Supreme Court News: साइबर फ्रॉड: CBI के हवाले होगा देशभर के डिजिटल अरेस्ट के मामले, सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ती घटनाओं पर जताई चिंता
Supreme Court News: देशभर में बढ़ते साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि अपराधियों पर सख्ती से निपटने व इस पर अंकुश लगाने की जरुरत है। सीबीआई को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। बता दें कि इस तरह के बढ़ते अपराध को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है।

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दिल्ली। साइबर फ्रॉड द्वारा लोगों की जीवनभर की गाढ़ी कमाई को लूटने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं। इसमें फर्जी अदालती आदेश, कस्टम या फिर पुलिस की वर्दी में वीडियाेकाॅल के जरिए लोगों को डिजिटली अरेस्ट करने और ऑनलाइन राशि ट्रांसफर कराने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने चिंता जताई है। जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में तब आया जब हरियाणा के सीनियर सिटीजन दंपति के पत्र को सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है। यह दंपति साइबर फ्रॉड के शिकार हो गए हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की डिवीजन बेंच ने देश भर में इस तरह के अपराध की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की और संकेत दिया कि जांच का जिम्मा केंद्रीय जांच ब्यूरो CBI को सौंपी जा सकती है।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, देश के विभिन्न हिस्सों में इस तरह की घटनाओं की रोजाना जानकारी सामने आ रही है। हम सभी राज्यों के संबंध में मामले को CBI को सौंपने के इच्छुक हैं, क्योंकि यह एक ऐसा अपराध है जो पूरे भारत में या सीमा पार भी संचालित हो सकता है। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कोर्ट को बताया कि इन घोटालों के पीछे धन शोधन नेटवर्क अक्सर भारत के बाहर स्थित होते हैं। म्यांमार और थाईलैंड सहित एशिया के कई हिस्सों में धन शोधन गिरोह सक्रिय है।
हरियाणा राज्य की ओर से अदालत को बताया कि अंबाला में साइबर अपराध शाखा द्वारा दर्ज किए गए दोनो FIR को जांच के लिए CBI को सौंपे जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। भारत संघ की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि CBI पहले से ही कुछ ऐसे ही मामलों की जांच कर रही है। जस्टिस सूर्यकांत ने केंद्र और CBI से ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या से निपटने की उनकी क्षमता के बारे में जानकारी मांगी।
उन्होंने कहा, मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए हम जानना चाहते हैं कि अगर CBI को मामला ट्रांसफर किया जाता है तो क्या उसके पास सभी मामलों से निपटने के लिए पर्याप्त मानव और तकनीकी संसाधन हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने आगे कहा कि यदि पुलिस के दायरे से बाहर विशेष साइबर अपराध विशेषज्ञों की आवश्यकता है तो एजेंसी आवश्यक सहायता के लिए न्यायालय को सुझाव दे सकती है।
सभी राज्यों को पेश करनी होगी विस्तृत रिपोर्ट और जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर इस तरह के अपराध को लेकर प्रदेश में दर्ज एफआईआर की जानकारी देनी होगी। साइबर फ्रॉड के रोकथाम के लिए राज्य स्तर पर किए जा रहे उपाय के संबंध में भी जानकारी देनी होगी।
