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Salman Khan Kala Hiran Case: 26 साल बाद फिर सवालों के घेरे में ये बॉलीवुड स्टारकास्ट, 28 जुलाई को होगी सुनवाई

Salman Khan Kala Hiran Case: राजस्थान के जोधपुर जिले के कांकाणी गांव में 1998 में हुए काले हिरण के शिकार का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. दो दशक से भी अधिक पुराने इस केस की कानूनी गाथा अब भी खत्म नहीं हुई है और अब राजस्थान सरकार की हाईकोर्ट में दायर की गई लीव टू अपील ने एक बार फिर बॉलीवुड के नामी सितारों सलमान खान, सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली बेंद्रे, नीलम और पूर्व विधायक दुष्यंत सिंह के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं

26 साल बाद फिर सवालों के घेरे में ये बॉलीवुड स्टारकास्ट, 28 जुलाई को होगी सुनवाई
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By Anjali Vaishnav

Salman Khan Kala Hiran Case: राजस्थान के जोधपुर जिले के कांकाणी गांव में 1998 में हुए काले हिरण के शिकार का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. दो दशक से भी अधिक पुराने इस केस की कानूनी गाथा अब भी खत्म नहीं हुई है और अब राजस्थान सरकार की हाईकोर्ट में दायर की गई लीव टू अपील ने एक बार फिर बॉलीवुड के नामी सितारों सलमान खान, सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली बेंद्रे, नीलम और पूर्व विधायक दुष्यंत सिंह के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं

बता दें कि इस अपील पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट की एकल पीठ ने आदेश दिया है कि काले हिरण शिकार मामले से जुड़े सभी प्रकरणों को एक साथ सूचीबद्ध किया जाए, और अब इस बहुचर्चित मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई 2025 को होगी. इस सुनवाई पर देश भर की निगाहें टिकी होंगी.

क्या है मामला

दरअसल 1 अक्टूबर 1998 की रात को जोधपुर के कांकाणी गांव के पास “हम साथ साथ हैं” फिल्म की शूटिंग के दौरान सलमान खान और उनके को- एक्टर्स पर दुर्लभ प्रजाति के दो काले हिरणों के शिकार का आरोप लगा था. यह इलाका विश्नोई समाज का है, जो काले हिरण को धार्मिक दृष्टि से पवित्र मानता है. विश्नोई समाज की सतर्कता के चलते यह मामला तात्कालिक रूप से पुलिस और मीडिया के संज्ञान में आया और इसने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा. सलमान खान के पास से एक हथियार भी बरामद हुआ था, जिसके लाइसेंस की अवधि समाप्त हो चुकी थी, जिससे एक अलग 'आर्म्स एक्ट' का मामला भी दर्ज हुआ.

इस केस में कुल चार मामले सामने आये एक घोड़ा फार्म केस, भवाद गांव केस, आर्म्स एक्ट केस और कांकाणी गांव केस. इनमें से कुछ में सलमान खान को दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई, जबकि बाकी में बरी हुए. 2018 में कांकाणी केस के ट्रायल कोर्ट ने सलमान खान को दोषी ठहराते हुए पांच साल की सजा सुनाई थी. उन्हें तुरंत जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया, लेकिन दो दिन बाद 50 हजार रुपये के पर्सनल बॉन्ड पर उन्हें जमानत मिल गई. वहीं दुसरे आरोपी सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली बेंद्रे, नीलम और दुष्यंत सिंह को निचली अदालत ने हुए बरी कर दिया था.

सात साल बाद उच्च न्यायालय में 'लीव टू अपील' दाखिल

राज्य सरकार ने तब इस फैसले को चुनौती नहीं दी थी. लेकिन अब जब लगभग सात साल बाद सरकार ने उच्च न्यायालय में 'लीव टू अपील' दाखिल की है, तो इसका तात्पर्य है कि सरकार अब इस पुराने फैसले की दोबारा समीक्षा चाहती है और अदालत से अपील करने की विशेष अनुमति मांग रही है क्योंकि सामान्य अपील की समय सीमा समाप्त हो चुकी है.

बता दें कि लीव टू अपील एक विशेष कानूनी प्रक्रिया है, जिसके तहत अगर कोई पक्ष किसी अदालत के आदेश से असंतुष्ट है लेकिन समय सीमा समाप्त हो चुकी है, तो वह उच्च न्यायालय से अपील की अनुमति मांग सकता है. इस अनुमति के मिलने पर ही मामला आगे बढ़ता है.

यह अपील राजस्थान सरकार के साथ-साथ विश्नोई समाज की ओर से संयुक्त रूप से दायर की गई है, जिसमें सरकार ने सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली, नीलम और दुष्यंत सिंह को बरी किए जाने के निर्णय को चुनौती दी है. इस मामले की सुनवाई राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की एकल पीठ कर रही है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सभी संबंधित प्रकरणों चाहे वह सलमान खान की सजा से जुड़ा हो या दुसरे आरोपियों की रिहाई से को एक साथ सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है, जिससे मामले को समग्र रूप में देखा जा सके.

इस पूरे मामले की चर्चा इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि इसमें बॉलीवुड जैसी चमकदार दुनिया के सितारे शामिल हैं, जिनकी लोकप्रियता और प्रभावशाली छवि के चलते अकसर यह धारणा बन जाती है कि वे कानून से ऊपर हैं. 2016 में जब हाईकोर्ट ने सलमान को बरी किया था, तब भी इस निर्णय की आलोचना हुई थी, और सुप्रीम कोर्ट में उस आदेश को चुनौती दी गई थी.

महत्वपूर्ण है 28 जुलाई की सुनवाई

अब 28 जुलाई की सुनवाई इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर कोर्ट लीव टू अपील को स्वीकार करता है, तो बरी हो चुके अन्य कलाकारों को भी फिर से कोर्ट का सामना करना पड़. गौरतलब है कि सलमान खान के खिलाफ दर्ज अलग-अलग मुकदमों में चाहे वह घोड़ा फार्म हाउस मामला हो जिसमें उन्हें 2006 में पांच साल की सजा हुई थी, या भवाद गांव केस जिसमें एक साल की सजा सुनाई गई थी, इन सभी में राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय और फिर सुप्रीम कोर्ट तक अपील की है. हालांकि कुछ मामलों में उन्हें उच्च अदालतों से राहत भी मिली है, लेकिन सलमान खान आज भी इन मामलों में कानूनी रूप से उलझे हुए हैं.

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