Supreme Court News: GST छूट: सुप्रीम कोर्ट का आया बड़ा फैसला, PG और हॉस्टल को किराए पर चढ़ाने के बाद भी लागू रहेगी टैक्स में छूट
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने टैक्स को लेकर बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि PG और हॉस्टल को किराए पर चढ़ाने के बाद भी तय नियमों के अनुसार GST छूट जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए राजस्व विभाग की अपील खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला देशभर में PG, हॉस्टल, को-लिविंग सेक्टर और मकान मालिकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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Supreme Court News: दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने टैक्स को लेकर बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि PG और हॉस्टल को किराए पर चढ़ाने के बाद भी तय नियमों के अनुसार GST छूट जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए राजस्व विभाग की अपील खारिज कर दी है।
राजस्व विभाग की अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आवासीय मकान के किराये पर मिलने वाली GST छूट तब भी लागू रहेगी जब किरायेदार उस संपत्ति को आगे सब-लीज़ देकर हॉस्टल या पेइंग गेस्ट PG आवास उपलब्ध करा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 28 जून 2017 की GST छूट अधिसूचना (एंट्री 13, नोटिफिकेशन 9/2017) में यह अनिवार्य नहीं है कि किरायेदार स्वयं उस संपत्ति का उपयोग निवास के रूप में करे। अधिसूचना के तहत अंतिम उपयोग आवासीय होना पर्याप्त है।
जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की डिवीजन बेंच ने यह निर्णय
कर्नाटक स्थित एक चार मंजिला आवासीय भवन से जुड़े विवाद के मामले में दायर अपील की सुनवाई करते हुए जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाया है। कर्नाटक का यह भवन 42 कमरों वाला है, जिसे भवन मालिक ने एक निजी कंपनी को किराये पर दिया था। कंपनी छात्राओं और कामकाजी महिलाओं को लंबे समय के लिए हॉस्टल व PG आवास उपलब्ध कराती है। जीएसटी विभाग के अफसरों का कहना था कि किरायेदार एक व्यावसायिक कंपनी है। जिस भवन को किराए पर लिया है उसमें वह खुद नहीं रहती, इसका उपयोग वह छात्राओं और कामकाजी महिलाओं को किराए पर देकर व्यवसायिक लाभ कमा रही है। इसीलिए यह कारोबार की श्रेणी में आता है और 18% GST के दायरे में आएगा। AAR और AAAR ने भी इस व्याख्या को सही माना था। हालांकि, कर्नाटक हाईकोर्ट ने इन आदेशों को निरस्त करते हुए GST छूट को मान्य माना, जिसके विरुद्ध राजस्व विभाग ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के सामने यह प्रमुख विषय था कि क्या किसी आवासीय संपत्ति को ऐसे एग्रीगेटर को किराये पर दिया जा सकता है जो इसे आगे कई व्यक्तियों को रहने के लिए आवास उपलब्ध कराता है। सुप्रीम कोर्ट ने residential dwelling की व्याख्या करते हुए कहा कि सामान्य अर्थ में यह किसी ऐसे भवन को कहा जाता है जिसमें कोई व्यक्ति रहने, सोने या निवास के उद्देश्य से रहता है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लंबे समय के लिए हॉस्टल या PG आवास भी इसी श्रेणी में आते हैं। इसलिए, संबंधित भवन का उपयोग आवासीय माना जाएगा और GST छूट लागू होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अंतिम उपयोग आवासीय होना ही मुख्य मानदंड है। डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में 2022 के उस संशोधन का भी उल्लेख किया है जिसमें एंट्री 18 में बदलाव कर यह प्रावधान किया गया है कि GST रजिस्टर्ड व्यक्ति को आवासीय भवन किराये पर देने पर छूट लागू नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह संशोधन पूर्व प्रभाव से लागू नहीं हो सकता। इस प्रकार, 2022 से पहले की गई ऐसी सभी लीज़ व्यवस्थाओं पर GST छूट उपलब्ध रहेगी।
