High Court Sexual Refusal Verdict: शारीरिक संबंध से इनकार और झूठे आरोप मानसिक क्रूरता: बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज की महिला की याचिका
Sharirik Sambandh Banane Se Inkar: मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने एक तलाक से जुड़े मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि पत्नी अपने पति को लगातार शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करती है और फिर उसी पति पर किसी अन्य महिला से अवैध संबंध (Avaidh Sambandh) होने का झूठा आरोप लगाती है, तो यह क्रुरता की श्रेणी में आता है। अदालत ने यह फैसला हिंदू विवाह अधिनियम के तहत सुनाया है।

Sharirik Sambandh Banane Se Inkar: मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने एक तलाक से जुड़े मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि पत्नी अपने पति को लगातार शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करती है और फिर उसी पति पर किसी अन्य महिला से अवैध संबंध (Avaidh Sambandh) होने का झूठा आरोप लगाती है, तो यह क्रुरता की श्रेणी में आता है। अदालत ने यह फैसला हिंदू विवाह अधिनियम के तहत सुनाया है।
हाईकोर्ट का दो टूक निर्णय
बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की खंडपीठ ने शुक्रवार को पारिवारिक न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें पति को पत्नी की क्रुरता के आधार पर तालाक की मंजूरी दी गई थी। महिला की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि वैवाहिक जीवन में अब सुलह की कोई संभावना नहीं है और पति द्वारा उठाए गए बिंदू न्यायिक रूप से उचित हैं।
मामला क्या था?
कपल की शादी साल 2013 में हुई थी। लेकिन दिसंबर 2014 से दोनों अलग-अलग रहने लगे। इस बीच पति ने 2015 में फैमिली कोर्ट (Family Court) में तलाक की याचिका दाखिल की थी। जिसके बाद फैमिली कोर्ट (Family Court) ने भी 2022 में पति को तलाक की अनुमति दे दी। पत्नी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी और 1 लाख मासिक भरण पोषण की मांग भी की।
पत्नी ने लगाए थे गंभीर आरोप पर कोर्ट नहीं हुआ सहमत
याचिका में पत्नी ने दावा किया कि उसे ससुराल में प्रताड़ित किया गया, लेकिन फिर भी वह अपने पति से प्रेम करती है और तलाक नहीं चाहती। हालांकि पति ने कोर्ट में बताया कि पत्नी ने लगातार शारीरिक संबंधों से इनकार किया।
हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी
अदालत ने कहा कि पति पर झूठे एक्ट्रा मैरिटल के आरोप, सार्वजनिक रूप से अपमान और सेक्सुअल इनकार ये भी व्यवहार पति के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालते हैं और क्रुरता की परिभाषा में आते हैं।
भरण-पोषण की मांग भी खारिज
महिला ने एक लाख मासिक गुजारा भत्ता मांगा था, लेकिन कोर्ट ने उसे भी ठुकराते हुए सिर्फ 10,000 मासिक की सीमा तय की। यह भी स्पष्ट किया कि महिला सक्षम है और पति पर अतिरिक्त बोढ डालना उचित नहीं।
