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बड़ी खबर: खालिदा जिया के जनाजे में शामिल होने ढाका जाएंगे एस जयशंकर, भारत सरकार का करेंगे प्रतिनिधित्व, पीएम मोदी ने जताया शोक
Khaleda Zia Funeral: विदेश मंत्री एस जयशंकर 31 दिसंबर को ढाका जाकर खालिदा जिया के जनाजे में शामिल होंगे। पीएम मोदी ने निधन पर शोक जताया।

फोटो एडिट: NPG News
नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री Begum Khaleda Zia के जनाजे में शामिल होने के लिए भारत के विदेश मंत्री S. Jaishankar 31 दिसंबर को ढाका जाएंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार जयशंकर इस दौरान भारत सरकार और भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह दौरा भारत–बांग्लादेश संबंधों के कॉन्टेक्स्ट में अहम माना जा रहा है।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि विदेश मंत्री का यह छोटा दौरा शोक-संदेश और आधिकारिक प्रतिनिधित्व के लिए है। भारत ने पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर बांग्लादेश के प्रति संवेदनाएं प्रकट की हैं और इस अवसर पर उच्चस्तरीय मौजूदगी को द्विपक्षीय सम्मान का संकेत बताया जा रहा है।
पीएम मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री Narendra Modi ने खालिदा जिया के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के विकास और भारत–बांग्लादेश रिश्तों में उनके योगदान को याद रखा जाएगा। पीएम मोदी ने 2015 में ढाका में हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए उनके दृष्टिकोण और विरासत को दोनों देशों की साझेदारी के लिए महत्वपूर्ण बताया।
राहुल गांधी का संदेश
कांग्रेस नेता Rahul Gandhi ने भी सोशल मीडिया पर शोक संदेश जारी किया। उन्होंने खालिदा जिया के लंबे सार्वजनिक जीवन और बांग्लादेश की राजनीतिक यात्रा में उनकी भूमिका को रेखांकित किया और परिवार व समर्थकों के प्रति संवेदनाएं जताईं।
80 वर्ष की उम्र में हुआ निधन
Bangladesh Nationalist Party के अनुसार, तीन बार प्रधानमंत्री रहीं खालिदा जिया का मंगलवार सुबह करीब छह बजे निधन हुआ। उन्होंने ढाका के Evercare Hospital Dhaka में अंतिम सांस ली, जहां एक महीने से अधिक समय से उनका इलाज चल रहा था। पार्टी ने बताया कि फज्र की नमाज़ के तुरंत बाद उनका इंतकाल हुआ।
लंबी बीमारी और इलाज
पार्टी और बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक 23 नवंबर को दिल और फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्याओं के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अंतिम दिनों में वह निमोनिया से भी जूझ रही थीं और करीब 36 दिनों तक कड़ी मेडिकल निगरानी में रहीं। उनके इलाज के लिए एक विशेष टीम बनाई गई थी, जिसमें बांग्लादेश के साथ-साथ ब्रिटेन, अमेरिका, चीन और ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टर शामिल थे। विदेश में इलाज पर विचार हुआ था, लेकिन डॉक्टरों की सलाह पर यात्रा टाल दी गई।
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