Begin typing your search above and press return to search.

Raebareli History And Profile: रायबरेली से राहुल गांधी ने भरा पर्चा, पढ़िए रायबरेली का इतिहास पर और गांधी परिवार से इसका संबंध

Raebareli History And Profile: रायबरेली लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी ने शुक्रवार दोपहर नामांकन दाखिल कर दिया। नामांकन के पहले कांग्रेस कार्यालय से रोड शो निकालते हुए वह कलेक्ट्रेट पहुंचे।

Raebareli History And Profile: रायबरेली से राहुल गांधी ने भरा पर्चा, पढ़िए रायबरेली का इतिहास पर और गांधी परिवार से इसका संबंध
X
By Ragib Asim

Raebareli History And Profile: रायबरेली लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी ने शुक्रवार दोपहर नामांकन दाखिल कर दिया। नामांकन के पहले कांग्रेस कार्यालय से रोड शो निकालते हुए वह कलेक्ट्रेट पहुंचे। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद रहे। इस दौरान सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अशोक गहलोत मौजूद रहे। कांग्रेस की पैतृक लोकसभा सीट पर शुक्रवार को नया इतिहास बना। रायबरेली लोकसभा सीट से राहुल गांधी के नामांकन करने पर गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी का राजनीतिक सफर शुरू हो गया। अब कांग्रेस के नेता मां सोनिया गांधी की रायबरेली में राजनीतिक विरासत को संभालेंगे।

गांधी परिवार की विरासत रायबरेली सीट

रायबरेली लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो सबसे पहले 1952 में फिरोज गांधी ने चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद 1958 में भी फिरोज गांधी ने जीत हासिल की। उनके निधन के बाद 1967 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने इस सीट से पर्चा भरकर राजनीतिक पारी की शुरुआत की। ऐसे में यह सीट गांधी परिवार की विरासत बन गई। 2004 में इंदिरा गांधी की बहू सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ा और पांच बार सांसद चुनी गईं। अब सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी लोकसभा सीट से उतरकर विरासत को संभालने जा रहे हैं।

फिरोज गांधी ने 1957 में हासिल की जीत

सबसे पहले बात पहले लोकसभा चुनाव की कर लेते हैं। साल 1951-52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में रायबरेली और प्रतापगढ़ जिलों को मिलाकर एक लोकसभा सीट थी। उस चुनाव में यहां से इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी कांग्रेस के टिकट पर लड़े और जीते थे। 1957 में रायबरेली सीट अस्तित्व में आई तो यहां से एक बार फिर फिरोज गांधी सांसद बने। इंदिरा और फिरोज गांधी का विवाह 26 मार्च 1942 को हुआ था। पत्रकार से नेता बने फिरोज गांधी अक्सर संसद में अपने ससुर और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू सराकर की आलोचना के लिए जाने जाते थे।

रायबरेली से इंदिरा ने चार बार लड़ा चुनाव

1960 में फिरोज गांधी का निधन हो गया। इसके बाद हुए उप-चुनाव और 1962 के चुनाव में यहां से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ा। 1962 में कांग्रेस की तरफ से उतरे बैजनाथ कुरील ने जनसंघ प्रत्याशी तारावती को हराया था। फिरोज गांधी ने निधन के चार साल बाद 1964 में इंदिरा गांधी राज्यसभा पहुंचीं। इंदिरा 1967 तक राज्यसभा सांसद रहीं। 1966 जब इंदिरा देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं तब भी वह राज्यसभा सदस्य थीं। 1967 इंदिरा ने रायबरेली सीट से ही चुनावी राजनीति में कदम रखा। कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर उतरीं इंदिरा ने इस चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी बीसी सेठ को 91,703 वोट से हरा दिया था।

