Begin typing your search above and press return to search.

Supreme Court News: धार्मिक परेड से इंकार करने वाले सैन्य अफसर की याचिका SC ने किया खारिज: कहा- ज़िद या अलगाववादी सोच अनुशासित बल में स्वीकार्य नही

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने एक सैन्य अफसर की याचिका को खारिज करते हुए सेवा से बर्खास्तगी आदेश को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को यथावत रखा है। सीजेआई सूर्यकांत व जस्टिस जायमाल्य बागची की डिवीजन बेंच ने कहा, अधिकारी का व्यवहार अपने ही सैनिकों के प्रति अनादरपूर्ण है और यह सेना जैसी संस्था में किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। ज़िद या अलगाववादी सोच किसी अनुशासित बल में स्वीकार्य नही हो सकती।

Supreme Court News: धार्मिक परेड से इंकार करने वाले सैन्य अफसर की याचिका SC ने किया खारिज: कहा- ज़िद या अलगाववादी सोच अनुशासित बल में स्वीकार्य नही
X

supreme court of india (NPG file photo)

By Radhakishan Sharma

Supreme Court News: दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक सैन्य अफसर की याचिका को खारिज करते हुए सेवा से बर्खास्तगी आदेश को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को यथावत रखा है। सीजेआई सूर्यकांत व जस्टिस जायमाल्य बागची की डिवीजन बेंच ने कहा, अधिकारी का व्यवहार अपने ही सैनिकों के प्रति अनादरपूर्ण है और यह सेना जैसी संस्था में किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। ज़िद या अलगाववादी सोच किसी अनुशासित बल में स्वीकार्य हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य अफसर सैमुअल कमलेसन की याचिका खारिज करते हुए उनकी सेवा से बर्खास्तगी के आदेश को सही ठहराया है। सैन्य कमलेसन ने अपने पद से हटाए जाने को चुनौती दी थी। सेना ने सैन्य अफसर को साप्ताहिक रेजिमेंटल धार्मिक परेड में भाग लेने से लगातार इनकार करने के कारण यह कार्रवाई की है। सैन्य अफसर ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया CJI सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से साफतौर इंकार कर दिया है। पूर्व सैन्य अफसर कमलेसन की ओर से सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने पैरवी करते हुए कहा, याचिकाकर्ता ने केवल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने से परहेज़ किया था, क्योंकि यह उनके ईसाई धर्म के विरुद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां भी सर्वधर्म स्थल होते थे, अधिकारी वहां परेड में सम्मिलित होते थे।

चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता केइस तर्क को अस्वीकार करते हुए कहा कि क्या ऐसी ज़िद या अलगाववादी सोच किसी अनुशासित बल में स्वीकार्य हो सकती है। जस्टिस बागची ने कहा कि स्थानीय गिरजाघर के पादरी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि मंदिर में प्रवेश करना ईसाई धर्म के विरुद्ध नहीं है। इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि पादरी का मत सर्वधर्म स्थल के संदर्भ में था न कि मंदिर के। खंडपीठ ने कहा कि अधिकारी का व्यवहार अपने ही सैनिकों के प्रति अनादरपूर्ण है और यह सेना जैसी संस्था में किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

चीफ जस्टिस ने कहा कि सेना का मूल चरित्र धर्मनिरपेक्षता और अनुशासन है और किसी सैनिक अधिकारी को धार्मिक अहंकार या निजी मान्यता को संस्था पर हावी होने की अनुमति नहीं दी जा सकती। याचिकाकर्ता सैन्य अफसर के अधिवक्ता नेि दंड में कमी की मांग की, लेकिन कोर्ट ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि सेना में अनुशासन सर्वोपरि है और ऐसा व्यवहार किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। चीफ जस्टिस ने स्पष्ट कहा कि यह आदेश गलत संदेश नहीं बल्कि एक मज़बूत संदेश देगा।

क्या है मामला

कमलेसन वर्ष 2017 में कैवेलरी रेजिमेंट में भर्ती हुए थे और उन्हें बी स्क्वाड्रन का ग्रुप लीडर बनाया गया, जिसमें सिख सैनिक शामिल थे। उनका कहना था कि रेजिमेंट में केवल मंदिर और गुरुद्वारा थे कोई सर्वधर्म स्थल नहीं। उनका दावा था कि वे परेड में जाते थे पर जब हवन, आरती या पूजा होती थी तब गर्भगृह में प्रवेश से मना करते थे। सेना ने बताया कि अधिकारी लगातार धार्मिक परेड से दूरी बनाते रहे जबकि उन्हें कई बार समझाया गया। सेना प्रमुख ने पूरे प्रकरण की समीक्षा कर निष्कर्ष निकाला कि कमलेसन का व्यवहार सैन्य अनुशासन और रेजिमेंट की एकता के लिए हानिकारक है और उनकी सेवा जारी रखना उचित नहीं।

दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने भी माना था कि सशस्त्र बलों में अनुशासन की कसौटी सामान्य नागरिक जीवन से भिन्न होती है। याचिकाकर्ता सैन्य अफसर ने बार-बार अपने धर्म को अपने सैन्य दायित्वों से ऊपर रखा जो सख्त अनुशासन वाली संस्था में स्वीकार्य नहीं। अदालत ने कहा कि ऐसा व्यवहार युद्ध जैसी परिस्थितियों में घातक साबित हो सकता है, क्योंकि वहां नेतृत्व और अनुशासन ही सबसे बड़ा बल होता है। इस टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने सैन्य अफसर की याचिका को खारिज कर दिया था।

Next Story