S-400 Vs China Hq9 Air Defence System: S-400 बनाम HQ-9, पाकिस्तान से कितनी आगे है भारत की एयर डिफेंस ताकत? जानिए सब कुछ
S-400 Vs China Hq9 Air Defence System: भारत और पाकिस्तान के बीच एयर डिफेंस सिस्टम की तुलना करें तो भारत अपनी तकनीकी और रणनीतिक ताकत के दम पर साफ तौर पर आगे है। भारत के पास रूस का S-400 ट्रायंफ सिस्टम है, जिसे दुनिया की सबसे उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणाली माना जाता है।

S-400 Vs China Hq9 Air Defence System: भारत और पाकिस्तान के बीच एयर डिफेंस सिस्टम की तुलना करें तो भारत अपनी तकनीकी और रणनीतिक ताकत के दम पर साफ तौर पर आगे है। भारत के पास रूस का S-400 ट्रायंफ सिस्टम है, जिसे दुनिया की सबसे उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणाली माना जाता है। दूसरी ओर, पाकिस्तान के पास चीन का HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम है, जो 2021 में उसकी सेना में शामिल हुआ। तकनीक, रेंज और रिएक्शन टाइम में S-400, HQ-9 को कहीं पीछे छोड़ देता है। आइए, इन दोनों सिस्टम की तुलना विस्तार से समझते हैं।
रेंज में S-400 की बादशाहत
S-400 की सबसे बड़ी ताकत इसकी 400 किलोमीटर की रेंज है, जो इसे दुश्मन के लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और ड्रोन्स को दूर से ही नष्ट करने की क्षमता देती है। यह पाकिस्तान के एयरस्पेस में मौजूद टारगेट्स को भी भेद सकता है। वहीं, HQ-9 की रेंज 125-200 किलोमीटर (नए HQ-9B में 250-300 किमी) तक सीमित है। इसका मतलब है कि S-400 न केवल ज्यादा दूरी तक मार करता है, बल्कि रणनीतिक रूप से भी ज्यादा प्रभावी है।
रिएक्शन टाइम: S-400 की तेजी, HQ-9 की सुस्ती
S-400 को युद्ध के लिए तैयार होने में सिर्फ 5 मिनट लगते हैं, जो इसे आपात स्थिति में तुरंत जवाब देने की ताकत देता है। इसके उलट, HQ-9 को पूरी तरह सक्रिय होने में 30-35 मिनट का समय लगता है। युद्ध जैसे संवेदनशील हालात में यह देरी HQ-9 की सबसे बड़ी कमजोरी बन सकती है। S-400 की यह तेजी भारत को हवाई हमलों के खिलाफ मजबूत सुरक्षा कवच देती है।
रडार और ट्रैकिंग: S-400 का दबदबा
S-400 का रडार सिस्टम सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक मिसाइलों, जैसे भारत की ब्रह्मोस, को आसानी से ट्रैक और नष्ट कर सकता है। यह एक साथ 36 टारगेट्स पर निशाना साध सकता है। दूसरी ओर, HQ-9 एक साथ 100 टारगेट्स को ट्रैक तो कर सकता है, लेकिन इसकी रडार प्रणाली तेज मिसाइलों को पकड़ने में कमजोर है। 2022 में भारत की गलती से दागी गई ब्रह्मोस मिसाइल को HQ-9 रोक नहीं पाया था, जो इसकी सीमाओं को उजागर करता है।
इंटरसेप्शन क्षमता: S-400 की मल्टी-लेयर ताकत
S-400 में कई तरह की मिसाइलें हैं, जो इसे मल्टी-लेयर डिफेंस प्रदान करती हैं:
- 40N6E: 400 किमी रेंज
- 48N6: 250 किमी रेंज
- 9M96: 120 और 40 किमी रेंज
यह सिस्टम ऊंची, मध्यम और निचली ऊंचाई पर टारगेट्स को नष्ट कर सकता है। वहीं, HQ-9 में ऐसी विविधता नहीं है, और यह केवल एक निश्चित दूरी तक ही प्रभावी है। इसकी मल्टी-टारगेट इंटरसेप्शन क्षमता भी S-400 से कम है।
भारत की आक्रामक रणनीति
भारत ने S-400 को रणनीतिक स्थानों पर तैनात किया है, जो न केवल रक्षा, बल्कि युद्ध में आक्रामक हमले की क्षमता भी रखता है। यह ब्रह्मोस, राफेल और सुखोई जैसे हथियारों के साथ तालमेल बनाकर दुश्मन के ठिकानों को निशाना बना सकता है। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने HQ-9 को कराची और रावलपिंडी जैसे शहरों की रक्षा के लिए लगाया है, जो पूरी तरह रक्षात्मक रणनीति दर्शाता है। हाल के SEAD ऑपरेशन्स में HQ-9 की विफलता ने इसकी कमजोरियों को और उजागर किया।
S-400 भारत का ट्रंप कार्ड
2018 में 5.43 बिलियन डॉलर की डील के तहत भारत ने S-400 को खरीदा। यह सिस्टम 600 किमी तक टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है और पाकिस्तान के F-16 जैसे विमानों को ग्वादर जैसे दूर के ठिकानों में खदेड़ने के लिए मजबूर कर देता है। इसके रडार और मिसाइलें भारत के अन्य हथियारों, जैसे अस्त्र और रुद्रम-1, के साथ शानदार तालमेल रखती हैं।
HQ-9: चीन की तकनीक, सीमित ताकत
चीन का HQ-9 सिस्टम S-300 की नकल पर आधारित है। इसका नया वर्जन HQ-9B भले ही बेहतर हो, लेकिन यह S-400 की रेंज, रिएक्शन टाइम और रडार क्षमता से पीछे है। चीनी हथियारों की क्वालिटी पर भी सवाल उठते रहे हैं, और हाल के ऑपरेशन सिंदूर में इसकी नाकामी ने इसकी कमजोरी को उजागर कर दिया।
भारत का दबदबा
S-400 की तकनीकी श्रेष्ठता, तेज रिएक्शन टाइम और मल्टी-लेयर डिफेंस क्षमता इसे पाकिस्तान के HQ-9 से कहीं बेहतर बनाती है। भारत की SEAD रणनीति और आधुनिक हथियार HQ-9 को निष्प्रभावी करने में सक्षम हैं। यह सिस्टम न केवल भारत को सुरक्षित एयरस्पेस देता है, बल्कि युद्ध में दुश्मन के मनोबल को तोड़ने की ताकत भी रखता है।
