Scrub Typhus: ओडिशा में स्क्रब टाइफस से 5 लोगों की मौत, दिखते हैं ये लक्षण
Scrub Typhus: ओडिशा सरकार (Odisha Government) ने जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को राज्य में स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus) और लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis) के मामलों की मौसमी बढ़ोतरी को देखते हुए निगरानी बढ़ाने के लिए कहा है.
Scrub Typhus: ओडिशा सरकार (Odisha Government) ने जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को राज्य में स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus) और लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis) के मामलों की मौसमी बढ़ोतरी को देखते हुए निगरानी बढ़ाने के लिए कहा है. ओडिशा के स्वास्थ्य (health of odisha) और परिवार कल्याण विभाग के एक आधिकारिक बयान के मुताबिक बारगढ़ जिले में हाल ही में हुई पांच मौतों के मद्देनजर यह निर्देश दिया गया है.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने सभी मुख्य जिला चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य अधिकारियों, कैपिटल हॉस्पिटल भुवनेश्वर और आरजीएच, राउरकेला के निदेशक को इसके बारे में जरूरी निर्देश दिया है. बयान में कहा गया है कि राज्य भर के अधिकांश जिलों से स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस के मामले सामने आ रहे हैं. इसलिए स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस की रोकथाम और प्रबंधन के लिए समय पर इलाज सुनिश्चित करने के लिए मामलों की जल्द पहचान के लिए गहन निगरानी प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है.
ओडिशाके स्वास्थ्य विभाग ने जिला स्वास्थ्य अधिकारियों से जरूरी टेस्ट किटों की खरीद और सप्लाई करके डीपीएचएल में टेस्ट की उपलब्धता सुनिश्चित करने, पीयूओ के मामले में टेस्ट की सलाह देने के लिए डॉक्टरों को संवेदनशील बनाने, निगरानी के साथ-साथ सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने और मामलों का जल्द पता लगाने के लिए कहा है. विभाग ने अधिकारियों से जरूरी एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करने और दवाओं का पर्याप्त भंडार रखने को भी कहा है. स्वास्थ्य विभाग ने विभिन्न जिलों के स्वास्थ्य अधिकारियों को दिए निर्देशों में कहा कि इन बीमारियों से होने वाली सभी मौतों की जांच की जानी चाहिए और जरूरी रोकथाम के उपाय किए जाने चाहिए. ऐसी बीमारियों से जुड़े डेटा नियमित रूप से निर्धारित प्रारूप में शेयर किया जाना चाहिए.
स्क्रब टाइफस को बुश टाइफस भी कहा जाता है. यह एक बीमारी है, जो ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी (Orientia tsutsugamushi) नामक बैक्टीरिया के कारण होती है. स्क्रब टाइफस संक्रमित पिस्सुओं के काटने से लोगों में फैलता है. इस पिस्सू को ज्यादातर घास, झाड़ियों और चूहों, खरगोशों और गिलहरियों जैसे जानवरों के शरीर पर देखा जाता है. इसके संक्रमण के लक्षणों में तेज बुखार, ठंड लगना, गंभीर सिरदर्द, सूखी खांसी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, पिस्सू के काटने की जगह पर गहरे रंग की पपड़ी जैसा घाव, शरीर पर लाल धब्बे या चकत्ते, लाल आंखें, भ्रम, कोमा, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण, लिवर और प्लीहा का बढ़ना और मेनिनजाइटिस शामिल हैं. संक्रमित होने के करीब 10 दिन बाद लक्षण शुरू होते हैं. अगर सही बीमारी का इलाज नहीं किया जाता है, तो यह कई अंगों की विफलता का कारण बन सकता है, जो इंसान के जीवन के लिए खतरा बन सकती है. बागवानी और बाहरी गतिविधियों में लगे लोगों को संक्रमण का खतरा अधिक है।