इसके बाद आया 1971 का लोकसभा चुनाव। इस चुनाव में कांग्रेस की तरफ से एक बार फिर इंदिरा गांधी मैदान में थीं। उनके सामने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से राज नारायण थे। जब नतीजे आए तो कांग्रेस से इंदिरा को 1,11,810 वोटों से विजयी घोषित किया गया। इंदिरा को 1,83,309 वोट जबकि राज नारायण को 71,499 वोट मिले थे। हालांकि राजनारायण ने इंदिरा गांधी पर सरकारी तंत्र के दुरुपयोग और चुनाव में हेराफेरी का आरोप लगाते हुए चुनाव नतीजों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी। राजनारायण की चुनाव याचिका पर ही फैसला देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध घोषित किया था। इंदिरा ने उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी और इसी आधार पर अपना इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। कुछ दिन बाद ही देश में आपातकाल लागू कर दिया गया। इस घटना को ही देश में आपातकाल की जड़ माना जाता है।

आपातकाल के बाद इंदिरा को झटका

1971 के बाद अगले लोकसभा चुनाव 1977 में हुए जब देश में आपातकाल का दौर खत्म हो चुका था। 1977 की जनता लहर में रायबरेली सीट से उतरीं इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा। उन्हें भारतीय लोक दल के के प्रत्याशी राजनारायण ने 55,202 वोट से हरा दिया। इसके बाद इंदिरा कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट से उप-चुनाव लड़ी और जीतकर संसद पहुंची थीं।

1980 में एक बार फिर इंदिरा गांधी कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर रायबरेली सीट से मैदान में थीं। इस बार उनके सामने थीं जनता पार्टी से राजमाता विजय राजे सिंधिया। एक बार फिर इस सीट से इंदिरा जीतने में सफल रहीं। उन्होंने विजय राजे सिंधिया को 1,73,654 मतों से शिकस्त दी। दिलचस्प है कि इस चुनाव में इंदिरा रायबरेली के साथ ही आंध्र प्रदेश की मेंडक (अब तेलंगाना) सीट से भी जीतीं। चुनाव के बाद उन्होंने रायबरेली सीट से इस्तीफा दे दिया और मेंडक की सांसद बनी रहीं।

1984 लोकसभा चुनाव में भी अरुण नेहरू ने इस सीट से जीत दर्ज की। अरुण ने लोक दल की सविता अंबेडकर को 2,57,553 मतों से शिकस्त दी। 1989 में यहां से कांग्रेस की शीला कौल जीतीं। शीला ने जनता दल के प्रत्याशी रवींद्र प्रताप सिंह को 83,779 मतों से हराया। 1991 के लोकसभा में कांग्रेस प्रत्याशी शीला कौल को कड़ी टक्कर मिली लेकिन चुनाव जीतने में सफल रहीं। उन्होंने जनता दल के उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह को 3,917 वोटों से हरा दिया। 1989 और 1991 में रायबरेली सीट से जीतने वालीं शीला कौल भी नेहरू-गांधी परिवार से संबंध रखती थीं। शीला कौल के पति कमला नेहरू के भाई थी। यानी, शीला कौल इंदिरा गांधी की मामी थीं।

अब बात 1996 के लोकसभा चुनाव की कर लेते हैं। 1996 में कांग्रेस ने रायबरेली सीट से शीला कौल के बेटे विक्रम कौल को अपना उम्मीदवार बनाया। लेकिन यह पहला चुनाव था जब कांग्रेस रायबरेली सीट पर जीतना तो दूर लड़ाई से भी बाहर चली गई। इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार विक्रम कौल की जमानत तक जब्त हो गई। कौल को 25,457 वोट मिले जो कुल पड़े वोट का महज 5.29% था।

1996 के लोकसभा चुनाव के दौरान रायबरेली सीट पर भाजपा और जनता दल के बीच दिलचस्प लड़ाई देखी गई। दरअसल, इस चुनाव में भाजपा और जनता दल दोनों ने एक ही नाम वाले प्रत्याशी को यहां से टिकट दिया था। अशोक सिंह पुत्र देवेंद्र नाथ सिंह को भाजपा ने उतरा तो अशोक सिंह पुत्र राम अकबाल सिंह को जनता दल से टिकट मिला। मुख्य मुकाबला भी इन दोनों उम्मीदवारों के बीच हुआ। नतीजों में भाजपा प्रत्याशी को 33,887 मतों से विजय हासिल हुई। 1998 के आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अशोक सिंह को फिर जीत मिली। अशोक ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुरेंद्र बहादुर सिंह को 40,722 वोटों से हराया। इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से शीला कौल की बेटी दीपा कौल उम्मीदवार थीं। 1996 में दीपा के भाई की जमानत जब्त हुई थी तो 1998 में दीपा की भी जमानत जब्त हो गई। भाई की ही तरह दीपा भी चौथे नंबर पर रहीं थीं।

