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Supreme Court News: एक साल से केंद्रीय जेल में सजा काट रहे स्टूडेंट को सुप्रीम कोर्ट ने दिए रिहाई के निर्देश, पढ़िए पूरा मामला

बीते एक साल से भोपाल केंद्रीय जेल में बंद लॉ स्टूडेंट की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को निर्देश जारी किया है कि अगर युवक की किसी मामले में संलिप्तता ना हो तो तत्काल रिहाई की जाए।

Supreme Court News: एक साल से केंद्रीय जेल में सजा काट रहे स्टूडेंट को सुप्रीम कोर्ट ने दिए रिहाई के निर्देश, पढ़िए पूरा मामला
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Supreme Court News

By Radhakishan Sharma

दिल्ली। जेल में बंद ला स्टूडेंट की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शासन को निर्देश जारी किया है कि याचिकाकर्ता युवक की किसी अन्य मामले में संलिप्तता ना हो तो केंद्रीय जेल से तुरंत रिहा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने NSA के तहत लॉ स्टूडेंट की निवारक गिरफ्तारी को रद्द कर दिया है। प्रोफेसर के साथ मारपीट के मामले में NSA लगाकर 24 वर्षीय लॉ स्टूडेंट को भोपाल केंद्रीय जेल में बंद कर दिया है। ला स्टूडेंट तकरीबन एक साल से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 (NSA) के तहत हिरासत में था।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस उज्जल भूइयां और जस्टिस विनोद चंद्रन की डिवीजन बेंच ने कहा कि गिरफ्तारी के लिए बताए गए कारण और जारी आदेश में बताए गए आधार जैसे शांति व्यवस्था का उल्लंघन NSA की धारा 3 (2) की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते। डिवीजन बेंच ने कहा कि जिन कारणों से आरोपी ला स्टूडेंट को निवारक हिरासत में रखा गया है वह धारा 3 (2) की शर्तों को पूरा नहीं करता। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता स्टूडेंट की हिरासत पूरी तरह असंगत है।

क्या है मामला-

14 जून 2024 को बैतूल के यूनिवर्सिटी कैम्पस में एक प्रोफेसर से ला स्टूडेंट की झड़प के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया था। आरोपी स्टूडेंट ने 16 जून को सरेंडर कर दिया। सरेंडर के बाद उसे न्यायिक हिरासत में रखा गया। इसी बीच NSA के तहत हिरासत का आदेश जारी किया गया। स्टूडेंट के हिरासत की अवधि को हर तीन महीने में बढ़ाया जाता रहा। मामले की सुनवाई के दौराान सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता स्टूडेंट की हिरासत सिर्फ निवारक गिरफ्तारी आदेश की वजह से जारी थी। यह आदेश कानूनन टिकाऊ नहीं है।

कलेक्टर की भूमिका को लेकर जताई नाराजगी-

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि याचिकाकर्ता स्टूडेंट की अपील पर कलेक्टर ने सुनवाई ही नहीं की। कलेक्टर को फैसला का राज्य सरकार को इसकी जानकारी देनी थी। जो उन्होंने नहीं किया यह गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शासन को निर्देश जारी किया है कि याचिकाकर्ता युवक की अन्य किसी मामले में संलिप्तता ना हो तो भोपाल सेंट्रल जेल से तुरंत रिहा किया जाए।

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