Supreme Court News: डिजिटल अरेस्ट स्कैम से जुड़े मामलों की CBI करेगी जांच, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश, डिवीजन बेंच का फैसला, पढ़ें पूरी खबर
Supreme Court News: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया CJI जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की डिवीजन बेंच में स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका की सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम से जुडृे देशभर के मामलों की जांच का निर्देश सीबीआई को दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सीबीआई से स्कैम से जुड़े मामलों की जांच करेगी।

supreme court of india (NPG file photo)
Supreme Court News: दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया CJI जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की डिवीजन बेंच में स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका की सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम से जुडृे देशभर के मामलों की जांच का निर्देश सीबीआई को दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सीबीआई से स्कैम से जुड़े मामलों की जांच करेगी।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच में पीआईएल पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने CBI को डिजिटल अरेस्ट स्कैम से संबंधित प्रकरणों की जांच करने का आदेश दिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने आदेश दिया। बेंच ने कहा कि इन स्कैम पर देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी को “तुरंत ध्यान” देना चाहिए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि CBI पहले उन मामलों की जांच करेगी, जिनमें सीधे डिजिटल अरेस्ट स्कैम की रिपोर्ट की गई, जबकि बाद के फेज में साइबर क्राइम के दूसरे तरीकों की जांच की जा सकती है।
देश की सर्वोच्च एजेंसी को मजबूत करने के लिए डिवीजन बेंच ने CBI को प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत बैंकरों की भूमिका की जांच करने की पूरी आजादी दी है। खासकर उन बैंकों की जहां डिजिटल अरेस्ट स्कैम के उद्देश्य से बैंक अकाउंट खोले जाते हैं। कोर्ट ने रिजर्व बैंक इंंडिया को पक्षकार बनाते हुए धोखाधड़ी वाले अकाउंट की पहचान करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले AI और मशीन लर्निंग टूल्स को समझाने में उसकी मदद मांगी। सुप्रीम कोर्ट ने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सर्विस प्रोवाइडर्स को जांच करने वालों के साथ पूरा सहयोग करने और जब भी जरूरत हो, कंटेंट डेटा देने का निर्देश दिया है। पंजाब, तमिलनाडु, उत्तराखंड और हरियाणा सहित सभी राज्यों को CBI द्वारा पूरे भारत में जांच के लिए अपनी मंज़ूरी देने का निर्देश दिया गया।
एक ही नाम से कई SIM कार्ड
बड़ी संख्या में और खतरनाक तरीके से जारी हो रहे इस तरह के सीम कोर्ड को लेकर चिंता जताते हुए डिवीजन बेंच ने आदेश दिया कि टेलीकॉम नेटवर्क में गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए एक मॉडल प्रोटोकॉल रिकॉर्ड में रखा जाए। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से यह पक्का करने के लिए कहा गया कि रीजनल साइबर क्राइम यूनिट अच्छे से काम करें और किसी भी रुकावट की रिपोर्ट कोर्ट को दें। डिवीजन बेंच ने दखल देने वालों और कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी की मदद करने वाले लोगों को ईमेल के ज़रिए सीधे एमिकस क्यूरी के साथ मटीरियल शेयर करने की भी इजाज़त दी।
डिवीजन बेंच ने कहा कि मौजूदा कार्रवाई मुख्य रूप से डिजिटल अरेस्ट स्कैम पर फोकस रहेगी। साइबर क्राइम की दूसरी कैटेगरी पर उनके असर और आगे दखल की ज़रूरत के आधार पर बाद में विचार किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सभी स्टेकहोल्डर मंत्रालयों से इनपुट पर विचार करने का निर्देश दिया है।