1999 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने रायबरेली सीट पर वापसी की। इस बार पार्टी के प्रत्याशी कैप्टन सतीश शर्मा को सपा के गजाधर सिंह के खिलाफ 73,549 वोटों से विजय मिली। हर बार की तरह इस बार यहां से गांधी-नेहरू परिवार से संबंध रखने वाले एक शख्स ने चुनाव लड़ा था। ये और बात है कि इस बार ये सदस्य कांग्रेस के टिकट से नहीं बल्कि भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में था। ये सदस्य थे अरुण नेहरू। वही, अरुण नेहरू जो 1984 लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज कर चुके थे। हालांकि, राजीव गांधी से मदभेद के चलते उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी।

2004 में जब राहुल गांधी ने चुनावी राजनीति में कदम रखा तो सोनिया गांधी ने अमेठी सीट उनके लिए छोड़ दी और खुद रायबरेली से चुनाव लड़ने लगीं। 2004 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने सपा के अशोक कुमार सिंह को करारी शिकस्त दी। सोनिया ने यह चुनाव 2,49,765 वोटों से भारी अंतर से जीता। 2009 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी रायबरेली सीट को बरकरार रखने में कामयाब रहीं। इस चुनाव में सोनिया ने बसपा के टिकट पर उतरे आरएस कुशवाहा के खिलाफ 3,72,165 वोटों से एक और बड़ी जीत दर्ज की।

इसके बाद 2014 में भी इस सीट से सोनिया गांधी को प्रचंड जीत मिली। इस बार उन्होंने भाजपा के अजय अग्रवाल को 3,52,713 वोटों से करारी शिकस्त दी। वहीं, पिछले चुनाव यानी 2019 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की लेकिन इस बार जीत का अंतर कम हो गया। इस चुनाव में सोनिया गांधी को 5,33,687 वोट जबकि भाजपा की तरफ से उतरे दिनेश प्रताप सिंह को 3,65,839 वोट मिले। इस तरह से 2019 में सोनिया 1,67,848 वोटों से अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाब हुईं।

रायबरेली से अब तक हुए सांसद

  • 1952- फिरोज गांधी (कांग्रेस)
  • 1958- फिरोज गांधी (कांग्रेस)
  • 1962- ब्रजलाल (कांग्रेस)
  • 1967- इंदिरा गांधी (कांग्रेस)
  • 1971- इंदिरा गांधी (कांग्रेस)
  • 1977- राजनारायण (बीकेडी)
  • 1980- इंदिरा गांधी (कांग्रेस)
  • 1981-अरुण नेहरू( कांग्रेस) उपचुनाव
  • 1984- अरूण नेहरू (कांग्रेस)
  • 1989- शीला कौल (कांग्रेस)
  • 1991- शीला कौल (कांग्रेस)
  • 1996- अशोक सिंह (भाजपा)
  • 1998- अशोक सिंह (भाजपा)
  • 1999- कैप्टन सतीश शर्मा(कांग्रेस)
  • 2004- सोनिया गांधी (कांग्रेस)
  • 2006-सोनिया गांधी (कांग्रेस) उपचुनाव
  • 2009- सोनिया गांधी (कांग्रेस)
  • 2014-सोनिया गांधी (कांग्रेस)
  • 2019-सोनिया गांधी (कांग्रेस)

Ragib Asim

Ragib Asim पिछले 8 वर्षों से अधिक समय से मीडिया इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं, पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से हुई है। क्राइम, पॉलिटिक्स और मनोरंजन रिपोर्टिंग के साथ ही नेशनल डेस्क पर भी काम करने का अनुभव है।

Read MoreRead Less

Next Story