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Supreme Court: घरेलू हिंसा कानून: सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला, प्रत्येक महिला मुफ्त कानूनी सहायता की हैं हकदार

Supreme Court: घरेलू हिंसा कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने और क्रियान्वयन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। केंद्र व राज्य सरकारों स कहा है कि राज्यों, जिलों और तालुका स्तर के सदस्य सचिव घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के संदर्भ में पर्याप्त प्रचार प्रसार करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि यदि कोई परेशान महिला कानूनी सहायता और सलाह लेने के लिए सदस्य सचिव या कानूनी सेवा प्राधिकरण के किसी अन्य अधिकारी से संपर्क करती है, तो उसे शीघ्रता से सहायता प्रदान की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फेसले में लिखा है कि अधिनियम में यह परिकल्पना की गई है कि प्रत्येक महिला मुफ्त कानूनी सहायता की हकदार है।

Supreme Court: घरेलू हिंसा कानून: सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला, प्रत्येक महिला मुफ्त कानूनी सहायता की हैं हकदार
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By Radhakishan Sharma

Supreme Court: दिल्ली। वी द वीमेन ऑफ इंडिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने और व्यापक प्रचार प्रसार करने का निर्देश केंद्र व राज्य सरकारों को दिया है। कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सभी राज्यों को निचले स्तर पर संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति करने व अधिनियम में दी गई बातों व अधिकारों का बड़े पैमाने पर प्रचार प्रसार करने कहा है।

आश्रय गृह का निर्माण करने के अलावा हिंसा से परेशान महिलाओं को त्वरित कानूनी सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एससी शर्मा की खंडपीठ में याचिका की सुनवाई हुई। खंडपीठ ने कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने के साथ ही क्रियान्वयन को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों को जरुरी दिशा निर्देश भी जारी किया है।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण को दी जिम्मेदारी

घरेलू हिंसा कानून को व्यापक ढंग से प्रचार प्रसार करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण को दी है। खंडपीठ ने कहा है कि नालसा को सभी स्तर पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों को यह निदेश देना है कि अधिनियम के अधीन व्यथित व परेशान महिलाएं निशुल्क विधिक सहायता की हकदार हैं। इसी मापदंड के आधार पर कानून का पालन करना है और पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाना है। इसके लिए जिला और तालुका स्तर पर अधिनियम की धारा 9 के तहत सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति करने की बात कही है। राज्य सरकारों को निर्देशित करते हुए कहा कि हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए नारी निकेतन व वन स्टाप सेंटर की स्थापना करनी होगी। यह काम 10 सप्ताह के भीतर राज्य सरकारों को पूरा करना होगा।

0 राज्य सरकारों व चीफ सिकरेट्री को दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और चीफ सिकरेट्री से कहा है कि जिला और तालुका स्तर पर काम करने वाले महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को संरक्षण अधिकारियों के रूप में नामित करें। इन अधिकारियों को अधिनियम के प्रावधानों के तहत संरक्षण अधिकारियों के रूप में नामित किया गया है। छह सप्ताह के भीतर संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति करने का निर्देश दिया है।

0 नालसा को जारी किया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नालसा को निर्देशित करते हुए कहा है कि हम नालसा के सदस्य सचिव को निर्देश देते हैं कि वे राज्यों केविधिक सेवा प्राधिकरणों के सदस्य सचिवों से पत्राचार कर जिला स्तर के साथ-साथ तालुका स्तर पर व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार की व्यवस्था सुनिश्चित कराएं। प्रचार के दौरान महिलाओं के बीच यह बात बताई जाए कि पीड़ित महिला निशुल्क विधिक सहायता व सलाह की हकदार है। प्रचार के साथ ही इस दिशा में प्रभावी कदम भी उठाए जाएं। पीड़ित महिलाओं को मुफ्त में विधिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।

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