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Satta Matka King: सट्टा मटका किंग सुरेश भगत की हत्या की चौंकाने वाली कहानी

Satta Matka King: सट्टा मटका भारत में एक मशहूर जुआ का खेल है, जो अवैध होते हुए भी देश के कई हिस्सों में धड़ल्ले से खेला जाता है। सट्टा मटका के खेल में जीत किस्मत पर निर्भर करती है, और इसमें जोखिम ज्यादा होता है, लेकिन जीतने वाले को बड़ी रकम मिलती है।

Satta Matka King: सट्टा मटका किंग सुरेश भगत की हत्या की चौंकाने वाली कहानी
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By Ragib Asim

Satta Matka King: सट्टा मटका भारत में एक मशहूर जुआ का खेल है, जो अवैध होते हुए भी देश के कई हिस्सों में धड़ल्ले से खेला जाता है। सट्टा मटका के खेल में जीत किस्मत पर निर्भर करती है, और इसमें जोखिम ज्यादा होता है, लेकिन जीतने वाले को बड़ी रकम मिलती है।

सट्टा मटका का इतिहास

सट्टा मटका की कहानी 1950 के दशक में शुरू होती है, जब गुजरात से मुंबई आए कल्याण भगत ने न्यूयॉर्क और बॉम्बे कॉटन मार्केट के खुलने और बंद होने पर बेटिंग का धंधा शुरू किया। यह धंधा उन्हें रतन खत्री के साथ मिलकर शुरू किया, लेकिन बाद में उनके रास्ते अलग हो गए। कल्याण भगत की मौत के बाद यह साम्राज्य उनके बेटे सुरेश भगत ने संभाला।

सुरेश भगत की हत्या की साजिश

सुरेश भगत की हत्या उनकी पत्नी जया भगत और बेटे हितेश भगत ने अरूण गवली गैंग के साथ मिलकर करवाई। पुलिस के मुताबिक, 2008 में जया भगत ने एक ट्रक वाले को हत्या की सुपारी दी। सुरेश भगत की 13 जून 2008 को अलीबाग मार्ग पर एक साजिश के तहत हत्या कर दी गई। उनकी स्‍कॉर्पियो गाड़ी को एक ट्रक से टकरा दिया गया, जिससे यह हत्या एक एक्सीडेंट लगे।

पुलिस की जांच और गिरफ्तारी

सुरेश भगत ने मुंबई क्राइम ब्रांच और हाई कोर्ट को पहले ही बता दिया था कि उन्हें अपने करीबियों से जान का खतरा है। पुलिस जांच में पता चला कि यह हत्या जानबूझकर की गई थी। इसके बाद पुलिस ने सुरेश भगत की पत्नी जया भगत, बेटे हितेश भगत और सुहास रोगे समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। सट्टा मटका के इस खेल ने कई परिवारों को बर्बाद किया है, और सुरेश भगत की हत्या इसी का एक उदाहरण है। यह घटना बताती है कि कैसे लालच और धोखाधड़ी के कारण इंसान अपनों की जान तक ले सकता है।

नोट: सट्टा मटका और अन्य अवैध जुआ खेलने से बचें, यह न केवल गैरकानूनी है बल्कि जान-माल के लिए भी खतरनाक है।

Ragib Asim

रागिब असीम – समाचार संपादक, NPG News रागिब असीम एक ऐसे पत्रकार हैं जिनके लिए खबर सिर्फ़ सूचना नहीं, ज़िम्मेदारी है। 2013 से वे सक्रिय पत्रकारिता में हैं और आज NPG News में समाचार संपादक (News Editor) के रूप में डिजिटल न्यूज़रूम और SEO-आधारित पत्रकारिता का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने करियर की शुरुआत हिन्दुस्तान अख़बार से की, जहाँ उन्होंने ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग के मायने समझे। राजनीति, समाज, अपराध और भूराजनीति (Geopolitics) जैसे विषयों पर उनकी पकड़ गहरी है। रागिब ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।

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