजन बेंच ने बचपन बचाओ आंदोलन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद इस तरह का आदेश पारित किया है। जिसमें POCSO के तहत पीड़ितों को दी जाने वाली सुरक्षा से संबंधित मुद्दे उठाए गए हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा कि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने हर पुलिस स्टेशन में पैरा लीगल वॉलंटियर्स PLVs की नियुक्ति और उनके खर्चों के लिए फंड सुनिश्चित करने में लापरवाही बरती है। याचिका के अनुसार आंध्र प्रदेश, बिहार, मणिपुर और जम्मू और कश्मीर ने पुलिस स्टेशनों में PLV योजना लागू नहीं की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी पाया कि कई अन्य राज्यों में या तो यह योजना अधिसूचित नहीं की गई या फंड उपलब्ध नहीं होने के कारण इसे प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण NALSA की 29 नवंबर, 2025 की स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश किया, जिसमें पुलिस स्टेशनों में PLVs की तैनाती की सूची थी। आंध्र प्रदेश के 919 पुलिस स्टेशनों में से 42 में PLVs है, मणिपुर के 90 में से 1 में ओडिशा के 612 में से 30 में और दिल्ली के 204 में से 50 में, जबकि तमिलनाडु के 1,577 स्टेशनों में से किसी में भी नहीं है।
बिहार और हरियाणा ने कोई PLVs तैनात नहीं किए, क्योंकि उनकी योजनाएं अधिसूचित नहीं की गईं। महाराष्ट्र में 1,226 स्टेशनों में से 283, कर्नाटक में 1,099 में से 50 और उत्तर प्रदेश में 1,602 में से 1,037 तैनात है। लद्दाख, चंडीगढ़, मेघालय, सिक्किम और दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव ने सभी पुलिस स्टेशनों में PLVs तैनात किए।
कोर्ट ने आदेश दिया, "संबंधित राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के वकील इस जानकारी को वेरिफाई करें और अगर PLV को अभी तक पैनल में शामिल नहीं किया गया और पुलिस स्टेशनों में तैनात नहीं किया गया तो पुलिस स्टेशन की लोकेशन जैसे प्रैक्टिकल पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कदम उठाएं।
चीफ सिकरेट्री को वीसी के जरिए उपस्थित होने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर PLV को पैनल में शामिल नहीं किया गया या पर्याप्त फंड आवंटित नहीं किया गया तो संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव को अगली तारीख पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए कोर्ट में पेश होना होगा।
मामले की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने कहा, सपोर्ट पर्सन के पैनल में कमी है, जो POCSO Act की धारा 39 के तहत ज़रूरी है। राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों का विधिक सेवा प्राधिकरण हर जिले में सपोर्ट पर्सन को पैनल में शामिल करने के लिए कदम उठा सकता है। डिवीजन बेंच ने प्रत्येक जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को बाल पीड़ितों को सपोर्ट पर्सन प्रदान करने के संबंध में विशेष POCSO अदालतों के पीठासीन अधिकारियों से सलाह लेने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा कि अगर किसी बाल पीड़ित को सपोर्ट पर्सन नहीं दिया गया तो विशेष अदालत एक नियुक्त कर सकती है। प्रत्येक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को अपने राज्य में महिला एवं बाल विभाग के सचिव से भी सलाह लेनी चाहिए। डिवीजन बेंच ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण NALSA को आदेश की जानकारी सभी राज्यों के विधिक सेवा प्राधिकरणों के सदस्य सचिवों को भेजने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने 10 फरवरी, 2026 की तिथि तय कर दी है।
